अनिल अंबानी सेबी के आदेश की कर रहे हैं समीक्षा, ले रहे हैं क़ानूनी सलाह

भारतीय स्टेट बैंक ने नवीनतम याचिका इस चिंता के साथ दायर की है कि चीनी बैंक अनिल अंबानी की संपत्ति जब्त करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि यू.के. कोर्ट के एक फैसले में उन्हें 717 मिलियन डॉलर का भुगतान करने को कहा गया है

Update: 2024-08-25 11:54 GMT

Ban on Anil Ambani by SEBI: सेबी द्वारा पांच साल के लिए प्रतिबन्ध लगाने के आदेश को लेकर उद्योगपति अनिल अंबानी इस मामले में क़ानूनी सलाह मश्वरा कर रहे हैं. अनिल अम्बानी के प्रवक्ता के अनुसार सेबी के उस आदेश की समीक्षा की जा रही है, जिसमें कथित फंड डायवर्जन मामले में अनिल अम्बानी पर जुर्माना लगाया गया है और पूंजी बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.


समीक्षा और क़ानूनी सलाह 
अनिल अम्बानी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अंबानी ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से संबंधित मामले में सेबी के 11 फरवरी, 2022 के अंतरिम आदेश के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर लिमिटेड के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है. बयान में जानकारी दी गयी है कि वो पिछले ढाई साल से उक्त अंतरिम आदेश (11 फरवरी, 2022) का अनुपालन कर रहे हैं.
22 अगस्त के आदेश पर जिसमें उन्हें और 24 अन्य को फंड डायवर्जन के आरोप में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, प्रवक्ता ने कहा, "अनिल अंबानी उक्त मामले में सेबी द्वारा पारित 22 अगस्त, 2024 के अंतिम आदेश की समीक्षा कर रहे हैं, और कानूनी सलाह के अनुसार उचित अगला कदम उठाएंगे." सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया ( SEBI ) ने भी अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने रिलायंस होम फाइनेंस से फंड "हड़पने" की योजना बनाई थी, जो कि रिलायंस समूह की एक सूचीबद्ध सहायक कंपनी है, जिसके वे अध्यक्ष हैं.
प्रतिबंध का अर्थ ये है कि वह और अन्य 24 व्यक्ति सिक्योरिटीज ( शेयर ) बाजार तक नहीं पहुंच पाएंगे तथा उन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या अन्य प्रकार से लेनदेन करने पर प्रतिबंध रहेगा.

 रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ कोई निर्देश नहीं दिए गए !

एक अलग बयान में, मुंबई में सूचीबद्ध रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की ओर से कहा गया कि वो "सेबी के समक्ष कार्यवाही में नोटिस प्राप्तकर्ता या पक्ष नहीं थी, जिसमें आदेश पारित किया गया है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ आदेश में कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं."
इसमें कहा गया है, "अनिल अंबानी ने उसी कार्यवाही में सेबी द्वारा पारित 11 फरवरी, 2022 के अंतरिम आदेश के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था. इसलिए, सेबी द्वारा पारित 22 अगस्त, 2024 के आदेश का रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के व्यवसाय और मामलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा."

अनिल अंबानी के समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनी रिलायंस पावर ने भी इसी तरह का बयान जारी कर कहा कि अंबानी ने 2022 में इस्तीफा दे दिया है और सेबी के नवीनतम आदेश का उस पर कोई असर नहीं होगा.

सेबी ने 22 अगस्त के आदेश में कहा था कि एक "धोखाधड़ी" योजना के तहत रिलायंस होम फाइनेंस, जो आवास और निर्माण के लिए ऋण प्रदान करती है, से धन की "हेराफेरी" की गई, तथा इसे ऋण-अयोग्य उधारकर्ताओं को ऋण के रूप में प्रस्तुत किया गया.

नियामक ने कहा था कि इनमें से अधिकांश उधारकर्ता "प्रमोटरों" से जुड़े हुए थे
अनिल अंबानी और उनके बड़े भाई मुकेश ने जुलाई 2006 में अपने पिता धीरूभाई अंबानी द्वारा बनाई गई रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को विभाजित कर दिया था. अनिल अंबानी के रिलायंस समूह में वित्तीय सेवाएं, बुनियादी ढांचा और दूरसंचार शामिल थे, जबकि बड़े भाई को पारंपरिक तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल्स कारोबार मिला था. 
पिछले कुछ वर्षों में, अनिल अंबानी ने समूह की तीन सबसे बड़ी कंपनियों, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को बकाया कर्ज के कारण दिवालिया होते देखा है. सेबी ने आरोप लगाया है कि रिलायंस होम फाइनेंस से 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण "अज्ञात उधारकर्ताओं को दिया गया, जिनके पास इसे चुकाने की कोई वित्तीय क्षमता नहीं थी". प्रतिबंधित किए गए अन्य 24 लोगों में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह और उनसे जुड़ी अन्य गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के अधिकारी शामिल हैं.

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)


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