एक्सक्लूसिव : नामांकन की अंतिम तिथि में महज चार दिन बाकी, टूट की कगार पर महागठबंधन
गठबंधन को अब तक की सबसे कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें तेजस्वी बेनतीजा वार्ता के बाद पटना लौट रहे हैं, कांग्रेस अपनी मांग पर अड़ी हुई है और सहनी अपनी अलग राह तय करने के संकेत दे रहे हैं।
Bihar Elections 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की समयसीमा में अब सिर्फ़ चार दिन बचे हैं, लेकिन विपक्षी महागठबंधन (ग्रैंड अलायंस) गहरे संकट में फँसा नज़र आ रहा है। सीट बंटवारे को लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच चली बातचीत सोमवार (13 अक्टूबर) को बेनतीजा रही। नाराज़ आरजेडी नेता और गठबंधन के मुखौटे तौर पर मुख्यमंत्री पद के चेहरे तेजस्वी यादव दिल्ली से पटना लौट गए , बिना कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाक़ात किए।
सीट बंटवारे की बातचीत में दो बड़े अवरोध
बैठक से जुड़े सूत्रों ने द फ़ेडरल को बताया कि सोमवार की बातचीत में दो बड़े अवरोध उभरकर सामने आए, जिससे गठबंधन टूटने की कगार पर पहुँच गया।
पहला, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी का सीटों की माँग कम करने से इनकार। आरजेडी और कांग्रेस उन्हें अधिकतम 18 सीटें देने पर राज़ी थीं, लेकिन सहनी 30 सीटों से नीचे आने को तैयार नहीं हुए। इससे गठबंधन के बाकी नेताओं में यह धारणा बन गई कि सहनी शायद गठबंधन छोड़ने की तैयारी में हैं।
इसी बीच, सहनी का बिना किसी आधिकारिक समझौते के अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को “चिह्न बाँटना” शुरू करना सभी सहयोगी दलों को नाराज़ कर गया है।
कांग्रेस का रुख़ बना महागठबंधन के लिए झटका
हालाँकि, गठबंधन की स्थिरता के लिए सबसे बड़ा “अप्रत्याशित झटका” सहनी की ज़िद नहीं थी, बल्कि कांग्रेस का अचानक बदला हुआ रुख़ था।
पिछले कई महीनों से कांग्रेस सार्वजनिक रूप से कहती आ रही थी कि उसे सीटों की संख्या से नहीं, बल्कि “गुणवत्ता” से मतलब है। मगर सोमवार की बैठक में कांग्रेस ने अचानक 70 सीटों की माँग कर दी और कहा कि “2020 वाला फ़ॉर्मूला” दोबारा लागू किया जाए।
तेजस्वी यादव और आरजेडी के नेता संजय यादव तथा मनोज झा ने यह प्रस्ताव आते ही ख़ारिज कर दिया। कांग्रेस की ओर से बैठक में के.सी. वेणुगोपाल, पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार, आरजेडी ने कांग्रेस नेताओं से साफ़ कहा कि 70 सीटों की माँग ज़मीनी हक़ीक़त से परे है। पार्टी ने याद दिलाया कि 2020 में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, पर वह उनमें से सिर्फ़ 19 ही जीत पाई थी और “उसी कारण महागठबंधन सरकार बनने से रह गया था।”
आरजेडी का कहना था कि वह “वही गलती दोबारा नहीं दोहराएगी।”
आरजेडी ने 58–60 सीटों की पेशकश की, कांग्रेस अड़ी रही
सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी कांग्रेस को “58 से 60 सीटों” से ज़्यादा देने को तैयार नहीं थी। आरजेडी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस महज़ 10–12 सीटों के लिए गठबंधन को तोड़ने पर तुली हुई है, जो “घमंड और अव्यावहारिकता” दर्शाता है।
एक आरजेडी नेता ने कहा कि अगर ये अतिरिक्त सीटें कांग्रेस को दी जाती हैं, तो उन इलाक़ों में एनडीए को “वॉकओवर” मिल जाएगा। आरजेडी नेताओं ने यह भी याद दिलाया कि 2020 में एनडीए को महागठबंधन से केवल 15 सीटें ज़्यादा मिली थीं — और अगर कांग्रेस को ऐसी सीटें दी गईं जहाँ उसके हारने की संभावना ज़्यादा है, तो वही नतीजा दोहराया जा सकता है।
कांग्रेस का तर्क — 2020 जैसी स्थिति अब नहीं
कांग्रेस का कहना है कि बिहार का मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य 2020 से बिल्कुल अलग है। पार्टी का दावा है कि राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” और “अति पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और दलित मतदाताओं के बीच सक्रियता” के कारण उसके चुनावी हालात बेहतर हुए हैं। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अगर मुकेश सहनी गठबंधन छोड़ देते हैं, तो VIP के लिए छोड़ी गई सीटें “बाकी सहयोगियों में समान रूप से बाँट दी जानी चाहिए।”
