पश्चिम एशिया की स्थिति चिंताजनक, सऊदी है स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण शक्ति : एस जयशंकर
सऊदी अरब के विदेश मंत्री दो दिवसीय भारत यात्रा है. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एस जय शंकर ने गाजा को लेकर काफी चिंता जताई और कहा कि भारत का रुख सैद्धांतिक और सुसंगत रहा है
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-11-13 15:37 GMT
India And West Asia : भारत ने एक बार फिर से पश्चिमी एशिया की स्थिति पर चिंता जताते हुए सऊदी अरब को क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बताया है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा में शीघ्र संघर्ष विराम का समर्थन करता है और दो-राज्य समाधान के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए हमेशा खड़ा है.
सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के साथ बैठक में अपने प्रारंभिक भाषण में जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति, विशेष रूप से गाजा में संघर्ष, "गहरी चिंता" का विषय है.
स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल में कही बात
एस जयशंकर और अल सऊद ने रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) के तहत आयोजित राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग (पीएसएससी) समिति की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता की. अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब का विजन 2030 और भारत का विकसित भारत 2047 दोनों पक्षों के उद्योगों के लिए नई साझेदारी बनाने के लिए पूरक हैं.
एस जयशंकर के अनुसार "व्यापार और निवेश हमारी साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और हम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन सहित नवीकरणीय ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित नए क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं."
भारत यात्रा पर हैं अल सऊद
सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान दो दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. इस दौरान गाजा की स्थिति पर जयशंकर ने कहा कि किसी भी प्रतिक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना होगा. "पश्चिम एशिया की स्थिति, विशेषकर गाजा में संघर्ष, गहरी चिंता का विषय है. इस संबंध में भारत का रुख सैद्धांतिक और सुसंगत रहा है."
जयशंकर ने कहा, "हम आतंकवाद और बंधक बनाने की घटनाओं की निंदा करते हैं, लेकिन निर्दोष नागरिकों की लगातार हो रही मौतों से हमें गहरा दुख है. किसी भी प्रतिक्रिया में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना चाहिए. हम शीघ्र युद्ध विराम का समर्थन करते हैं. भारत लगातार दो-राज्य समाधान के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के पक्ष में रहा है. हमने फिलिस्तीनी संस्थाओं और क्षमताओं के निर्माण में भी योगदान दिया है."
भारत-सऊदी संबंधों पर चर्चा करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों ने बहुपक्षीय मंचों पर उच्च स्तरीय संपर्क और समन्वय की अच्छी गति बनाए रखी है. "पिछले कुछ वर्षों में हमारी रक्षा साझेदारी में कई 'पहली बार' चीजें हुई हैं, जिनमें पहली बार थल सेना संयुक्त अभ्यास 2024; और हमारे संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के दो संस्करण शामिल हैं."
एस जयशंकर ने कहा कि "हमारे बीच प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर नियमित आदान-प्रदान होता रहा है और अब हमारा सहयोग रक्षा उद्योग और निर्यात के क्षेत्र में भी विस्तारित हो गया है."
भारत और सऊदी अरब में बढ़ रहा है सुरक्षा सहयोग
एस जयशंकर ने दोनों पक्षों के बीच सुरक्षा सहयोग में लगातार वृद्धि का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, "हम आतंकवाद का मुकाबला करने, उग्रवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में सहयोग कर रहे हैं."
इसके साथ ही हम संस्कृति, पर्यटन और युवा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के प्रयासों का स्वागत करते हैं और हम मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में सहयोग की काफी संभावनाएं देखते हैं.
BRICS G-20 आदि विषयों पर भी हुआ विचार विमर्श
बैठक में दोनों पक्षों ने जी-20, ब्रिक्स, आईएमईसी (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा) और अन्य क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया.
अपने प्रारंभिक भाषण में जयशंकर ने कहा कि क्षेत्र की स्थिरता को बनाए रखने तथा अर्थव्यवस्थाओं को अधिक समृद्धि की ओर ले जाने में भारत और सऊदी अरब की समान रुचि है.
उन्होंने कहा, "हमने बहुपक्षीय मंचों पर उच्च स्तरीय संपर्क और समन्वय की अच्छी गति बनाए रखी है. सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की संख्या 2.6 मिलियन है और मैं इस अवसर पर उनके कल्याण और आराम के लिए आपको धन्यवाद देता हूं."
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)