PK की पार्टी का आरोप, चुनाव के लिए नीतीश सरकार ने किया विश्व बैंक फंड का दुरुपयोग

यह मामला अब बिहार सरकार, एनडीए और विपक्षी दलों के बीच चुनावी रणनीति, वित्तीय पारदर्शिता और नैतिकता को लेकर नए विवादों को जन्म दे सकता है।

Update: 2025-11-16 10:08 GMT
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद प्रशांत किशोर की जन सूराज पार्टी ने प्रदेश सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि नीतीश कुमार सरकार ने विकास कार्यों के लिए आने वाले विश्व बैंक के 14,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल चुनावी नतीजे प्रभावित करने के लिए महिलाओं को 10,000 रुपये की नकद सहायता देने में किया।

पार्टी का कहना है कि यह सार्वजनिक संसाधनों का खुला दुरुपयोग और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का अनैतिक प्रयास है। जन सूराज ने इस मामले में विस्तृत जांच की मांग की है। पार्टी प्रवक्ता पवन वर्मा ने बताया कि बिहार का वर्तमान सार्वजनिक कर्ज 4,06,000 करोड़ रुपये है और इसमें प्रति दिन ब्याज 63 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि खजाना खाली हो गया है। इस आरोप पर एनडीए नेतृत्व या बिहार सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सरकारी धन का दुरुपयोग

शनिवार (15 नवंबर) को, जब जन सूराज पार्टी अपने पहले विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी, राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने भत्तों और मुफ्त वितरण के लिए धन का उपयोग किया। उदय सिंह का दावा है कि जून से लेकर चुनाव की घोषणा तक नीतीश कुमार सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये जनता के पैसे का उपयोग वोट खरीदने के लिए किया। उन्होंने कहा कि इसमें से 14,000 करोड़ रुपये विश्व बैंक के कर्ज से निकाले गए, जो इस तरह के दुरुपयोग का अभूतपूर्व उदाहरण है।

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में विवाद

जन सूराज अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि चुनाव से पहले महिलाओं के खातों में लगातार 10,000 रुपये जमा किए गए, जो मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के बावजूद मतदान के पूर्व तक जारी रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे ट्रांसफर से सीमांत पर रहने वाली महिलाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि महिलाओं को दिया गया यह भत्ता बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की व्यापक जीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कारक रहा। उदय सिंह ने कहा कि एनडीए की जीत जनता के पैसे खर्च कर वोट सुरक्षित करने की रणनीति पर आधारित थी।

जंगल राज का डर

उदय सिंह ने यह भी कहा कि सरकार ने पेंशन 700 से बढ़ाकर 1,100 रुपये केवल तभी की, जब जन सूराज ने 2,000 रुपये की योजना का वादा किया। उन्होंने दावा किया कि आरजेडी के तहत जंगल राज लौटने के डर ने कई मतदाताओं को जन सूराज की बजाय एनडीए की ओर मोड़ा। उन्होंने कहा कि कई लोग, जो हमें मौका दे सकते थे, डर के कारण एनडीए को वोट दे गए।

पवन वर्मा ने भी वही आरोप दोहराया और कहा कि चुनाव में खर्च की गई राशि 21,000 करोड़ रुपये के विश्व बैंक फंड से मोड़कर इस्तेमाल की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने से सिर्फ एक घंटे पहले 14,000 करोड़ रुपये निकाले गए और 1.25 करोड़ महिलाओं में वितरित किए गए। वर्मा ने कहा कि ऐसे कामों की नैतिकता पर सवाल उठता है, हालांकि ये कानूनी तौर पर संभव हो सकते हैं, लेकिन अक्सर सरकारें चुनाव के बाद ही स्पष्टीकरण देती हैं।

आगामी चुनावों के लिए चेतावनी

पवन वर्मा ने चेताया कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में भी इसी तरह के नकद वितरण और वादों से मतदाताओं पर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अब राज्य खजाना पूरी तरह खाली हो चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार का वर्तमान सार्वजनिक कर्ज 4,06,000 करोड़ रुपये है और प्रति दिन ब्याज 63 करोड़ रुपये है। खजाना खाली है।

एनडीए की भव्य जीत

वहीं, एनडीए ने बिहार में भारी जीत दर्ज की, 202 सीटें जीतते हुए, जिसमें बीजेपी ने 89 और जेडीयू ने 85 सीटें हासिल कीं। इसके अलावा एलजेपी (राम विलास) और अन्य सहयोगियों ने भी मजबूत प्रदर्शन किया, जिससे नीतीश कुमार की राजनीतिक मजबूती और मोदी की लोकप्रियता पर असर पड़ा। वहीं, आरजेडी नेतृत्व वाले महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसमें आरजेडी केवल 25 सीटों तक सीमित रही और कांग्रेस मात्र 6 सीटों पर रह गई।

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