कई नाकामियों के बाद स्टारशिप ने हासिल की बड़ी जीत

स्पेसएक्स के स्टारशिप ने पहली बार आठ नकली सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में पहुंचाई. बूस्टर और शिप दोनों की सफल वापसी ने मंगल मिशन का रास्ता खोला.;

Update: 2025-08-27 09:19 GMT

दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप (Starship) एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर चुका है. एलन मस्क की स्पेस कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) ने मंगलवार (26 अगस्त) रात को इसका नवीनतम टेस्ट लॉन्च किया. इस उड़ान में पहली बार स्टारशिप ने एक टेस्ट पेलोड — यानी आठ नकली सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाया.

टेक्सास के साउथ टेक्सास स्थित स्टारबेस लॉन्च साइट से यह रॉकेट शाम 6:30 बजे के बाद उड़ान भरकर आकाश की ओर रवाना हुआ. उड़ान के बाद करीब एक घंटे से ज़्यादा समय तक अंतरिक्ष में तैरने के बाद स्टारशिप ने तय योजना के अनुसार हिंद महासागर (Indian Ocean) में स्प्लैशडाउन किया.

बूस्टर की भी सफल वापसी

इस टेस्ट के दौरान स्पेसएक्स का विशाल सुपर हैवी बूस्टर (Super Heavy Booster) भी पहली बार सफलतापूर्वक वापसी करने में कामयाब रहा. यह अटलांटिक महासागर में उतरा. लैंडिंग-बर्न इंजन सीक्वेंस को टेस्ट करने के बाद बूस्टर सुरक्षित ढंग से पानी में स्प्लैशडाउन कर गया. वहीं, स्टारशिप अपने सफर पर आगे बढ़ते हुए धरती का चक्कर लगाता रहा.

यह अंतरिक्ष में दिन से रात और फिर रात से दिन का अनुभव करते हुए अंततः हिंद महासागर में उतरा. पानी से टकराने से पहले इसके इंजन ने फायर कर रॉकेट की पोज़ीशन बदल दी ताकि यह सीधा खड़ा होकर, नोज़ कोन (ऊपरी हिस्सा) ऊपर की ओर रखते हुए पानी में प्रवेश करे.

कई असफलताओं के बाद मिली सफलता

यह सफलता स्पेसएक्स के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि पिछले एक साल में स्टारशिप के कई टेस्ट असफल रहे थे. जनवरी और मार्च 2025 के परीक्षण उड़ानें कुछ ही मिनटों में असफल हो गईं और मलबा समुद्र में गिरा। मई में हुए नौवें प्रयास में तो स्पेसक्राफ्ट नियंत्रण खो बैठा और टूटकर बिखर गया.

स्पेसएक्स ने इस असफलता के बाद अपने सुपर हैवी बूस्टर को नए डिज़ाइन में तैयार किया. इसमें बड़े और मजबूत फिन (पंखनुमा ढांचे) लगाए गए ताकि उड़ान के दौरान अधिक स्थिरता मिल सके. यही बदलाव इस टेस्ट की सफलता की बड़ी वजह बना.

गौरतलब है कि स्टारशिप का पहला टेस्ट 2023 में हुआ था, जिसमें रॉकेट उड़ान के कुछ ही मिनट बाद विस्फोट का शिकार हो गया था.

नासा और मस्क के सपने

यह स्टारशिप का दसवां टेस्ट था और इसे मील का पत्थर माना जा रहा है. नासा ने पहले ही स्पेसएक्स से दो स्टारशिप ऑर्डर किए हैं, जिनका इस्तेमाल इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर मानव मिशन (Moon Mission) के लिए किया जाएगा.

स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क का अंतिम लक्ष्य इससे भी बड़ा है. उनका सपना है कि स्टारशिप के ज़रिए एक दिन इंसानों को मंगल ग्रह (Mars) तक भेजा जा सके.

स्पेसएक्स और स्टारलिंक की यात्रा

स्पेसएक्स ने साल 2019 में पहली बार स्टारलिंक सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजा था. यह लॉन्च कंपनी के फाल्कन रॉकेट (Falcon Rocket) से फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से किया गया था. तब से लेकर अब तक कंपनी ने लगातार तकनीकी सुधार किए और आज स्टारशिप की यह ऐतिहासिक सफलता उसी यात्रा का अहम पड़ाव बन गई है.

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