1951 से 2025 तक: बिहार के विधानसभा चुनाव और बदलता वोटिंग पैटर्न
historic voting record: महिलाओं की बढ़ी भागीदारी, ग्रामीण इलाकों में उत्साह और नए मतदाताओं का जोश आने वाले नतीजों पर निर्णायक असर डाल सकता है। अब सभी की निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे।
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दोनों चरणों में रिकॉर्ड 66.91% मतदान दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा आज़ादी के बाद राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा वोटिंग का रिकॉर्ड है। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में संपन्न हुए। पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें 65.08% वोटिंग हुई। दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें 68.74% वोटिंग दर्ज की गई। दोनों चरणों को मिलाकर कुल 66.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2020 के विधानसभा चुनाव (57.29%) की तुलना में लगभग 9.6% अधिक है।
महिलाओं की भागीदारी ने तोड़ा रिकॉर्ड
इस चुनाव की सबसे बड़ी खासियत रही महिलाओं की ऐतिहासिक भागीदारी।
* पुरुष मतदाता: 62.8%
* महिला मतदाता: 71.6%
इस तरह महिलाओं ने पुरुषों से 8.8% ज्यादा मतदान किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि महिला वोटिंग में बढ़ोतरी राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है।
बिहार के चुनावी इतिहास पर एक नजर
बिहार विधानसभा चुनाव का इतिहास 1951 से शुरू होता है। पिछले 74 वर्षों में 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जो कभी एक चरण में तो कभी छह चरणों में आयोजित हुए। पहला चुनाव 1951-52 में हुआ था, जो 21 दिनों तक चला और 42.60% मतदान दर्ज किया गया। उस समय कांग्रेस ने 239 सीटें जीतकर बहुमत की सरकार बनाई थी।
1957 से 1967 तक – कांग्रेस का स्वर्ण काल
1957: 43.24% मतदान, कांग्रेस को 210 सीटें।
1962: 44.47% मतदान, कांग्रेस को 185 सीटें।
1967: 51.51% मतदान, कांग्रेस 128 सीटों पर सिमटी।
1967 के बाद बिहार की राजनीति में गठबंधन युग की शुरुआत हुई और बहुमत किसी पार्टी को नहीं मिला।
1970 के दशक में अस्थिरता का दौर
1969: एक चरण में 52.79% मतदान, किसी दल को बहुमत नहीं।
1972: चार चरणों में 52.79% मतदान, कांग्रेस ने 167 सीटें जीतीं।
1977: आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार, 50.51% मतदान।
कांग्रेस की आखिरी चमक
1980: 57.28% मतदान, कांग्रेस (आई) की वापसी, 169 सीटें।
1985: 56.27% मतदान, कांग्रेस ने 196 सीटें जीतीं।
इसके बाद कांग्रेस फिर कभी अपने दम पर बिहार की सत्ता में नहीं लौटी।
लालू युग की शुरुआत
1990: 62.04% मतदान, जनता दल की सरकार, लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने।
1995: 61.79% मतदान, जनता दल 167 सीटों के साथ सत्ता में बरकरार।
2000: 62.57% मतदान, राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं।
2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA युग
2005: दो बार चुनाव हुए –
फरवरी चुनाव: 46.05% मतदान, कोई स्पष्ट बहुमत नहीं।
अक्टूबर चुनाव: 45.85% मतदान, जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
गठबंधन की राजनीति
2010: 52.73% मतदान, जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की जीत।
2015: 56.91% मतदान, महागठबंधन की सरकार, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री।
2020: 57.29% मतदान, एनडीए की वापसी, नीतीश कुमार फिर सीएम बने।
ऐतिहासिक मतदान, नए सियासी संकेत
इस बार 66.91% की रिकॉर्ड वोटिंग ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महिलाओं की बढ़ी भागीदारी, ग्रामीण इलाकों में उत्साह और नए मतदाताओं का जोश आने वाले नतीजों पर निर्णायक असर डाल सकता है। अब सभी की निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे। तभी तय होगा कि बिहार में सत्ता की डगर किस दिशा में मुड़ेगी।
| वर्ष | मतदान प्रतिशत | प्रमुख विजेता | प्रमुख चेहरा |
| ------- | -------------------- | ------------------ | ---------------- |
| 1951-52 | 42.60% | कांग्रेस | डॉ. कृष्ण सिंह
| 1990 | 62.04% | जनता दल | लालू प्रसाद यादव
| 2005 | 46.05% / 45.85% | जेडीयू-बीजेपी | नीतीश कुमार
| 2020 | 57.29% | एनडीए | नीतीश कुमार
| 2025 | 66.91% (रिकॉर्ड) | परिणाम 14 नवंबर को