क्या है भारत का 'चिकन नेक', चीन से मोहम्मद यूनुस ने क्यों किया जिक्र
बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस हाल ही में चीन के दौरे पर थे। बातचीत में भारत के चिकन नेक का जिक्र कर चीन को निवेश करने का सुझाव दिया।;
44 साल पहले 1971 में बांग्लादेश का उदय दुनिया के नक्शे पर हुआ। बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश बनाने में भारत की भूमिका सार्वजनिक है। यह बात अलग है कि कुछ कट्टरपंथी ताकतों को भारत की भूमिका रास नहीं आती। बांग्लादेश की राजनीति अस्थिरता की शिकार रही है। पिछले कुछ वर्षों से शेख हसीना की अगुवाई में अवामी लीग की सरकार काम कर रही थी। लेकिन पिछले साल तख्ता पलट के बाद तस्वीर बदली। इस समय बांग्लादेश में अंतरिम सरकार काम कर रही है जिसके सलाहकार मोम्मद यूनुस हैं। मोहम्मद यूनुस हाल में चीन के दौरे पर थे। उन्होंने अपने देश को समुद्र का संरक्षक और भारत की सात बहनों यानी पूर्वोत्तर राज्यों का जिक्र किया। जिस तरह से उन्होंने चीन को इस इलाके के अगल बगल निवेश करने का सुझाव दिया वो चिंताजनक है।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर टिप्पणी
मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों (सात बहनों) का उल्लेख करते हुए कहा कि ये राज्य लैंड लॉक्ड हैं और इनके पास समुद्र तक सीधा पहुंच नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में समुद्र पर बांग्लादेश का नियंत्रण है, जिससे निवेश के लिए यह एक बड़ा अवसर बन सकता है। उनके यह बयान ऐसे समय में आए हैं जब बांग्लादेश और चीन के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं।
चीन के साथ व्यापारिक संबंध और रणनीतिक महत्व
यूनुस ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और व्यापारिक सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की बात की। उनके अनुसार, बांग्लादेश चीन को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखता है और दोनों देशों के संबंध एक नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन को बांग्लादेश में निर्माण और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करना चाहिए और वहां से तैयार माल को वैश्विक बाजारों में भेजना चाहिए।
चिकन नेक कॉरिडोर और भारत की रणनीतिक चिंताएँ
यूनुस के बयान के बाद भारत में चिंता बढ़ गई है, खासकर चिकन नेक कॉरिडोर को लेकर। यह 20-22 किलोमीटर चौड़ा संकरा भूभाग भारत के मुख्य भाग को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है और नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि आर्थिक और व्यापारिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत की प्रतिक्रिया
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यूनुस के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे भड़काऊ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बयान भारत की रणनीतिक चिंताओं को दर्शाता है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने भारत के लिए चिकन नेक कॉरिडोर को मजबूत करने और वैकल्पिक मार्गों के विकास पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल उठाया कि बांग्लादेश में चीन के निवेश और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लैंड लॉक्ड होने के बीच क्या संबंध है।
चीन-बांग्लादेश समझौते और संभावित प्रभाव
यूनुस की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 2.1 बिलियन डॉलर के निवेश और ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इसके अलावा, बांग्लादेश की तीस्ता नदी प्रबंधन परियोजना को चीन को सौंपने की योजना भी बन रही है, जिससे इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति और मजबूत हो सकती है।
यूनुस के बयान और चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते संबंध भारत के लिए एक नई कूटनीतिक चुनौती प्रस्तुत कर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और अपने रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए कौन-से उपाय करता है।