वारिसलीगंज विधानसभा का इतिहास, 25 साल से सिर्फ दो चेहरों के बीच जंग
बिहार के नवादा जिले में वारिसलीगंज विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास भाजपा, कांग्रेस और भाकपा के बीच बदलता रहा। वर्तमान में अरुणा देवी मजबूत दावेदार हैं।
बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके पहले ही राज्य में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है और सियासी उठापटक देखने को मिल रही है। द फेडरल देश की सीरीज ‘सीट का मिजाज’ में वारिसलीगंज विधानसभा सीट पर नजर डालेंगे।वारिसलीगंज सीट से वर्तमान में भाजपा की अरुणा देवी विधायक हैं। इसके अलावा, अशोक महतो के भतीजे और सहयोगी प्रदीप कुमार दो बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं।
नवादा जिला और वारिसलीगंज
बिहार के 38 जिलों में से नवादा भी एक महत्वपूर्ण जिला है। नवादा दो अनुमंडल और 14 ब्लॉकों में बंटा है। जिले में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर और वारिसलीगंज। वारिसलीगंज विधानसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी।
सीट का चुनावी इतिहास
1957: कांग्रेस की जीत
पहले चुनाव में वारिसलीगंज से दो विधायक चुने गए—एक अनुसूचित जाति और एक सामान्य वर्ग से। दोनों की जीत कांग्रेस के नाम रही। चेतु राम और रामकिशुन सिंह विधानसभा पहुंचे।
1962: सामान्य सीट
कांग्रेस के रामकिशुन सिंह ने 3,465 वोट से जीत दर्ज की। भाकपा के देवनंदन प्रसाद दूसरे स्थान पर रहे।
1967 और 1969: भाकपा का वर्चस्व
1967 में रामकिशुन सिंह को हार मिली और भाकपा के देवनंदन प्रसाद 6,711 वोट से विजयी हुए। 1969 में भी देवनंदन प्रसाद ने जीत दर्ज की, उन्होंने भारतीय जनसंघ के राम रतन सिंह को हराया।
1972: कांग्रेस की वापसी
श्याम सुंदर प्रसाद सिंह (कांग्रेस) ने दो बार के विधायक देवनंदन प्रसाद को 5,069 वोट से मात दी।
1977: जनता पार्टी की जीत
राम रतन सिंह (जनता पार्टी) ने भाकपा के देवनंदन प्रसाद को 6,042 वोट से हराया। श्याम सुंदर प्रसाद तीसरे नंबर पर रहे।
1980 और 1985: कांग्रेस का वर्चस्व
बंदी शंकर सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1980 में उन्होंने देवनंदन प्रसाद को 11,919 वोट से हराया। 1985 में उन्होंने निर्दलीय चंदश्वेर सिंह को 43,863 वोट से मात दी।
1990: हार का सामना
बंदी शंकर सिंह को 1990 में हार मिली। भाकपा के देवनंदन प्रसाद 39,893 वोट लेकर विजयी हुए।
1995: रामश्रय प्रसाद सिंह की जीत
कांग्रेस के रामश्रय प्रसाद सिंह ने भाकपा के केदार प्रसाद को 12,268 वोट से हराया।
2000: अरुणा देवी की शुरुआत
निर्दलीय उम्मीदवार अरुणा देवी ने राजद के मणिलाल चौधरी को 44,713 वोट से हराया। फरवरी 2005 में लोजपा के टिकट से जीत हासिल की।
अक्टूबर 2005: प्रदीप कुमार की जीत
निर्दलीय प्रदीप कुमार ने अरुणा देवी को मात्र 555 वोट से हराया।
2010: जदयू की जीत
प्रदीप कुमार ने जदयू के टिकट से चुनाव जीतकर कांग्रेस की अरुणा देवी को 5,428 वोट से मात दी।
2015: अरुणा देवी की वापसी
भाजपा के टिकट पर अरुणा देवी ने प्रदीप कुमार को 19,527 वोट से हराया।
2020: अरुणा देवी की दूसरी जीत
भाजपा की अरुणा देवी ने कांग्रेस के सतीश कुमार को 9,618 वोट से मात दी। प्रदीप महतो की पत्नी भी चुनाव में थीं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इस तरह वारिसलीगंज सीट का चुनावी इतिहास भाजपा, कांग्रेस, जनता पार्टी और भाकपा के बीच कई बार बदलता रहा है। वर्तमान में भाजपा की अरुणा देवी इस सीट पर मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं।