हीरा- वस्त्र पर मंडराया टैरिफ संकट, ट्रंप की नीति से उद्योग सहमा

डोनाल्ड ट्रंप के 25% टैरिफ से सूरत-मुंबई के रत्न और वस्त्र उद्योग में हड़कंप मचा हुआ है। निर्यात पर संकट की वजह से लाखों नौकरियों पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।;

Update: 2025-08-01 04:28 GMT
भारत के रत्न और आभूषण निर्यात में अमेरिका का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है, जिसमें प्रयोगशाला में विकसित पत्थरों का हिस्सा लगभग आधा है। प्रतीकात्मक तस्वीर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की अचानक घोषणा से भारत के हीरा, रत्न-जवाहरात और वस्त्र उद्योगों में खासा संकट पैदा हो गया है, विशेष रूप से सूरत और मुंबई जैसे प्रमुख विनिर्माण केंद्रों में। इस अप्रत्याशित कदम से पहले से चले आ रहे ऑर्डर अधर में लटक गए हैं, जिससे व्यापारियों और उद्योग के अन्य हितधारकों में वित्तीय नुकसान और भविष्य की अनिश्चितता को लेकर चिंता गहरा गई है।

गहनों के ऑर्डर लटके

सूरत ज्वेलरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित कोरत ने कहा, हम इस टैरिफ की इतनी जल्द घोषणा की उम्मीद नहीं कर रहे थे। इससे पहले से लिए गए ऑर्डर और व्यापारिक प्रतिबद्धताएं असमंजस में आ गई हैं। उन्होंने बताया कि "इस वजह से भविष्य के किसी भी उत्पादन को रोकना पड़ सकता है। फिलहाल व्यापारी जून में लास वेगास में आयोजित जेसीके प्रदर्शनी में मिले ऑर्डरों को पूरा करने में लगे हैं। अगर ये ऑर्डर पुराने टैरिफ व्यवस्था में प्रोसेस नहीं हो पाए तो भारी नुकसान होगा।

हीरा उद्योग पर गहराया संकट

सूरत का हीरा व्यापार पहले से ही मंदी, चीन से घटती मांग, रूस-यूक्रेन युद्ध और लैब-ग्रो डायमंड्स से मिल रही प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। अब नया टैरिफ इस संकट को और गहरा करने वाला है।रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) के चेयरमैन दिनेश नवडिया ने बताया, "अमेरिका भारत के रत्न और ज्वेलरी निर्यात का लगभग 30% हिस्सा खरीदता है, जिसमें से लगभग आधे हिस्से में लैब-ग्रो हीरे शामिल हैं। अब इन पर 29% ड्यूटी लग रही है। इससे हमारा अमेरिकी निर्यात बुरी तरह प्रभावित होगा।"

लैब-ग्रो डायमंड्स पर अतिरिक्त मार

लैब ग्रोन डायमंड एसोसिएशन (LGDA), सूरत के अध्यक्ष बाबू वाघानी ने कहा, "लैब ग्रोन डायमंड सेक्टर में मुनाफे का मार्जिन महज 2% है। ऐसे में इतनी बड़ी ड्यूटी को समायोजित करना असंभव है। अगर व्यापारी कीमत बढ़ाएंगे तो ग्राहक उसे स्वीकार नहीं करेंगे।"

छोटे व्यापारियों पर सबसे बड़ा असर

यूक्रेन युद्ध और मध्य-पूर्व की अस्थिरता से जूझ रहे व्यापार पर यह नया टैरिफ और भी ज्यादा दबाव डालेगा। GJEPC के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक रत्न-जवाहरात निर्यात ₹2.17 लाख करोड़ रहा, जो 2023-24 की समान अवधि में ₹2.46 लाख करोड़ था।ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने कहा, "इस टैरिफ का सबसे अधिक नुकसान छोटे और मझोले व्यापारियों को होगा। हम अनुमान लगाते हैं कि इससे करीब 1 लाख नौकरियां जा सकती हैं। पिछली बार 10% टैरिफ लगने पर लगभग 50,000 कामगार प्रभावित हुए थे।"

वस्त्र उद्योग को तगड़ा झटका

सूरत का वस्त्र उद्योग जो 2017 से ही संकट में चल रहा है, अब इस टैरिफ के कारण और अधिक दबाव में आ गया है। फेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (FOSTTA) के अध्यक्ष चंपालाल बोथरा ने कहा, "भारत का वस्त्र उद्योग, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, पहले से ही कई नीतिगत झटकों से जूझ रहा है। अब ट्रंप प्रशासन की नई टैरिफ वृद्धि ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।"

उन्होंने कहा, "इस फैसले से भारतीय निर्यातक चीन, वियतनाम और बांग्लादेश के मुकाबले पिछड़ जाएंगे। सूरत के वस्त्र निर्यात का लगभग 35% अमेरिका को होता है, और अब उन पर 12 से 13 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगेगा।

सरकारी सहयोग की मांग

बोथरा ने कहा कि FOSTTA ने केंद्र सरकार से मौजूदा प्रोत्साहन योजनाओं को और सशक्त करने की मांग की है ताकि भारतीय व्यापारी प्रतिस्पर्धा में बने रह सकें। यदि सरकार सब्सिडी और प्रोत्साहन नहीं बढ़ाती तो छोटे और मझोले व्यापारी टिक नहीं पाएंगे। अमेरिका का यह टैरिफ फैसला भारत के रत्न-जवाहरात और वस्त्र उद्योगों के लिए एक गंभीर झटका साबित हो सकता है। इसका असर न केवल व्यापारिक संतुलन पर पड़ेगा, बल्कि लाखों रोजगारों पर भी संकट खड़ा करेगा। उद्योग संगठनों ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि भारतीय निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बराबरी मिल सके।

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