ट्रंप- हैरिस को मिले बराबर वोट तो क्या होगा, आसान तरीके से समझें

मान लीजिए कि अगर अमेरिका में चुनावी नतीजे टाइ हो जाए तो क्या होगा। यह सवाल आपके दिमाग में भी उठ रहा होगा। यहां हम उस तस्वीर को समधाने की कोशिश करेंगे।;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-05 09:15 GMT

US Presidential Election 2024:  अमेरिका में वोटिंग का आगाज हो चुका है। इन सबके बीच हर किसी की नजर उस नतीजे पर जो ना सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया के लिए भी खास है। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की किस्मत का फैसला स्विंग स्टेट करेंगे जो संख्या में सात हैं। अगर सर्वेक्षणों को नतीजों में तब्दील होता हुआ मानें तो रिपबल्किन उम्मीदवार ट्रंप को मौका मिलता नजर आ रहा है। लेकिन क्या आपने उस तस्वीर की कल्पना की है जिसमें दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला टाई हो जाए। अब यहीं से सवाल उठता है कि अगक दोनों में चुनावी लड़ाई टाई हो जाए तो क्या आगे का रास्ता क्या होगा। यानी सरकार किसकी बनेगी। यहां बता दें कि सरकार किसी कि भी बने नया राष्ट्रपति जनवरी में कार्यभार संभालेगा। 

अगर बराबरी पर रहा मुकाबला
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बराबरी की स्थिति में जैसे ना तो कमला हैरिस और न ही डोनाल्ड ट्रम्प जीत के लिए आवश्यक 270 इलेक्टोरल वोट तक पहुंच पाते हैं तो क्या होगा। यदि इस तरह के हालात बनते हैं जिसकी संभावना ना के बराबर रहती है। फिर भी अगर नतीजे टाइ हों तो क्या होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में राष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रीय लोकप्रिय वोट से नहीं बल्कि 538 सदस्यीय इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है। प्रत्येक राज्य के इलेक्टोरल वोट उसके कांग्रेसी में प्रतिनिधित्व की तरफ इशारा करते हैं। मसलन दो सीनेटर और जनसंख्या के आधार पर सदन के कई प्रतिनिधि। इस तरह से प्रत्येक राज्य के पास इलेक्टोरल वोटों की अलग संख्या होती है। मेन और नेब्रास्का को छोड़कर अधिकांश राज्य विजेता का हक सभी सीटों पर है उस नजरिए से काम करता है।  सभी-लेता है" दृष्टिकोण का उपयोग करते हैं, जो राज्य के लोकप्रिय वोट जीतने वाले उम्मीदवार को सभी इलेक्टोरल वोट प्रदान करता है।

यहां हम आपको फ्लोरिडा के उदाहरण से बताएंगे कि इलेक्टोरल वोट कैसे आवंटित किए जाते हैं? फ्लोरिडा  में 29 इलेक्टोरल वोट हैं। आवंटित इलेक्टोरल वोट यानी फ्लोरिडा के पास कांग्रेस में प्रतिनिधित्व (2 सीनेटर + 27 प्रतिनिधि) के कारण 29 इलेक्टोरल वोट हैं।

लोकप्रिय वोट का हिसाब किताब

चुनाव के दिन फ्लोरिडा के मतदाता राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करते हैं। मान लीजिए कि डोनाल्ड ट्रम्प को 5 मिलियन वोट मिलते हैं और कमला हैरिस को 4.8 मिलियन वोट मिलते हैं। उम्मीदवार A फ्लोरिडा में लोकप्रिय वोट जीतता है। यहां पर विजेता सब ले जाता वाला फॉर्मूला काम करता है यानी कि लोकप्रिय वोट जीतने वाल के हिस्से में सभी 29 इलेक्टोरल वोट चले जाएंगे। 

270 इलेक्टोरल वोट हासिल करना जरूरी

प्रत्येक उम्मीदवार अलग-अलग राज्यों से इलेक्टोरल वोट हासिल करता है जिसकी वजह से वो 270 इलेक्टोरल वोट के टारगेट को पूरा करता है या उससे अधिक हासिल करता है। वह लोकप्रिय वोट की परवाह किए बिना राष्ट्रपति पद जीतता है। फ्लोरिडा के 29 इलेक्टोरल वोट किसी उम्मीदवार को 270 तक पहुंचने के मार्ग में महत्वपूर्ण रूप से योगदान करते हैं। यदि कोई भी उम्मीदवार 270 इलेक्टोरल वोट तक नहीं पहुंचता है यानी इस असंभावित घटना में अगर दोनों उम्मीदवारों को 269 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं वैसी सूरत में चुनाव का फैसला कांग्रेस में चला जाता है जैसा कि अमेरिकी संविधान तय करता है। विशेष रूप से नव निर्वाचित प्रतिनिधि सभा राष्ट्रपति का चयन करेगी और सीनेट उपराष्ट्रपति का चयन करेगी। अब 269-269 इलेक्टोरल कॉलेज टाई कैसे हो सकता है उदाहरण के लिए यदि कमला हैरिस विस्कॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिल्वेनिया जैसे प्रमुख राज्यों को जीतती हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प जॉर्जिया, एरिजोना, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और नेब्रास्का में एक कांग्रेस जिले को सुरक्षित करते हैं, तो प्रत्येक उम्मीदवार के पास ठीक 269 इलेक्टोरल वोट होंगे। इससे गतिरोध की गति मिलेगी क्योंकि कोई भी उम्मीदवार 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों में से आवश्यक 270 तक नहीं पहुंच पाएगा।

आकस्मिक चुनाव

इस मामले में, 6 जनवरी, 2025 को कांग्रेस में एक आकस्मिक चुनाव होगा। आकस्मिक चुनाव में सदन में प्रत्येक राज्य प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के लिए एक ही वोट डालता है। यह व्यवस्था छोटे राज्यों जैसे व्योमिंग को कैलिफोर्निया जैसे अधिक आबादी वाले राज्यों के समान ही मतदान शक्ति प्रदान करती है।

वोट की आवश्यकता

राष्ट्रपति पद जीतने के लिए एक उम्मीदवार को राज्य प्रतिनिधिमंडलों (50 में से 26) के बहुमत की आवश्यकता होती है। मौजूदा स्थिति में यह संरचना रिपब्लिकन को बढ़त दे सकती है। सदन राष्ट्रपति पर वोट करता है और सीनेट उपराष्ट्रपति का चयन करती है। प्रत्येक सीनेटर एक व्यक्तिगत वोट डालता है जिसमें बहुमत जीतने वाला उम्मीदवार उपराष्ट्रपति बनता है। आखिरी आकस्मिक चुनाव 1800 में हुआ था, जब थॉमस जेफरसन और जॉन एडम्स के बीच बराबरी के बाद सदन ने 36 मतपत्रों के बाद राष्ट्रपति पद का फैसला किया था। इस विवादास्पद प्रक्रिया ने अंत मे 12वें संशोधन को जन्म दिया जिसने नियमों को और साफ बनाया गया लेकिन बराबरी के चुनाव की संभावना को खुला छोड़ दिया।

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