मोदी सरकार में जीएसटी और टैक्स सुधार को लेकर उठाये गए बड़े कदम पर असर सीमित

मांग और उत्पादन की असली वृद्धि औसतन सिर्फ़ 6.1% रही (2015-2025 के बीच), और निजी निवेश जीडीपी का 11.5% ही (2024 में), यानी वही स्तर जो 2015 में था।;

Update: 2025-08-22 04:33 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार, जो अब तीसरी बार सत्ता में है, ने टैक्स व्यवस्था में बड़े बदलाव किए हैं। सीधे टैक्स (डायरेक्ट) से लेकर अप्रत्यक्ष टैक्स (इनडायरेक्ट) तक, कई सुधार किए गए हैं और आगे भी बदलाव की तैयारी है। खासकर जीएसटी में – दरें घटाना, टैक्स स्लैब्स कम करना और दर संरचना को आसान बनाना।

21 अगस्त को जीएसटी दरों पर मंत्रियों के समूह (GoM) ने सुझाव दिया कि मौजूदा 9 स्लैब्स की जगह अब सिर्फ़ 3 स्लैब हों – 5%, 18% और 40%। 5% ज़रूरी वस्तुओं और सेवाओं के लिए, 18% सामान्य चीज़ों के लिए और 40% लग्ज़री/हानिकारक वस्तुओं के लिए। ये सिफ़ारिशें सितंबर के आख़िर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखी जाएँगी।

15 अगस्त को पीएम ने सुधारों का ऐलान किया था, जिसके बाद बाज़ार में उत्साह बढ़ा है। शेयर बाज़ार चढ़ा, बैंक और वित्तीय संस्थाएँ मान रही हैं कि खपत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, भले ही राजस्व (Revenue) कम हो जाए। ऐसा ही माहौल 2017 में भी था, जब जीएसटी लागू हुआ था। उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जीएसटी से जीडीपी 1-1.5% तक बढ़ सकती है। लेकिन हकीकत अलग निकली।

2017 का जीएसटी और 2016 की नोटबंदी मिलकर अर्थव्यवस्था के लिए “दोहरा झटका” साबित हुआ। जीडीपी 2017 में 8.3% से गिरकर 2020 में 3.9% रह गई। अब जो सुधार किए जा रहे हैं, वे उन्हीं खामियों को ठीक करने की कोशिश हैं जो 2017 में लागू जीएसटी में रह गई थीं।

कॉरपोरेट टैक्स में बदलाव

सितंबर 2019 में सरकार ने कंपनियों के लिए नया टैक्स ढाँचा लाया, ताकि वे ज़्यादा निवेश करें और रोज़गार बने। कंपनियों का बेस टैक्स 30% से घटाकर 22% किया गया। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 18% से घटाकर 15% किया गया। इससे सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। लेकिन 2024 तक निजी कॉरपोरेट निवेश जीडीपी का 11.5% ही रहा – वही स्तर जो 2015 में था। ज़्यादातर कंपनियों ने टैक्स कटौती से मिले पैसे से क़र्ज़ चुकाए या नकदी जमा की, बजाय निवेश बढ़ाने के। आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि टैक्स कटौती और ब्याज दरें घटाने के बावजूद घरेलू निवेश सुस्त रहा है। कंपनियों का मुनाफ़ा बढ़ा, लेकिन निवेश विदेशों में ज़्यादा हुआ है।

कंपनियों को ज्यादा फायदा

बड़ी कंपनियों ने टैक्स छूट का सबसे ज्यादा फायदा उठाया। 500 करोड़ से अधिक मुनाफ़े वाली कंपनियाँ औसतन सिर्फ़ 19.7% टैक्स दे रही हैं, जबकि छोटे कारोबारी (0-1 करोड़ मुनाफ़े वाले) 24.5% तक टैक्स दे रहे हैं। इससे सरकार का कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बहुत गिरा है। पहले (2012-2019) यह केंद्र की टैक्स आमदनी का 33.8% था, लेकिन (2020-2025) में घटकर 25.9% हो गया। कई सालों में व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax) ने कॉरपोरेट टैक्स से ज़्यादा वसूली की।

निजी निवेश अब भी कम

टैक्स कटौती से अकेले निवेश नहीं बढ़ता है। माँग का बढ़ना ज़रूरी है। 2015-2025 में मैन्युफैक्चरिंग का औसत विकास दर सिर्फ़ 6.1% रही, जबकि जीडीपी 6.2% रही। “मेक इन इंडिया” का लक्ष्य था कि मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा जीडीपी में 25% हो, लेकिन 2025 तक यह सिर्फ़ 13.9% रह गया है।

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन और जोश फेलमैन ने कहा कि निजी निवेश न बढ़ने की 3 वजहें हैं। “नेशनल चैंपियंस” मॉडल से कुछ बड़ी कंपनियों को फ़ायदा, बाक़ी को नुकसान हुआ है। आयकर विभाग और ईडी की आक्रामक कार्रवाई का भी असर पड़ा है। ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की कम मौजूदगी, ऊँची टैरिफ़ और नियमों की दीवारें शामिल है।

पर्सनल इनकम टैक्स में बदलाव

सरकार ने आम लोगों के लिए भी टैक्स राहत दी, ताकि मांग बढ़े और नोटबंदी, जीएसटी और कोविड लॉकडाउन के झटके से राहत मिले। कर योग्य सीमा (Taxable limit) को समय-समय पर छूट के साथ और बिना छूट के बढ़ाया गया। 2014 में टैक्स रिबेट लिमिट ₹2.2 लाख से बढ़कर ₹2.5 लाख हुई, 2019 में ₹5 लाख, 2024 में ₹7 लाख और 2025 में ₹12 लाख कर दी गई। यानी अब ₹1 लाख मासिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। स्टैंडर्ड डिडक्शन

(Standard Deduction) भी बढ़कर ₹75,000 हो गई है, जिससे कुल टैक्स छूट सालाना ₹12.75 लाख तक हो जाती है। कंपनी कर (Corporate Tax) के विपरीत, व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax) की वसूली बढ़ रही है—FY18 में सकल कर (Gross Tax) का 23.1% से बढ़कर 32.6% हो गई है।

लेकिन इसका यह भी मतलब है कि वास्तविक कर आधार (Tax Base) अभी भी बहुत कम है—FY20 में कुल जनसंख्या का 2.7% से घटकर FY21–FY24 के दौरान 2% से भी नीचे और FY25 (31 दिसंबर 2024 तक) में सिर्फ 2% रह गया है।

(आगे जारी रहेगा…)

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