टैरिफ रणनीति उलटी पड़ी, रूस ने कहा-भारत-चीन पर नहीं पड़ेगा असर

रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि भारत और चीन जैसी प्राचीन सभ्यताएँ अमेरिकी टैरिफ धमकियों के आगे नहीं झुकेंगी। यह नीति नैतिक व राजनीतिक रूप से गलत है।

Update: 2025-09-19 01:04 GMT
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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका की टैरिफ धमकियों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन जैसी प्राचीन सभ्यताए किसी भी तरह की धौंस या अल्टीमेटम के आगे झुकने वाली नहीं हैं।रूस के प्रमुख चैनल चैनल 1 के कार्यक्रम द ग्रेट गेम में बोलते हुए लावरोव ने कहा कि अमेरिका द्वारा रूसी ऊर्जा खरीदने से रोकने की माँग ने देशों को मजबूर कर दिया है कि वे “नए ऊर्जा बाज़ार तलाशें, नए संसाधनों की खोज करें और अधिक कीमत चुकाएँ।”

लावरोव की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच भारत द्वारा मॉस्को से तेल खरीदने को लेकर कड़ी आलोचना की थी। लावरोव ने कहा भारत और चीन दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल ‘या तो वह काम बंद करो जो मुझे पसंद नहीं, वरना मैं तुम्हारे ऊपर टैरिफ लगा दूंगा’ उन पर असर नहीं डालेगा। यह तरीका काम नहीं करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि वाशिंगटन को समझना चाहिए कि इस नीति के खिलाफ न केवल आर्थिक और राजनीतिक, बल्कि नैतिक विरोध भी खड़ा हो रहा है।

लावरोव ने भारत और चीन की प्रतिक्रिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिकी दबाव से इन देशों को नई मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। इससे उनके आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें नए बाज़ार और ऊर्जा आपूर्ति के नए स्रोत ढूँढने पड़ रहे हैं, और महंगे दाम चुकाने पड़ रहे हैं। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि इस रवैये के खिलाफ नैतिक और राजनीतिक स्तर पर भी कड़ा विरोध है।”

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और टैरिफ संकट

पिछले कुछ महीनों से भारत और अमेरिका के बीच अस्थायी व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही थी। लेकिन जुलाई में डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लगा दिया, जबकि उम्मीद की जा रही थी कि समझौते से ऊँचे टैरिफ से बचा जा सकेगा। कुछ दिनों बाद ट्रंप ने एक और 25% टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुँच गया। इसका कारण उन्होंने भारत द्वारा रूसी तेल का आयात जारी रखना बताया। यह 50% टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो गया।

रूस पर नए प्रतिबंधों पर लावरोव की प्रतिक्रिया

रूस पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों के सवाल पर लावरोव ने कहा सच कहूँ तो, मुझे इसमें कोई समस्या नहीं दिखती। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही अभूतपूर्व स्तर के प्रतिबंध लगाए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि मॉस्को ने इस स्थिति से सबक लेना शुरू कर दिया है। बाद में राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में तो प्रतिबंध किसी भी तरह की कूटनीतिक कोशिश की जगह इस्तेमाल किए जाने लगे। समझौते की तलाश का कोई प्रयास ही नहीं किया गया।

अमेरिका की टैरिफ और प्रतिबंधों की नीति भारत-चीन जैसे देशों पर असर नहीं डालेगी, बल्कि उल्टा उन्हें और मज़बूत बनाएगी और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका के खिलाफ नैतिक व राजनीतिक विरोध को जन्म देगी।

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