Bihar Elections 2025: क्या तेजस्वी का ‘नौकरी दांव’ चलेगा या बनेगा जुमला?

तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि 20 दिन में हर परिवार को सरकारी नौकरी मिलेगी। क्या यह बिहार में बदलाव का संकेत है या सिर्फ चुनावी जुमलेबाजी?

By :  Lalit Rai
Update: 2025-10-29 10:15 GMT

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन ने अपने घोषणापत्र का ऐलान कर दिया है। नाम तेजस्वी प्रण और नारा संपूर्ण बिहार और संपूर्ण परिवर्तन दिया गया है। यह नारा पिछले नारे न्याय और बदलाव से अलग है। तेजस्वी यादव ने वैसे तो कई वादे किए गए हैं। लेकिन 20 दिन में हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की बात कही गई है।

महागठबंधन के इस वादे पर महागठबंधन के इस वादे को एनडीए के नेता जुमला मान रहे हैं। लेकिन तेजस्वी यादव का कहना है कि जब 2020 में वो सरकार में आए तो 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था और उसे पूरा भी किया। जो लोग सरकारी फंड का रोना रोते थे। उनको हमने बता दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। उन्हें उम्मीद है कि जनता उस पल को भूली नहीं है और यदि मौका मिला तो महज 20 दिन के भीतर हर एक परिवार में एक सदस्य को नौकरी देंगे।

महागठबंधन के इस वादे को एनडीए के नेता जुमला मान रहे हैं। लेकिन तेजस्वी यादव का कहना है कि जब 2020 में वो सरकार में आए तो 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था और उसे पूरा भी किया। जो लोग सरकारी फंड का रोना रोते थे। उनको हमने बता दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। उन्हें उम्मीद है कि जनता उस पल को भूली नहीं है और यदि मौका मिला तो महज 20 दिन के भीतर हर एक परिवार में एक सदस्य को नौकरी देंगे।

अनौपचारिक तौर पर जब पहली बार तेजस्वी यादव ने 20 दिन में सरकारी नौकरी देने का वादा किया उस समय द फेडरल देश की टीम बिहार के दौरे पर थी। उस वक्त हमने आम लोगों, विपक्षी नेताओं और जानकारों से बातचीत कर समझने की कोशिश कि क्या यह महज जुमला है या धरातल पर उतारा जा सकता है। इस विषय पर छत्तीसगढ़ के बीजेपी सांसद संतोष पांडे ने स्पष्ट तौर पर जुमला करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार की आबादी 14 करोड़ है। अगर औसतन पांच लोगों को का एक परिवार मानें तो परिवार की संख्या ढाई करोड़ के आसपास होगी। अब ढाई करोड़ परिवार से एक सदस्य को नौकरी देंगे तो 2 करोड़ को सरकारी नौकरी देंगे। अब सवाल यह है कि आखिर वो फंड कहां से लाएंगे। दरअसल यह सिर्फ और सिर्फ जुमलेबाजी और सिरे से तेजस्वी यादव को खारिज कर दिया।

यहां पर आप कह सकते हैं कि विपक्ष का काम ही आलोचना करना होता है। ऐसे में हमने आम लोगों से बातचीत की। धरातल पर लोगों की राय भी मिली जुली रही। कैमूर से लेकर पश्चिमी चंपारण तक लोगों का मानना था कि देखिए सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि हकीकत में बिहार की जनता को सभी राजनीतिक दलों ने बेवकूफ ही बनाया है। छात्रों का कहना है कि देखिए तेजस्वी यादव ने सरकार में रहते हुए अपने वादे को हकीकत में तब्दील किया। लेकिन रोजगार और सरकारी नौकरी में फर्क है। बिहार की आर्थिक स्थिति इस तरह की नहीं है कि इतने बड़े बोझ को वहन कर सके। अगर आप सही मायनों में समझें तो बिहार को अब जुमलों या नारों की नहीं जमीन पर काम करने की आवश्यकता है। हकीकत में बिहार को यहां के राजनीतिक दलों ने हमेशा छलने का काम ही किया है। 


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