बजट सत्र: बीमा कानून संशोधन विधेयक पेश कर सकती है केंद्र सरकार

इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र की तरह ही अलग-अलग बीमा कंपनियों के प्रवेश को बढ़ावा मिलेगा। बैंकिंग क्षेत्र को वर्तमान में यूनिवर्सल बैंक, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

Update: 2024-07-14 10:39 GMT

Budget Session 2024: केंद्र सरकार आगामी बजट सत्र के दौरान '2047 तक सभी के लिए बीमा' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है.

सूत्रों का कहना है कि कुछ प्रावधान, जो संशोधन विधेयक का हिस्सा हो सकते हैं, उनमें समग्र लाइसेंस, विभेदक पूंजी, शोधन क्षमता मानदंडों में कमी, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव, मध्यस्थों के लिए एकमुश्त पंजीकरण और बीमा कंपनियों को अन्य वित्तीय उत्पाद वितरित करने की अनुमति देना शामिल होगा.


वर्गीकृत होगा बीमा क्षेत्र 

इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र की तरह ही अलग-अलग बीमा कंपनियों के प्रवेश को बढ़ावा मिलेगा. बैंकिंग क्षेत्र को वर्तमान में यूनिवर्सल बैंक, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

समग्र लाइसेंस के प्रावधान से जीवन बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा या सामान्य बीमा पॉलिसियों को अंडरराइट करने की अनुमति मिल जाएगी.

अभी की बात करें तो बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों के अनुसार, जीवन बीमाकर्ता केवल जीवन बीमा कवर प्रदान कर सकते हैं, जबकि सामान्य बीमाकर्ता स्वास्थ्य, मोटर, अग्नि, समुद्री आदि जैसे गैर-बीमा उत्पाद प्रदान कर सकते हैं.

आईआरडीएआई बीमा कम्पनियों के लिए समग्र लाइसेंसिंग की अनुमति नहीं देता है, जिसका अर्थ है कि कोई बीमा कम्पनी एक इकाई के रूप में जीवन और गैर-जीवन दोनों उत्पाद पेश नहीं कर सकती है.

सूत्रों ने बताया कि विधेयक का मसौदा तैयार है और इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे आगामी सत्र में पेश कर दिया जाएगा.

सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसी धारकों के हितों को बढ़ाने, पॉलिसी धारकों को बेहतर रिटर्न देने, बाज़ार में अधिक बिमा कंपनियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिले, बीमा उद्योग की परिचालन और वित्तीय दक्षता बढ़ाने तथा कारोबार को आसान बनाने पर केंद्रित हैं.

वित्त मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में बीमा अधिनियम, 1938 और बीमा नियामक विकास अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं.

बीमा अधिनियम, 1938, भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है. ये बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसी धारकों, शेयर धारकों और नियामक भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के बीच संबंधों को विनियमित करता है.

सूत्रों के अनुसार, पूंजी मानदंडों में ढील से सूक्ष्म बीमा, कृषि बीमा या क्षेत्रीय दृष्टिकोण वाली बीमा फर्मों पर केंद्रित कंपनियों को प्रवेश की अनुमति मिल सकती है. इस क्षेत्र में अधिक खिलाड़ियों के प्रवेश से न केवल पैठ बढ़ेगी बल्कि पूरे भारत में अधिक रोजगार सृजन होगा.

वर्तमान में भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियाँ और 32 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियाँ हैं. इनमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड जैसी कंपनियाँ भी शामिल हैं.

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)

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