लेकिन आरजेडी इस प्रस्ताव से सहमत नहीं है।
आरजेडी की नई रणनीति — सहनी के विकल्प तलाशे जा रहे हैं
पिछले कुछ दिनों से आरजेडी, सहनी की संभावित विदाई को ध्यान में रखते हुए, गठबंधन का सामाजिक आधार मज़बूत करने में जुटी है। द फ़ेडरल की 11 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार, आरजेडी लगातार एनडीए से नेताओं को अपनी ओर खींच रही है। ख़ास तौर पर भूमिहार और कुशवाहा समुदाय से आने वाले नेताओं को, जो बिहार की आबादी के लगभग 9% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसके साथ ही, आरजेडी ने इंडियन इनक्लूसिव पार्टी (IIP) के प्रमुख आई.पी. गुप्ता से समझौता कर लिया है, जिनका प्रभाव अति पिछड़े ‘तांती-तत्व’ समुदाय में है।
साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के हेमंत सोरेन और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख पशुपति पारस से भी गठबंधन में शामिल होने की बातचीत चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने IIP, JMM और RLJP को 2-3 सीटें देने का प्रस्ताव दिया है, जो कुल मिलाकर उन सीटों का लगभग एक-तिहाई हैं, जिन पर सहनी की पार्टी VIP दावेदारी कर रही थी।
तेजस्वी की चेतावनी — “कांग्रेस ज़्यादा न खींचे बात”
पटना लौटने से पहले तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को चेताया कि उनकी पार्टी सीट बंटवारे का “आपसी समाधान 14 अक्टूबर तक” चाहती है ताकि गठबंधन “बिहार के हित में” एकजुट रह सके। लेकिन अगर कांग्रेस ने दबाव जारी रखा, तो “गठबंधन तोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।”
कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया है कि बातचीत में “कोई बड़ी समस्या नहीं” है और मंगलवार को पटना में सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
कांग्रेस ने मंगलवार को अपनी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई है और बुधवार तक अपने पहले उम्मीदवारों की सूची जारी करने की संभावना है, जिनमें ज़्यादातर वे सीटें होंगी जो पहले चरण में (6 नवंबर) मतदान वाली हैं।
उधर एनडीए में भी असंतोष उबल रहा
महागठबंधन की यह अंतर्विरोधी स्थिति उस समय आई है जब एनडीए ने भी रविवार (12 अक्टूबर) को अपना सीट बंटवारा घोषित किया है, मगर वहाँ भी असंतोष है। समझौते के अनुसार, बीजेपी और नीतीश कुमार की जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं, जबकि उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 6-6 सीटें दी गई हैं।
मांझी और कुशवाहा दोनों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्हें “कम आंका गया है”, और इससे एनडीए की जीत की संभावनाएँ प्रभावित होंगी।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक इस समझौते पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि उनकी पार्टी के नेता संजय झा का दावा है कि “गठबंधन की जीत तय है।”
महागठबंधन बनाम एनडीए — पटना में टकराव तय
आरजेडी नेताओं को लगता है कि एनडीए के भीतर का यह असंतोष महागठबंधन के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन वे यह भी स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस की ज़िद 2020 फ़ॉर्मूले पर 70 सीटों की माँग, उस संभावित लाभ को नकार सकती है। अब जब तेजस्वी यादव पटना लौट चुके हैं, सबकी निगाहें मंगलवार (14 अक्टूबर) पर टिकी हैं।
क्या कांग्रेस 2020 वाला फ़ॉर्मूला दोहराने पर अड़ी रहेगी?
क्या मुकेश सहनी महागठबंधन में रहेंगे या अलग राह अपनाएँगे, जैसा उन्होंने हाल ही में ‘X’ (ट्विटर) पर संकेत दिया था? क्या तेजस्वी कुछ सीटें छोड़कर गठबंधन को बचा पाएँगे? इन सब सवालों के जवाब मंगलवार को पटना की राजनीति से सामने आएँगे।