नोटिफिकेशन ड्रामा खत्म, फील्ड मार्शल मुनीर बने सबसे ताक़तवर अधिकारी
पाकिस्तान ने बड़ा सैन्य बदलाव किया है। राष्ट्रपति ज़रदारी ने फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को देश का पहला CDF नियुक्त किया, जिससे आर्मी–नेवी–एयरफोर्स की पूरी कमान अब उनके हाथ में होगी।
पाकिस्तान की राजनीति और सेना के बीच पावर बैलेंस पर बड़ा फैसला हो गया है। राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को देश के पहले Chief of Defence Forces यानी CDF के तौर पर पाँच साल के लिए मंज़ूरी दे दी है। इसका मतलब यह है कि आसिम मुनीर एक साथ Chief of Army Staff, Chief of Defence Forces दोनों पद संभालेंगे। आख़िर यह कदम क्यों अहम है? क्यों इसे पाकिस्तान की सेना–सरकार तकरार से जोड़कर देखा जा रहा है। चलिए रिपोर्ट की ओर बढ़ते हैं…
पाकिस्तान के राष्ट्रपति कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर पुष्टि की यह मंजूरी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की उस समरी पर दी गई जिसमें आसिम मुनीर को COAS और CDF दोनों पदों के लिए नामित किया गया था।लेकिन इस नियुक्ति तक पहुँचने से पहले इसमें कई दिन का विवाद और सस्पेंस जुड़ा रहा। 29 नवंबर मुनीर के तीन साल के आर्मी चीफ़ वाले कार्यकाल का आख़िरी दिन था। शहबाज़ सरकार को इसी दिन देश के पहले Chief of Defence Forces की नियुक्ति की अधिसूचना जारी करनी थी। लेकि ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद सवाल उठने लगे कि क्या शहबाज़ शरीफ़ मुनीर को और अधिक पावर देने से हिचक रहे हैं? शहबाज़ शरीफ़ जानबूझकर नोटिफिकेशन से बच रहे थे।
वे पहले बहरीन गए, फिर लंदन ताकि इस मुद्दे से दूर रहें।”
पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन के बाद Chief of Defence Forces का पद बनाया गया जिसका मकसद सेना की कमान को एक केंद्रीकृत संरचना में लाना था। यानी आर्मी, नेवी और एयर फ़ोर्स तीनों पर सर्वोच्च सैन्य नियंत्रण CDF के पास होगा। और इसी बीच राष्ट्रपति ज़रदारी ने एयर चीफ़ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्दू को भी दो साल का सर्विस एक्सटेंशन दे दिया है। उनका विस्तार मार्च 2026 से लागू होगा।आसिम मुनीर इस साल फील्ड मार्शल बने और अब वे पाकिस्तान के इतिहास में फील्ड मार्शल, COAS,CDF तीनों शीर्ष पद संभालने वाले पहले सैन्य अधिकारी बन गए हैं। इससे पहले सिर्फ जनरल अयूब ख़ान को Field Marshal की उपाधि मिली थी।
नोटिफिकेशन में देरी ने पाकिस्तान को एक अजीब स्थिति में पहुंचा दिया था क्योंकि अगर मुनीर की टर्म खत्म मानी जाती, तो पाकिस्तान के पास कोई आर्मी चीफ़ नहीं होता। और न्यूक्लियर कमांड की ज़िम्मेदारी जिसे नए Strategic Forces Command को दी जानी थी वह भी खाली रह जाती। यह एक बेहद अव्यवस्थित और खतरनाक स्थिति थी।
पाकिस्तान कुछ समय के लिए बिना Army Chief और बिना Nuclear Command Structure के रह गया था। अब पाकिस्तान के पावर स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव हो चुका है। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब देश के पहले Chief of Defence Forces हैं और सेना की पूरी कमान उनके पास आ गई है। क्या इससे पाकिस्तान में राजनीतिक–सैन्य समीकरण बदलेंगे?क्या शहबाज़ सरकार पर मुनीर की पकड़ और मजबूत होगी। यह आने वाले दिनों में साफ होगा।