सेफ्टी खामी: 47,000 से ज्यादा स्कोडा-वोल्क्सवैगन कारें वापस

मई 2024 से अप्रैल 2025 के बीच बनी मेड-इन-इंडिया कारों में सीट बेल्ट की गंभीर खामी देखने को मिल रही है. इस वजह से स्कोडा-वोल्क्सवैगन ने मुफ्त रिकॉल अभियान शुरू किया है.;

Update: 2025-05-01 15:55 GMT
skoda recall

भारत में स्कोडा ऑटो वोल्क्सवैगन इंडिया ने बड़ा कदम उठाते हुए 47,000 से अधिक वाहनों को वापस बुलाने (रिकॉल) की घोषणा की है। इन कारों में सुरक्षा संबंधी एक गंभीर तकनीकी खामी पाई गई है, जो हादसे के समय यात्रियों की जान को जोखिम में डाल सकती है।

किन मॉडलों पर पड़ा असर?

रिकॉल के दायरे में आने वाले मॉडलों में स्कोडा कुशाक, स्कोडा क्यालक, स्कोडा स्लाविया, वोल्क्सवैगन टाइगुन और वोल्क्सवैगन वर्टस शामिल हैं। ये सभी वाहन मई 2024 से अप्रैल 2025 के बीच भारत में बनाए गए हैं।

SIAM (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) द्वारा जारी दस्तावेज़ के अनुसार, कुल 47,235 वाहनों में यह खामी पाई गई है। इनमें से 25,722 यूनिट्स स्कोडा ब्रांड के हैं और शेष 21,513 यूनिट्स वोल्क्सवैगन के हैं।

क्या है तकनीकी गड़बड़ी?

मामला पीछे की सीट पर लगी सीट बेल्ट से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, यदि सामने से टक्कर होती है, तो पीछे की सीट की बेल्ट का बकल लैच प्लेट टूट सकती है या काम करना बंद कर सकती है। साथ ही, बीच की सीट की बेल्ट की वेबिंग और दायीं ओर की बेल्ट का बकल भी विफल हो सकता है। यह खामी यात्रियों के लिए एक गंभीर सुरक्षा जोखिम बन सकती है।

कंपनी ने स्पष्ट किया है कि प्रभावित कारों के मालिकों से सीधे संपर्क किया जाएगा और बिना किसी शुल्क के समस्या को ठीक किया जाएगा। ग्राहक चाहें तो स्कोडा और वोल्क्सवैगन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना वाहन VIN नंबर डालकर यह भी जांच सकते हैं कि उनकी गाड़ी रीकॉल के अंतर्गत आती है या नहीं।

इस रीकॉल का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि सभी प्रभावित वाहन भारत में ही बनाए गए हैं। यह घटना वाहन निर्माण में गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर फिर से चर्चा खड़ी कर रही है।

क्या आपको अपनी कार की जांच करानी चाहिए?

यदि आपके पास स्कोडा या वोल्क्सवैगन की उपरोक्त कोई भी मॉडल है, जो पिछले एक साल में खरीदी गई है, तो यह जरूरी है कि आप तुरंत कंपनी की वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त करें।

वाहनों में तकनीकी सुधार और ग्राहक सुरक्षा को लेकर कंपनियों का यह कदम स्वागत योग्य है, पर साथ ही यह भारत में बनी कारों की निर्माण गुणवत्ता और निरीक्षण प्रक्रियाओं पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।

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