आखिरकार पाकिस्तान ने किया कबूल, 'एयरबेस पर भारत के हमले के बाद करना पड़ा सीजफायर'
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने आखिरकार स्वीकार किया कि भारत द्वारा नूर खान और अन्य प्रमुख एयरबेस पर हमला करने के बाद हमने संघर्ष विराम की मांग की।;
पाकिस्तान ने आखिरकार मान ही लिया है कि भारत के भीषण हमले की वजह से उसे सीजफायर करना पड़ा। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने पाकिस्तानी टीवी न्यूज चैनल जियो न्यूज़ से बातचीत में कहा है कि भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत प्रमुख एयरबेसों को निशाना बनाए जाने के बाद हमने से सीजफायर की अपील की थी।
डार ने खुलासा किया कि हमले के समय पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर ही रहा था, लेकिन भारत पहले ही आक्रमण कर चुका था, जिससे पाकिस्तान चौंक गया। हमले के 45 मिनट के भीतर सऊदी अरब के प्रिंस फैसल का फोन आया और उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से संपर्क साधने की पेशकश की ताकि आगे की कार्रवाई रोकी जा सके।
डार ने पाकिस्तानी झूठ की पोल खोली
भारत ने हमला 6-7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर के तहत किया था, जोकि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मौत के जवाब में किया गया।
डार का यह बयान पाकिस्तान की तरफ से पहले दिए गए ‘मज़बूत जवाब’ के दावों का खंडन करता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और दूसरे वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों ने तब दावा किया था कि पाकिस्तान ने भारत को मज़बूत जवाब दिया है।
शहबाज़ शरीफ ने हाल ही में यह भी माना था कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों से रावलपिंडी एयरपोर्ट सहित कई स्थानों को निशाना बनाया था। लेकिन जब भारत ने नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया तो पाकिस्तान के होशफाख्ता हो गए।
नूर खान एयरबेस पाकिस्तान की वायुसेना का अड्डा है जो रावलपिंडी के चकलाला क्षेत्र में स्थित है, और इस्लामाबाद से लगभग 10 किमी दूर है। यही परिसर पहले बेनज़ीर भुट्टो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी था। यहां PAF कॉलेज चकलाला और फजाया इंटर कॉलेज नूर खान भी स्थित हैं।
ऑपरेशन सिंदूर
भारत का यह संयुक्त (थलसेना, वायुसेना, नौसेना) तेज़, सटीक और सीमित जवाबी हमला था, जो 6-7 मई की रात को किया गया। इसने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। SCALP क्रूज़ मिसाइलें, HAMMER बम, लुटेरिंग म्यूनिशन, और ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाले हथियारों का प्रयोग कर भारत ने करीब 100 आतंकियों को मार गिराया गया और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया।