बिहार चुनाव में बाहुबलियों की धमक, कहां–कहां हुआ सीधा मुकाबला
बिहार चुनाव 2025 में बाहुबली नेताओं और उनके परिवारों की तगड़ी मौजूदगी दिखी। कई सीटों पर सीधी टक्कर, पारिवारिक संघर्ष और दशकों पुराना वर्चस्व फिर हावी रहा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अगर किसी चीज़ की सबसे ज्यादा चर्चा रही, तो वह थी राज्य के बहुचर्चित बाहुबली नेताओं और उनके परिवारों की चुनावी मौजूदगी। कई सीटों पर बाहुबलियों की सीधी भिड़ंत, तो कहीं बाहुबली परिवारों के भीतर की प्रतिस्पर्धा इस चुनाव की खास कहानी बनकर उभरी।
अनंत सिंह से लेकर शहाबुद्दीन परिवार, आनंद मोहन से लेकर सुनील पांडेय तक बिहार की राजनीति के ये बड़े नाम चुनावी अखाड़े में अपने–अपने तरीके से मौजूद दिखे।
कौन–कौन से बाहुबली और उनके परिवार इस बार किस सीट से मैदान में थे और किन सीटों पर सबसे ज्यादा मुकाबला देखने को मिला।
मोकामा: दो बाहुबलियों की सबसे हॉट टक्कर
पटना जिले की मोकामा सीट हमेशा से बाहुबलियों का गढ़ रही है। इस बार भी यह सीट चर्चा में रही क्योंकि दो बड़े बाहुबली परिवार आमने–सामने थे।2020 में राजद के टिकट पर जीतने वाले अनंत सिंह इस बार जदयू की ओर से चुनाव मैदान में उतरे। उनके सामने बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी राजद की उम्मीदवार बनीं।
1990 के दशक से मोकामा में अनंत सिंह और उनके परिवार का प्रभाव रहा है, और इस बार भी यह सीट प्रतिष्ठा का बड़ा युद्धक्षेत्र बन गई।
जोकीहाट: दो भाइयों की दुबारा सीधी भिड़ंत
अररिया जिले की जोकीहाट सीट पर एक बार फिर दो भाइयों के बीच संघर्ष देखने को मिला।पूर्व सांसद और बाहुबली नेता तस्लीमुद्दीन के दोनों बेटे सरफराज आलम और शाहनवाज आलम—2020 की तरह इस बार भी आमने–सामने खड़े हुए।2020 में AIMIM से जीतने वाले शाहनवाज इस बार राजद के टिकट पर लड़े, जबकि सरफराज राजद छोड़कर जनसुराज की ओर से चुनाव मैदान में उतरे।
वारिसलीगंज: दो बाहुबलियों की पत्नियों के बीच मुकाबला
नवादा जिले की वारिसलीगंज सीट पर दो बाहुबलियों के परिवारों की महिलाओं की भिड़ंत देखने को मिली।भाजपा विधायक अरुणा देवी, जो बाहुबली अखिलेश सरदार की पत्नी हैं, अपनी सीट बचाने मैदान में थीं।उनके सामने राजद ने अनीता महतो को उतारा, जो बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं।पिछले 25 वर्षों से इस सीट पर इन्हीं दो परिवारों का दबदबा रहा है।
सुनील पांडेय परिवार: एक चुनाव, दो उम्मीदवार, दो पार्टियाँ
बाहुबली सुनील पांडेय के परिवार के दो लोग इस बार दो अलग पार्टियों से चुनाव लड़ते दिखाई दिए।उनके बेटे विशाल प्रशांत तरारी सीट से भाजपा के टिकट पर मैदान में थे, जहां वे 2024 के उपचुनाव में भी विजयी रहे थे।वहीं, उनके भाई हुलास पांडेय ब्रह्मपुर से लोजपा (राम विलास) के टिकट पर उतरे। एक ही परिवार के दो सदस्य, दो सीटें और दो पार्टियों में कड़ी सियासी दौड़ इस चुनाव की खास बात रही।
नवादा: बाहुबली राजबल्लभ की पत्नी फिर मैदान में
नवादा सीट पर बाहुबली राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी एक बार फिर चुनावी अखाड़े में उतरीं।2020 में राजद के टिकट पर जीतने के बाद इस बार वह जदयू की उम्मीदवार थीं। उन्हें टक्कर दे रहे थे राजद के कौशल यादव—दोनों परिवारों की अदावत लंबे समय से जारी है।
रुपौली: दो बाहुबलियों का 25 साल पुराना संघर्ष
पूर्णिया की रुपौली सीट भी सियासी टकराव वाली कुर्सी रही।यहाँ बाहुबली शंकर सिंह निर्दलीय मैदान में थे, तो राजद ने बीमा भारती को टिकट दिया, जो बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी हैं। दोनों परिवारों का वर्चस्व पिछले 25 वर्षों से इस इलाके की राजनीति पर छाया रहा है। शंकर सिंह पर हत्या और हत्या के प्रयास सहित 36 मामले दर्ज हैं, जबकि बीमा भारती पाँच बार की विधायक हैं।
दानापुर: रीतलाल यादव की दोबारा पारी
पटना जिले की दानापुर सीट से बाहुबली रीतलाल यादव एक बार फिर राजद के टिकट पर मैदान में थे।उनकी सीधी टक्कर भाजपा के वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव से रही।रीतलाल पर हत्या और रंगदारी सहित 11 गंभीर मामले चल रहे हैं, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत बनी हुई है।
चेतन आनंद: सीट और पार्टी दोनों बदलीं
आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में सजायाफ्ता बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद 2020 में शिवहर से राजद विधायक बने थे।लेकिन 2025 में उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया और नवीनगर सीट से चुनाव लड़ने पहुंचे।चेतन की मां लवली आनंद इसी समय शिवहर लोकसभा सीट से जदयू की सांसद हैं, जिससे परिवार की राजनीतिक ताकत और बढ़ी।
मांझी: प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह की एंट्री
सारण जिले की मांझी सीट से जदयू ने बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को टिकट दिया।प्रभुनाथ सिंह स्वयं हत्या के मामले में सजा काट रहे हैं, लेकिन उनका राजनीतिक प्रभाव अब भी कायम है।
कुचायकोट: अमरेंद्र पांडेय फिर मैदान में
गोपालगंज जिले की कुचायकोट सीट पर तीन बार के विधायक अमरेंद्र पांडेय जदयू के उम्मीदवार बने।अमरेंद्र पर भी हत्या और रंगदारी के कई मामले दर्ज हैं, लेकिन स्थानीय राजनीति में उनका प्रभाव मजबूत बना हुआ है।
लालगंज: मुन्ना शुक्ला की बेटी की एंट्री
लालगंज सीट से इस बार राजद ने बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को टिकट दिया।उनका मुकाबला भाजपा के संजय कुमार सिंह से रहा।मुन्ना शुक्ला और उनकी पत्नी पहले भी इस सीट से विजयी रह चुके हैं।
सीवान: शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब मैदान में
राजद ने सीवान जिले की रघुनाथपुर सीट से ओसामा शहाब को टिकट दिया, जो दिवंगत बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे हैं।ओसामा को जदयू के विकास कुमार सिंह से चुनौती मिली।शहाबुद्दीन एक समय सीवान में समानांतर सत्ता के रूप में जाने जाते थे।
बिहार चुनाव 2025 में एक बार फिर साबित हुआ कि बाहुबली राजनीति राज्य की चुनावी तस्वीर का अहम हिस्सा बनी हुई है।कई सीटों पर बाहुबलियों और उनके परिवारों की मौजूदगी ने मुकाबलों को त्रिकोणीय, चौकोणीय और कई बार बेहद रोचक बना दिया।राजनीति और बाहुबल का यह संगम बिहार की चुनावी संस्कृति की पुरानी लेकिन अभी भी जीवित परंपरा को सामने लाता है।