दो टैक्स रिजीम कांग्रेस को अब पसंद नहीं, लेकिन विरोध की क्या है वजह

देश में टैक्सपेयर ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइल करते हैं. यह व्यवस्था पहले से ही अमल में लाई जा रही है हालांकि कांग्रेस ने अब ऐतराज जताया है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-24 04:15 GMT

Old and New Tax Regime: 23 जुलाई को पेश बजट की सियासी दल अपने अपने ढंग से व्याख्या कर रहे हैं. कोई कागज का टुकड़ा बता रहा है तो किसी को गैर बीजेपी शासित राज्यों से भेदभाव नजर आ रहा है.इन सबके बीच कांग्रेस ने दो टैक्स रिजीम की आलोचना की है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि देश में टैक्सपेयर के पास टैक्स भरने के दो विकल्प हैं. ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर तरह तरह के सर्टिफिकेट पेश कर रिबेट लेता है. लेकिन न्यू टैक्स रिजीम में आप की कमाई पर टैक्स लगता है किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती. वित्त मंत्री ने न्य टैक्स रिजीम में कई ऐलान किये. हालांकि कांग्रेस का मानना है कि देश में टैक्स व्यवस्था से सिर्फ लोगों में भ्रम का निर्माण हो रहा है.

दो कर व्यवस्था 'बैड आइडिया'
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम दो आयकर व्यवस्थाएं रखना एक बुरा विचार है इससे कर मध्यस्थता की स्थिति पैदा होगी और लोग भ्रमित हो जाएंगे कि कौन सी व्यवस्था चुनें। बता दें कि मध्यम वर्ग को राहत देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मानक कटौती को 50 प्रतिशत बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया और नई आयकर व्यवस्था के तहत कर स्लैब में बदलाव किया, ताकि वेतनभोगी वर्ग के हाथों में खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अधिक पैसा उपलब्ध कराया जा सके। यह पूछे जाने पर कि क्या इस कदम से लोगों को पुरानी कर व्यवस्था से नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, चिदंबरम ने कहा कि कहा, "यदि आप नई कर व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, तो आपको इसकी घोषणा पहले ही कर देनी चाहिए और कहना चाहिए कि इस वित्तीय वर्ष से सभी को नई कर व्यवस्था अपनानी होगी। दो कर व्यवस्थाएं अस्वीकार्य हैं। लोग भ्रमित हो जाएंगे'

'कर विवाद के मामले बढ़ेंगे'
इससे कर मध्यस्थता की स्थिति पैदा होगी और लोग भ्रमित हो जाएंगे कि उन्हें पुरानी व्यवस्था में रहना चाहिए या नई व्यवस्था में जाना चाहिए। मुझे बताया गया है आप एक बार कर बदल सकते हैं और वापस आ सकते हैं, लेकिन अगर आप दूसरी बार कर बदलते हैं, तो आप वापस नहीं आ सकते। वो पूरी तरह से भ्रमित हैं। उन्हें नहीं लगता कि उन्होंने इस बजट में नई कर व्यवस्था में जाने के लिए बहुत ज़्यादा प्रोत्साहन दिया है। उन्होंने पहले के बजट में ऐसा किया था। इस बार उन्होंने स्लैब बढ़ाकर केवल कर प्रभाव को कम किया है। लेकिन इससे केवल 0-20 प्रतिशत कर ब्रैकेट वाले लोगों को ही लाभ होगा। ऐसा नहीं लगता कि इससे उस ब्रैकेट से ऊपर के किसी व्यक्ति को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इसका उत्तर यह है कि वो दो-कर व्यवस्था का समर्थन नहीं करते और न ही करेंगे।

दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए चिदंबरम ने कहा, "जैसा कि मैं बोल रहा हूं, पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है। उन्होंने धारा 48 के दूसरे प्रावधान को हटा दिया है। लेकिन तीसरा प्रावधान दूसरे प्रावधान को संदर्भित करता है। इसलिए, जब तक मैं वित्त विधेयक के बारीक प्रिंट को ध्यान से नहीं पढ़ूंगा, इसे ध्यान से नहीं पढ़ूंगा और इसका विश्लेषण नहीं करूंगा, मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकता।" 'घर मालिकों को नुकसान होगा' "लेकिन कुल मिलाकर, टेलीविजन पर टिप्पणीकारों को लगता है कि जहां तक ​​रियल एस्टेट का सवाल है, इंडेक्सेशन लाभ हटा दिया गया है और 23 जुलाई, 2024 के बाद कोई भी बिक्री इंडेक्सेशन के लाभ के बिना होगी। अब, बड़ी संख्या में लोग जिन्होंने ऐसे घर खरीदे हैं जिनके मूल्य में वृद्धि हुई है उन्हें निश्चित रूप से नुकसान होगा। लेकिन जैसा कि कहा  कर परिवर्तनों के प्रभाव पर उनका मुल्यांकन पहले की तरह ही है। 

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