महागठबंधन का झटका: बिहार में राहुल-तेजस्वी क्यों फेल हुए? Talking Sense with Srini

हालांकि, भाजपा ने अपने सहयोगी दल से सीटों के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन अपने 'सुचारू चुनावी रथ' के कारण जनादेश की वैधता पूरी तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ में है।

Update: 2025-11-14 17:23 GMT
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बिहार ने 2025 विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को ऐतिहासिक जनादेश दिया। एनडीए ने 243 सीटों वाली विधानसभा में 200 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया, जबकि महागठबंधन दूसरे स्थान पर सिमट गया।

द फेडरल के एडिटर इन चीफ एस. श्रीनिवासन ने 'Talking Sense With Srini' कार्यक्रम में इसका विश्लेषण करते हुए इसे भाजपा की संगठनात्मक ताकत से समर्थित नीतीश कुमार के लिए मिला जनादेश करार दिया।

श्रीनिवासन के अनुसार, हालांकि भाजपा ने सीटों की संख्या में अपने सहयोगी JDU को पीछे छोड़ दिया, लेकिन इस जीत की वैधता पूरी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता पर टिकी हुई है। उन्होंने कहा कि चुनावी अभियान के दौरान उनके सबसे कट्टर विरोधियों ने भी उन्हें सीधे आलोचना नहीं की।


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महिला मतदाताओं का निर्णायक योगदान

श्रीनिवासन ने कहा कि महिलाओं के वोट ने चुनाव परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित किया। बिहार में महिला और पुरुष मतदान में 9–10 प्रतिशत का अंतर देखा गया, जिसमें महिलाओं ने नीतीश कुमार के पक्ष में मजबूत मतदान किया। इस सफलता के पीछे कई लक्षित योजनाएं थीं। जैसे कि छात्राओं के लिए साइकिल योजना, सेनेटरी पैड वितरण योजनाएं और शराब पर रोक, जिनसे घरेलू हिंसा और सड़क पर उत्पीड़न में कमी आई।

महागठबंधन के पतन में राहुल गांधी की भूमिका

महागठबंधन की हार के कारणों का विश्लेषण करते हुए श्रीनिवासन ने राहुल गांधी की असंगत भूमिका को अहम बताया। उन्होंने कहा कि शुरुआती उत्साह के बावजूद, जब राहुल ने तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त अभियान चलाया, उसके बाद वह “40 दिनों तक गायब रहे” और मतगणना के दिन भी उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने आगे कहा कि असंगत नेतृत्व, खराब टिकट वितरण और आंतरिक कलह ने महागठबंधन को कमजोर किया। कांग्रेस अपने बनाए गए कथानक को पूरा नहीं कर पाई और संगठनात्मक कमजोरी व नेतृत्व की कमी के कारण मुद्दों को चुनावी जीत में बदल नहीं पाई।

एआईएमआईएम के वोट-स्प्लिटर की आशंका

मुस्लिम बहुल इलाकों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन पर श्रीनिवासन ने कहा कि वोट शेयर का आंकड़ा आने तक निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, हालांकि उन्होंने एआईएमआईएम के उदय को संभावित वोट स्प्लिटर के रूप में देखा।

केंद्र सरकार को मिले सशक्त संकेत

श्रीनिवासन ने कहा कि यह जनादेश केंद्र सरकार के लिए भी मजबूत संकेत है, खासकर SIR अभ्यास को लागू करने में। उन्होंने अनुमान लगाया कि आने वाले चुनावी राज्यों में इसकी “काफी आक्रामक” रूपरेखा अपनाई जा सकती है।

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का भविष्य

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को लेकर उन्होंने कहा कि इसे अभी खारिज करना जल्दबाजी होगी। भले ही यह पार्टी सीमित वोट शेयर ही हासिल करे, लेकिन भविष्य में राजनीतिक पकड़ बनाने की संभावनाएं बन सकती हैं।

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