तसलीमा नसरीन ने क्या याद दिलाया शेख हसीना को

तसलीमा नसरीन एक प्रसिद्ध लेखिका हैं, जिन्हें उनकी एक पुस्तक ''लज्जा'' के चलते बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था और उसके बाद उन्हें भारत में शरण मिली थीं.

Update: 2024-08-06 05:44 GMT

Sheikh Hasina Coup: बांग्लादेश में चल रहे तनाव और हिंसा के माहौल के चलते हुए तख्ता पलट के बाद शेख हसीना भारत आ चुकी हैं उनके भारत आने पर बांग्लादेश की ही एक लेखिका ने टिपण्णी की है, जो शेख हसीना के लिए सहानुभूति कम और कटाक्ष ज्यादा है. इस लेखिका का नाम है तसलीमा नसरीन, जिन्हें काफी पहले बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था और भारत ने ही उन्हें शरण दी थी. तसलीमा नसरीन ने शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने पर कहा है कि जिन्हें ( इस्लामिक कट्टरपंथियों ) को खुश करने के मुझे देश से निकाला था, आज उन्होंने ही आपको निकल दिया.


तसलीमा नसरीन ने 'X' पर किया पोस्ट
प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने 'X' पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ''हसीना ने इस्लामवादियों को खुश करने के लिए 1999 में मुझे मेरे देश से बाहर निकाल दिया था, जब मैं अपनी माँ को उनकी मृत्युशय्या पर देखने के लिए बांग्लादेश में दाखिल हुई थी और मुझे फिर कभी देश में प्रवेश नहीं करने दिया. वही इस्लामवादी छात्र आंदोलन में शामिल रहे हैं, जिन्होंने आज हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया.

तसलीमा को क्यों छोड़ना पड़ा था बांग्लादेश
तसलीमा नसरीन लेखिका होने के साथ साथ एक फिजिशियन भी हैं. उन्होंने साल 1993 में लज्जा नाम से एक उपन्यास लिखा था, जो बँगला भाषा में था. इस उपन्यास के प्रकाशित होते ही तसलीमा कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गईं. दरअसल इस उपन्यास में उन्होंने साम्प्रदायिक उन्माद के नृशंस रूप को रेखांकित किया. धार्मिक कट्टरपन को उसकी पूरी बर्बरता से सामने लाने का प्रयास किया गया. बढ़ते विरोध के चलते ‘लज्जा’ पर प्रकाशन के छह महीने के भीतर ही प्रतिबंध लगा दिया गया.

कहीं दूसरा पाकिस्तान न बन जाए बांग्लादेश
तसलीमा नसरीन ने ये भी कहा कि शेख हसीना वर्तमान स्थिति के लिए स्वयं ज़िम्मेदार हैं. ये वहीँ थीं जिन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ने दिया. खद को भ्रष्टाचार में शामिल किया. सैन्य शासन को लेकर तसलीमा ने कहा कि ये शासन लागू नहीं होना चाहिए, वरना कहीं बांग्लादेश भी पाकिस्तान न बन जाए. बांग्लादेश के सभी राजनीतिक दलों को देश में लोकतंत्र बहाल करना चाहिए और धर्मनिरपेक्षता को अपनाना चाहिए.


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