क्या पाकिस्तान ने अपनी संप्रभुता गिरवी रख दी है, चीन के बयान से समझिए

शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बीच पाकिस्तान की चीन हिमायत करता नजर आया। चीन का कहना है कि वो पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करेगा। ऐसे में कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-16 06:55 GMT

SCO Meeting:  कहा जाता है कि पड़ोसी आप नहीं बदल सकते। आपका पड़ोसी अच्छा है तो सोने पर सुहागा। अगर अड़चन पैदा करे तो नतीजा तनाव वाला माहौल। यही बात देशों के संदर्भ में भी सटीक बैठती है। अगर बात भारत की करें तो पाकिस्तान हमारा ऐसा पड़ोसी है जो चार दफा खुले तौर पर जंग लड़ चुका है। जम्मू कश्मीर में पिछले चार दशक से परोक्ष तौर पर जंग लड़ रहा है। जब नापाक हरकतों के सबूत दिए जाते हैं तो उसे सिरे से खारिज करता है और खुलेआम अपनी संप्रभुता की दुहाई देकर लड़ने झगड़ने के लिए तैयार रहता है। हम बात इसी संप्रभुता की करेंगे। संप्रभु होने का मतलब सामान्य तरीके से यह होता है कि कोई भी मुल्क अपनी शक्ति का निर्माण स्वयं करने के साथ उसकी हिफाजत भी करता है। लेकिन पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा की गारंटी उसका सदाबहार दोस्त चीन कर रहा है।

'पाकिस्तान की करेंगे रक्षा'
इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर चीन ने कहा कि वो अपने दोस्त पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करेगा। यहीं सवाल पैदा होता है कि क्या पाकिस्तान ने खुद को गिरवी रख दिया है या चीन को अपने निवेश की सुरक्षा खतरा सता रहा है। दरअसल अगर पाकिस्तान की माली हालत देखें तो उसे भीख का कटोरा लेकर दुनिया भर के मुल्कों का चक्कर लगाने में किसी तरह की शर्म नहीं महसूस होती। अब पाकिस्तान की मजबूरी में चीन को खुद के लिए मौका नजर आ रहा है।

चीन की जरूरत क्यों बना पाकिस्तान
चीन को लगता है कि यूरोप के पश्चिमी देशों के साथ व्यापार के लिए हिंद महासागर के अलावा एक और वैकल्पिक रास्ते की जरूरत है। और उसकी जरूरत पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट में दिखी। चीन, ग्वादर पोर्ट के विकास के साथ साथ वहां तक पहुंच बनाए रखने के लिए आधारभूत संरचना यानी सड़क की जरूरत थी। उस मकसद को हासिल करने के लिए उसने चीन पाकिस्तान आर्थिक सहयोग की अवधारणा पर काम करना शुरू किया। उसके तहज पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान होकर ग्वादर तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण का काम चल रहा है।

जैसा कि हम सब जानते हैं कि सीपेक का विरोध ना सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर बल्कि बलूचिस्तान में भी हो रहा है। यानी कि पाकिस्तान की मदद चीन कर रहा है। लेकिन उसे पीओके और बलूचिस्तान में आजादी के लिए उठने वाली हर आवाज में खुद के लिए डर लगता है। ऐसे में चीन नहीं चाहता की पाकिस्तान की केंद्रीय हुकुमत किसी भी तरह से कमजोर दिखती हुई नजर आए। 

भारत ने क्या कहा
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि हम वैश्विक मामलों में एक कठिन समय पर मिल रहे हैं। दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने वैश्विक परिणाम हैं। कोविड महामारी ने विकासशील दुनिया में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है। विभिन्न प्रकार के व्यवधान - चरम जलवायु घटनाओं से लेकर आपूर्ति श्रृंखला अनिश्चितताओं और वित्तीय अस्थिरता तक - विकास और विकास को प्रभावित कर रहे हैं... मैं आपसे अनुच्छेद 1 पर विचार करने का आग्रह करता हूं जो एससीओ के लक्ष्यों और कार्यों को बताता है।

 सामूहिक विचार के लिए संक्षेप में वो पेश कर रहे हैं। इसका मकसद आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी को मजबूत करना है। इसका उद्देश्य बहुआयामी सहयोग विकसित करना है, विशेष रूप से क्षेत्रीय प्रकृति का। इसका उद्देश्य संतुलित विकास, एकीकरण और संघर्ष की रोकथाम के मामले में एक सकारात्मक शक्ति बनना है। चार्टर में भी स्पष्ट रूप से बताया गया था कि मुख्य चुनौतियाँ क्या थीं। और ये मुख्य रूप से तीन थीं, जिनका मुकाबला करने के लिए एससीओ प्रतिबद्ध था: एक, आतंकवाद; दो, अलगाववाद; और तीन, उग्रवाद है। 

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