तेजस्वी के नेतृत्व में एकजुट हुआ गठबंधन, NDA में बढ़ी बेचैनी!
छठ पूजा के बाद बिहार में चुनावी माहौल पूरी तरह गरमाने वाला है। दोनों गठबंधन महागठबंधन और NDA अब मतदाताओं के बीच एकजुटता, स्पष्ट नेतृत्व और सीट समन्वय के मुद्दों पर परखे जाएंगे।
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव को आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए महागठबंधन (INDIA Bloc) का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। यह घोषणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने गुरुवार (23 अक्टूबर) को पटना में हुए संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। इस ऐलान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब महागठबंधन अंदरूनी मतभेदों और सीट बंटवारे के विवादों से जूझ रहा था।
गहलोत की बिहार यात्रा से सुलझी खींचतान
सूत्रों के मुताबिक, अशोक गहलोत की एक दिन पहले की बिहार यात्रा का मुख्य उद्देश्य राजद, कांग्रेस और वामदलों के बीच मतभेदों को सुलझाना और चुनाव से पहले एकजुटता दिखाना था। पिछले कुछ हफ्तों से कई दलों ने एक ही सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिए थे, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। राजनीतिक विश्लेषक अशोक मिश्रा ने बताया कि तेजस्वी के नाम की घोषणा से “लंबे समय से चला आ रहा नेतृत्व का विवाद खत्म” हो गया है और कार्यकर्ताओं में नया जोश देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि अब महागठबंधन एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है।
सीट ओवरलैप और जमीनी समन्वय की चुनौती
हालांकि, मिश्रा ने यह भी माना कि सीट ओवरलैप और समन्वय की चुनौतियां अभी बनी हुई हैं। उन्होंने बताया कि कुछ सीटों पर दो अलग-अलग दलों के उम्मीदवारों ने नामांकन किया है, जिन्हें अब हटाया जाएगा, ताकि गठबंधन का वोट बैंक न बंटे। महागठबंधन के नेता पुनीत निकोलस यादव ने बताया कि “ओवरलैपिंग सीटों वाले उम्मीदवारों से बात की जा रही है और समय सीमा से पहले नाम वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है।” उन्होंने कहा कि वास्तविक परीक्षा “जमीनी स्तर पर तालमेल” की होगी।
NDA में भी नेतृत्व पर सस्पेंस
दूसरी ओर, बिहार की सत्ता में मौजूद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अब तक अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, भाजपा ने कहा है कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, लेकिन पार्टी के भीतर इस पर अस्पष्टता बनी हुई है। यादव ने बताया कि “नीतीश कुमार ने भाजपा को साफ किया है कि वह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करेंगे और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रत्याशियों वाले क्षेत्रों में प्रचार नहीं करेंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने जहां तेजस्वी यादव को नेतृत्व सौंप दिया है, वहीं भाजपा को भी स्पष्ट करना चाहिए कि उनका मुख्यमंत्री चेहरा कौन है।
नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल
अशोक मिश्रा ने बताया कि भाजपा के भीतर कई नेता यह मानते हैं कि चुनाव के बाद अगर जदयू की सीटें कम रहीं तो नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बने रहना मुश्किल हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ हलकों में नीतीश के बेटे निशांत कुमार को लेकर चर्चा है, लेकिन उनके पास न तो प्रशासनिक अनुभव है और न ही राजनीतिक पकड़।
दोनों गठबंधनों पर बढ़ा दबाव
पुनीत यादव ने कहा कि तेजस्वी यादव को उम्मीदवार घोषित करने के बाद महागठबंधन ने “अंदरूनी ढांचे को फिलहाल स्थिर कर लिया है।” अब चुनौती यह है कि चुनाव अभियान के दौरान शीर्ष नेतृत्व तेजस्वी यादव और राहुल गांधी दोनों लगातार सक्रिय रहें और जमीनी स्तर पर तालमेल बनाए रखें। उन्होंने कहा कि NDA भी अंदरूनी खींचतान से मुक्त नहीं है। जैसे महागठबंधन ने अपने मतभेद सुलझाने की कोशिश की है, वैसे ही भाजपा गठबंधन को भी अपने अंदर के असंतोष से निपटना होगा।
त्योहारों के बाद तेज़ होगा चुनावी संग्राम
छठ पूजा के बाद बिहार में चुनावी माहौल पूरी तरह गरमाने वाला है। दोनों गठबंधन महागठबंधन और NDA अब मतदाताओं के बीच एकजुटता, स्पष्ट नेतृत्व और सीट समन्वय के मुद्दों पर परखे जाएंगे।