बिहार चुनाव: NDA की तीन-चौथाई बहुमत वाली ऐतिहासिक जीत, 'डबल इंजन' मॉडल पर मुहर

प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने बिहार में 13 जनसभाएं कीं और पटना में एक बड़े रोड शो का नेतृत्व किया। उन्होंने शुरुआत से ही सभी सहयोगियों से संवाद बनाए रखा और उम्मीदवारों की घोषणा के बाद उत्पन्न हुई आपसी नाराजगियों को दूर किया, जिससे NDA की एकजुटता और मजबूत दिखाई दी।

Update: 2025-11-15 06:27 GMT
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Bihar Elections 2025: भारत के तीसरे सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य बिहार में NDA को तीन-चौथाई बहुमत मिलना गठबंधन के ‘डबल इंजन सरकार’ की बड़ी स्वीकार्यता माना जा रहा है। इस जीत ने यह भी साबित कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर विपक्ष द्वारा चलाए गए अभियान का राजनीतिक मूल्य काफी भारी पड़ा। गठबंधन ने इस चुनाव में ‘एक परिवार’ की तरह मुकाबला किया। ‘सिंबल डिवाइड’ को पीछे छोड़ते हुए छोटे सहयोगियों ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया। महागठबंधन के तीखे और आरोपों से भरे अभियान—जिसमें पीएम मोदी पर 'वोट चोरी' के आरोप लगाए गए—के बावजूद NDA की इस जोरदार जीत से भाजपा रणनीतिकारों ने कहा कि यह हमला उल्टा पड़ गया, बिल्कुल वैसे ही जैसे 2019 का नारा “चौकीदार चोर है”।

मोदी के करिश्मे पर जनता की फिर मुहर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य चुनावों में NDA की लगातार चौथी जीत इस बात का संकेत है कि मतदाता चाहते हैं कि पीएम मोदी 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी के अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन की भरपाई एक मजबूत जनादेश से करें। NDA की इस विशाल जीत में भाजपा का अब तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और शानदार स्ट्राइक रेट यह साबित करता है कि गठबंधन के प्रमुख चेहरा पीएम मोदी—जो 11 साल से पद पर हैं—का प्रभाव पूरी तरह बरकरार है।

BJP बनी सबसे बड़ी पार्टी

2010 में NDA ने 243 में से 206 सीटें जीती थीं (JDU-115, BJP-91), जो अब तक सर्वोच्च था। इस बार BJP अकेले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। फिर भी पार्टी नेताओं ने ‘कोएलिशन धर्म’ निभाते हुए यह स्पष्ट किया है कि वे नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए रखने के फैसले में पूरी तरह सहमत हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि गठबंधन बनाना ही काफी नहीं—उसे सुचारू रूप से चलाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सहयोगियों में एकजुटता का स्तर इतना मजबूत था कि चुनाव कार्यालय भी गठबंधन के नाम से बनाए गए, न कि अलग-अलग दलों के। अधिकांश रैलियां भी NDA के नाम से ही आयोजित हुईं और पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह सभी दलों के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते थे, न कि सिर्फ BJP के।

‘सुशासन’ बनाम ‘जंगलराज’

हालांकि, नीतीश कुमार अतीत में कई बार गठबंधन छोड़ चुके हैं, फिर भी शीर्ष BJP नेतृत्व—जिसमें पीएम मोदी और अमित शाह शामिल हैं—ने उनके पूरे 20 वर्ष के कार्यकाल को ‘मंगल राज’ की परिभाषा दी, जिसे लालू–राबड़ी के ‘जंगलराज’ के विपरीत प्रस्तुत किया गया। चुनाव प्रचार में केंद्र व राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाएं—खासकर महिलाओं के लिए—मुख्य आधार रहीं। साथ ही 'कुशासन के काले वर्षों' की याद दिलाकर वोटरों की भावनाओं को एक बार फिर NDA के पक्ष में संगठित किया गया। BJP नेताओं ने नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर उठी चिंताओं को दरकिनार करते हुए उन्हें गठबंधन का निर्विवाद नेता माना।

NDA एकता का संदेश

प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने बिहार में 13 जनसभाएं कीं और पटना में एक बड़े रोड शो का नेतृत्व किया। उन्होंने शुरुआत से ही सभी सहयोगियों से संवाद बनाए रखा और उम्मीदवारों की घोषणा के बाद उत्पन्न हुई आपसी नाराजगियों को दूर किया, जिससे NDA की एकजुटता और मजबूत दिखाई दी।

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