शहबाज बोले-'भारत से शांति वार्ता को तैयार,लेकिन कश्मीर मुद्दे की शर्त'
पाकिस्तान फिर चालबाजी पर उतर आया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शांति वार्ता के लिए हामी तो भरी लेकिन कश्मीर मुद्दा भी जोड़ दिया।;
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि वे 'शांति के लिए' भारत के साथ संवाद के लिए तैयार हैं।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह बयान गुरुवार (15 मई) को पंजाब प्रांत स्थित कमरा एयर बेस की यात्रा के दौरान दिया, जहां उन्होंने हालिया भारत-पाक संघर्ष में शामिल अधिकारियों और सैनिकों से बातचीत की। बुधवार को उन्होंने सियालकोट के पस्सरूर छावनी का दौरा भी किया था।
शांति की शर्तें
शरीफ ने कहा, “हम भारत से शांति के लिए बातचीत करने को तैयार हैं।”
हालांकि उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि शांति के लिए "शर्तें" होंगी, जिनमें कश्मीर मुद्दे पर बातचीत शामिल होगी।
कमरा एयर बेस की इस यात्रा में शरीफ के साथ उप प्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू भी मौजूद थे।
यह शरीफ की किसी रक्षा प्रतिष्ठान की दूसरी यात्रा थी, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को चार दिनों की गहन ड्रोन और मिसाइल झड़पों के बाद संघर्ष समाप्त करने की सहमति के बाद हुई।
ऑपरेशन सिंदूर
भारत की स्वतंत्रता के बाद से यह रुख स्पष्ट रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य हिस्से हैं।
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की नृशंस हत्या के बाद भारत ने 6 और 7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया। इस ऑपरेशन में सटीक हमलों के ज़रिए कई आतंकी शिविरों और उनके ढांचे को नष्ट कर दिया गया।
भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
जवाबी हमला
इसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारत के कई सैन्य ठिकानों पर हमले करने की कोशिश की। भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनीयां जैसे कई सैन्य ठिकानों पर भीषण जवाबी हमला किया।
इस दौरान स्वदेशी तकनीक और रक्षा प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया ताकि पाकिस्तानी हमलों से भारत को न्यूनतम क्षति हो।
यह घटनाक्रम क्षेत्रीय स्थिरता और भारत-पाक संबंधों के भविष्य को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां दोनों देश अब संघर्ष के बाद संभावित बातचीत की ओर बढ़ते दिख रहे हैं।