श्रीलंका की JVP पार्टी का नया रुख, अब हम नहीं हैं भारत विरोधी

जब डायस्पोरा प्रतिनिधिमंडल ने तमिल बहुल उत्तर और पूर्वी प्रांतों में प्रांतीय परिषद चुनावों की जरूरत पर जोर दिया तो सिल्वा ने कहा कि संगठन सैद्धांतिक रूप से चुनाव में रुचि नहीं रखता, लेकिन संविधान के तहत चुनाव आयोजित किया जाएगा।

Update: 2025-12-07 15:35 GMT
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श्रीलंका की सत्ता में सबसे प्रभावशाली पार्टी जनता विमुक्ति पेरमुना (JVP) के वरिष्ठ नेता तिल्विन सिल्वा (71) ने कहा है कि अब वे और उनकी पार्टी भारत-विरोधी नहीं हैं। उन्होंने तमिल अल्पसंख्यक समुदाय से अपील की कि वे पार्टी के प्रति दशकों पुरानी शंकाओं को त्याग दें। सिल्वा JVP के महासचिव हैं और उन्होंने यह बयान लंदन में तमिल डायस्पोरा प्रतिनिधिमंडल के साथ दो घंटे चली बातचीत के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि हमने बहुत बदलाव किए हैं और अब हम एक जिम्मेदार सरकार हैं। सिल्वा ने बताया कि सत्ता में आने के बाद JVP के विचारधारा में मूलभूत बदलाव आए हैं।

ऐतिहासिक रूप से भारत-विरोधी पार्टी

JVP, जिसकी स्थापना दिवंगत रोहाना विजेवेरा ने की थी, दशकों तक भारत-विरोधी रही है। अपने कई राजनीतिक संदेशों में इसने भारतीय विस्तारवाद को प्रमुखता दी। 1987 में भारत-श्रीलंका शांति समझौते के समय JVP ने सड़कों पर प्रदर्शन किया और हिंसक विद्रोह किया, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई। वर्तमान JVP नेतृत्व में उन समय के कुछ उत्तरजीवी शामिल हैं, जिनमें राष्ट्रपति अनुरा डिस्सनायके और तिल्विन सिल्वा शामिल हैं।

सिल्वा की प्रभावशाली भूमिका

हालांकि, राष्ट्रपति डिस्सनायके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर JVP के सबसे प्रमुख चेहरा हैं, लेकिन सिल्वा को संगठन में असली शक्ति रखने वाला माना जाता है। ब्रिटेन में रहने वाले तमिल वीरहिया रामराज ने कहा कि सिल्वा बहुत ही “ईमानदार और स्पष्ट” नजर आए।

भारत के साथ रिश्तों को नया आयाम

सिल्वा ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि अब हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रीलंका के हित में भारत के साथ मजबूत और स्थायी संबंध बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि JVP अन्य देशों जैसे चीन के साथ संबंध कमजोर नहीं करेगी, लेकिन भारत को हमेशा मित्र के रूप में देखेगी। सिल्वा के इस वादे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वे दशकों से महासचिव के रूप में संगठन में सर्वोच्च शक्ति रखते हैं।

रिश्तों को सुधारने की पहल

सिल्वा ने कहा कि तमिल समुदाय को JVP को उसके अतीत के आधार पर देखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्टी तमिलों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ विश्वास बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले संसदीय चुनाव में तमिल समुदाय ने JVP/NPP को भारी समर्थन दिया था और पार्टी उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी।

प्रांतों में चुनाव

जब डायस्पोरा प्रतिनिधिमंडल ने तमिल बहुल उत्तर और पूर्वी प्रांतों में प्रांतीय परिषद चुनावों की जरूरत पर जोर दिया तो सिल्वा ने कहा कि संगठन सैद्धांतिक रूप से चुनाव में रुचि नहीं रखता, लेकिन संविधान के तहत चुनाव आयोजित किया जाएगा।

तमिल डायस्पोरा में उम्मीदें

ब्रिटेन और अन्य देशों में बसे तमिल अब श्रीलंका के समग्र विकास और प्रांतीय चुनावों में स्थानीय विकास की प्रक्रिया को लेकर उत्साहित हैं। रामराज ने कहा कि सिल्वा ईमानदार और विश्वसनीय नजर आए। JVP नेतृत्व में मूलभूत बदलाव हुए हैं। यह देखना बाकी है कि यह बदलाव कितनी जल्दी संगठन के हर स्तर तक पहुंचेगा और लोग अतीत को भूलेंगे।

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