जब भारत पर दबाव नहीं आया काम, यूरोपीय यूनियन ने हीरे को बनाया हथियार

भारत की आर्थिक ताकत दुनिया के विकसित धड़े को रास नहीं आ रही है. यही वजह है कि यूरोपीय यूनियन और जी7 ने रूस से करीबी कम करने के लिए हीरों को हथियार बनाया है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-02 07:38 GMT

क्या यूरोपीय यूनियन और जी-7 के मुल्क हीरों और कार्बन उत्सर्जन के मुद्दे पर भारत पर बेजा दबाव बना रहे हैं. या उनकी मंशा कुछ और है. क्या वो इस बात से खफा है कि यूक्रेन-रूस की लड़ाई में भारत क्यों नहीं उनके साथ खुलकर आया. क्या रूस से भारत की क्रूड ऑयल की खरीदी नागवार गुजरती है. इसके लिए थोड़ा पीछे चलना होगा.यूक्रेन पर रूस ने हमला किया उस वक्त यूरोपीय यूनियन और अमेरिका खुलकर यूक्रेन के सपोर्ट में आ गए. वो भारत से भी उम्मीद करते थे कि वो उनके धड़े के साथ शामिल हो जाए. लेकिन भारत ने सधी टिप्पणी में कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. शांति से ही रास्ता निकलेगा. संदेश साफ था कि भारत अपनी विदेश नीति किसी और देश के जरिए नहीं संचालित करेगा. इन सबके बीच यूरोपीय यूनियन को भारतीय बाजार में पॉलिश्ड हीरे खटक रहे हैं.


रूस की खीस भारत पर

जी-7 के देशों ने भारत द्वारा रूसी हीरों की खरीद पर ऐतराज जताया गया है. बता दें कि करीब 30 फीसद रफ हीरों का आयात रूस से भारत करता है. उन हीरों की पॉलिशिंग भारत में होती है और निर्यात किया जाता है. इस साल सितंबर से जी- 7 चाहता है कि सभी रफ हीरों का सर्टिफिकेशन बेल्जियम हो में ताकि यह पता चल सके कि हीरे रूस से आयातित तो नहीं हैं. इसके लिए ब्रसेल्स में डॉयमंड ट्रेसएबिलिटी सेंटर स्थापित किया जा रहा है. हालांकि भारत ने ऐहतियाती कदम उठाते हुए रूस से रफ हीरों के आयात को बंद कर दिया है. रफ हीरे अब एंग्लो अमेरिकन स्वामित्व वाले डी बीयर्स ने की जा रही है. लेकिन जी-7 का मकसद कुछ और ही है.

विकासशील देशों को परेशान करने की कवायद

ब्रसेल्स में डॉयमंड टेसिबिलिटी सेंटर के गठन का मकसद यह है कि भारत द्वारा आयातित सभी रफ हीरों को वहां से प्रमाणित कराना होगा.इसका अर्थ यह है कि हीरों की कीमत बढ़ जाएगी, यह रही हीरों की बात इसके साथ ही कार्बन टैक्स के मुद्दे को उछाल कर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को भी निशाना बनाया जा रहा है. कॉर्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मेकेनिज्म के तहत टैक्स की व्यवस्था 2026 से लागू होनी है. इसका मकसद विकासशील देशों को दंडित करना है. वैसे तो टैक्स का आगाज 2026 से शुरू होगा. लेकिन स्टील, सीमेंट या दूसरे उद्योग जिसमें कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है उन्हें अक्तूबर 2023 से हर दो महीने पर सर्टिफिकेट जमा करना है. यानी कि सर्टिफिकेट जमा करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

Tags:    

Similar News