बिहार चुनाव 2025: फिर से बदलेगा खगड़िया का राजनीतिक रंग?
Bihar Assembly Elections 2025: अब तक इस सीट पर 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस ने 5 बार, जेडीयू ने 3 बार, भाजपा, संयुक्त समाजवादी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2-2 बार जीत हासिल की है. वहीं, जनता पार्टी, सीपीआई और एलजेपी ने 1-1 बार जीत दर्ज की है.
Khagaria Assembly Seat: बिहार के खगड़िया जिले की खगड़िया विधानसभा सीट चुनावी नजरिए से बेहद खास मानी जाती है.इस सीट का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. साल 1951 में बनी यह सीट कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करती थी. लेकिन अब यहां लड़ाई राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच कांटे की हो गई है.
अब तक किसने मारी बाजी?
अब तक इस सीट पर 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस ने 5 बार, जेडीयू ने 3 बार, भाजपा, संयुक्त समाजवादी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2-2 बार जीत हासिल की है. वहीं, जनता पार्टी, सीपीआई और एलजेपी ने 1-1 बार जीत दर्ज की है. हाल के वर्षों में यह सीट एनडीए बनाम महागठबंधन की सीधी लड़ाई बन चुकी है.
चुनाव दर चुनाव कहानी
1952-62: कांग्रेस की जीत
1967-69: संयुक्त समाजवादी पार्टी के राम बहादुर आजाद जीते
1972-77: राम शरण यादव ने जनसंघ और निर्दलीय के रूप में बाजी मारी
1980: जनता पार्टी की वापसी
1985: फिर कांग्रेस ने जीत हासिल की
1990: निर्दलीय रणवीर यादव जीते
1995: भाजपा की चंद्रमुखी देवी ने जीत दर्ज की
2000: सीपीआई के गोगेंद्र सिंह विजयी रहे
2005-2015: जेडीयू की पूनम देवी यादव ने लगातार तीन बार जीतकर रिकॉर्ड बनाया
2020: कांग्रेस के छत्रपति यादव ने पूनम देवी को करीब 3,000 वोटों से हराया
इस चुनाव में एलजेपी की रेणु कुमारी ने 20,719 वोट हासिल किए और जेडीयू की हार में अहम भूमिका निभाई.
जातीय समीकरण
खगड़िया में मतदाता संख्या और जातीय समीकरण चुनावी नतीजों को सीधा प्रभावित करते हैं. 2020 में यहां 2.60 लाख वोटर थे, जो 2024 तक बढ़कर 2.67 लाख हो गए हैं.
वैश्य: 50,000
यादव: 32,000
दलित: 30,000
मुस्लिम: 24,000
अगड़ी जाति (ब्राह्मण-भूमिहार): 20,000
कुर्मी: 18,000
कोयरी: 16,000
पासवान: 15,000
सहनी: 15,000
अन्य: 45,000
यादव और मुस्लिम वोटर आमतौर पर राजद और कांग्रेस का समर्थन करते हैं. वहीं, भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी और कोयरी का रुझान भाजपा और जदयू की तरफ देखा जाता है. दलित और पासवान समुदाय की भूमिका भी अहम मानी जाती है, जो अक्सर लोजपा या अन्य दलित पार्टियों की तरफ झुकते हैं.
प्रमुख मुद्दे
खगड़िया का बड़ा हिस्सा गंगा, बूढ़ी गंडक, बागमती और कोसी नदियों के किनारे बसा है, जिस कारण यहां हर साल बाढ़, कटाव और पुनर्वास बड़ी समस्या रहती है.
स्थानीय मुद्दे
* बाढ़ और जलजमाव
* बेरोजगारी
* कृषि संकट
* शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
* पुनर्वास और मूलभूत संरचनाओं की बदहाली
2025 में किसकी होगी जीत?
अब सबकी नजरें 2025 के चुनाव पर हैं. क्या कांग्रेस फिर से जीत दोहराएगी या जेडीयू वापसी करेगी? क्या एलजेपी तीसरे मोर्चे की तरह उभरेगी? जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और गठबंधन की रणनीति— यही तय करेंगे कि खगड़िया की जनता इस बार किसके सिर पर जीत का ताज रखती है.