ओली के इस्तीफे के बाद सत्ता की जंग, बालेन से लेकर रवि तक दौड़ में
नेपाल में के पी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद सत्ता खाली है। जेन-ज़ी समर्थक बालेन शाह, सुशीला कार्की, कुलमान घिसिंग, हर्का सम्पांग और रवि लामिछाने प्रमुख दावेदार हैं।;
बुधवार शाम काठमांडू स्थित नेपाल आर्मी मुख्यालय के बाहर जेन-ज़ी गुटों के बीच झड़पें हुईं थीं। यह झड़पें उस समय हुईं जब हिंसक विद्रोह के बाद सरकार गिरने के तीन दिन बीत चुके हैं और अंतरिम नेतृत्व चुनने पर बातचीत जारी है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था, जिससे पद खाली हो गया। इस बीच भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन बिना किसी स्पष्ट नेता के जारी है।
अब तक चार प्रमुख नाम सामने आए हैं—काठमांडू के मेयर और रैपर बालेंद्र शाह ‘बालेन’, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग, और धरान के मेयर हर्का राज सम्पांग राय। इसके अलावा पत्रकार से राजनेता बने रवि लामिछाने भी युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें जेल से रिहा कराया था, यह मानते हुए कि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप झूठे थे। लेकिन अब तक किसी नाम पर सहमति नहीं बन सकी है। बातचीत राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, आर्मी चीफ और जेन-ज़ी प्रतिनिधियों के बीच जारी है।
कुलमान घिसिंग: बिजली संकट खत्म करने वाले इंजीनियर
कुलमान घिसिंग, पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, को नेपाल में लंबे समय से चल रही बिजली कटौती खत्म करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने 1994 में नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) से करियर शुरू किया और 2016 में एमडी बने। उनके नेतृत्व में 18 घंटे की लोडशेडिंग खत्म हो गई और वे घर-घर में मशहूर हो गए। 2020 में उन्हें हटाकर हितेंद्र देव शाक्य को नियुक्त किया गया, जिसे विपक्ष और नागरिक समाज ने राजनीतिक निर्णय करार दिया। मार्च 2025 में ओली सरकार ने उन्हें समय से पहले ही हटा दिया था, जिससे आलोचना तेज़ हो गई।
सुशीला कार्की: नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं और जुलाई 2016 से जून 2017 तक पद पर रहीं। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति के लिए जानी जाती हैं। उन्हें 2009 में सुप्रीम कोर्ट का एड-हॉक जज नियुक्त किया गया था और अगले साल स्थायी जज बनीं। 2017 में उनका कार्यकाल विवादों में आ गया जब सत्ताधारी दलों ने उन पर पक्षपात का आरोप लगाकर महाभियोग प्रस्ताव लाया।
बालेंद्र शाह ‘बालेन’: रैपर से मेयर तक
1990 में जन्मे बालेंद्र शाह, जिन्हें लोग ‘बालेन’ के नाम से जानते हैं, काठमांडू महानगर के मेयर हैं। वे मूल रूप से सिविल इंजीनियर हैं और भारत से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। राजनीति में आने से पहले वे नेपाल के अंडरग्राउंड हिप-हॉप सीन का हिस्सा थे और अपने गीतों में भ्रष्टाचार व असमानता जैसे मुद्दे उठाते थे। 2022 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में काठमांडू मेयर का चुनाव जीता और 61,000 से अधिक वोट हासिल किए। बालेन सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं और नागरिक मुद्दों पर खुलकर राय रखते हैं।
हर्का राज सम्पांग राय: जनता के मसीहा
धरान उप-महानगरपालिका के स्वतंत्र मेयर हर्का राज सम्पांग राय भी युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। 2022 में उन्होंने 40% वोटों के साथ चुनाव जीता। उन्होंने वीआईपी सुविधाएँ ठुकराकर आम जनता की तरह कतारों में खड़े होकर मिसाल पेश की। छह साल विदेश में काम करने के बाद वे धरान लौटे और नेशनल यूनिटी नेटवर्क की स्थापना की, जो भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान चलाता है। वे टैक्स वृद्धि, अवैध रेत खनन और पानी की किल्लत के खिलाफ आंदोलनों में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने विस्थापित परिवारों की मदद की और श्रम संस्कृति पार्क विकसित किया ताकि स्थानीय इतिहास संरक्षित रहे।
रवि लामिछाने: पत्रकार से जननेता तक
रवि लामिछाने 2013 में 62 घंटे का टॉक शो होस्ट कर सुर्खियों में आए और गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उनके कार्यक्रम सीधा कुरा जनता संग ने उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी आवाज़ के रूप में लोकप्रिय बनाया। 2022 में उन्होंने राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टी (RSP) बनाई और 20 सीटें जीतकर नेपाल की चौथी सबसे बड़ी पार्टी बने। इसके बाद वे उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी बने। हालांकि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते वे विवादों में फंसे, लेकिन युवा प्रदर्शनकारियों ने उन्हें नायक मानकर जेल से छुड़ाया।