सिंधु जल समझौते पर भारत की जीत, विश्व बैंक ने किया किनारा
India Pakistan Water Dispute: विश्व बैंक ने कहा कि हमारी भूमिका सिर्फ एक ट्रस्ट फंड से विशेषज्ञों की फीस देने और विवाद के समाधान में सहायता करने तक सीमित है. इसके अलावा हम कुछ नहीं कर सकते.;
Indus Water Treaty 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था. इस फैसले पर पाकिस्तान ने विरोध जताया और कहा कि भारत एकतरफा ऐसा नहीं कर सकता. लेकिन अब विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने साफ कर दिया है कि संस्था भारत को मजबूर नहीं कर सकती है.
विश्व बैंक की सीमित भूमिका
अजय बंगा ने कहा कि सिंधु जल संधि एक द्विपक्षीय समझौता है और यदि दोनों देश आपस में सहमत नहीं होते हैं तो विश्व बैंक केवल एक तटस्थ विशेषज्ञ या मध्यस्थ नियुक्त कर सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी भूमिका सिर्फ एक ट्रस्ट फंड से विशेषज्ञों की फीस देने और विवाद के समाधान में सहायता करने तक सीमित है. इसके अलावा हम कुछ नहीं कर सकते. PIB ने भी उनके हवाले से कहा कि मीडिया में जो चर्चा चल रही है कि विश्व बैंक इस मामले को कैसे सुलझाएगा, वो सब बेबुनियाद है.
पाकिस्तान की योजना विफल
पाकिस्तान ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह भारत के इस फैसले को "एकतरफा और गैरकानूनी" बताते हुए विश्व बैंक का रुख करेगा. लेकिन अब उसे निराशा हाथ लगी है. इस फैसले की पृष्ठभूमि में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ बताया.
भारत ने क्यों लिया यह फैसला?
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान लगातार इस समझौते में बाधाएं उत्पन्न कर रहा था. उन्होंने बताया कि भारत ने कई बार पाकिस्तान को बातचीत के लिए पत्र भेजे. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. भारत छह दशकों से इस समझौते का सम्मान करता आया है. लेकिन अब पाकिस्तान की तरफ से बार-बार पश्चिमी नदियों पर भारत के अधिकारों में रुकावट डाली जा रही थी.
क्या है सिंधु जल संधि?
यह संधि 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से कराची में हुई थी. इसमें भारत को तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पूरा अधिकार मिला. जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी तक पहुंच दी गई. इस संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे.