GST का लाभ नहीं मिलने को लेकर सरकार को मिली कई शिकायतें, 1992 मामले भेजी गई CBIC को
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर कुल 3981 जीएसटी 2.0 को लेकर कॉल आए हैं जिसमें से 31 फीसदी पूछताछ को लेकर थी 69 फीसदी शिकायतों से जुड़ी है.
जीएसटी स्लैब में कटौती और जीएसटी दरों में कमी के फैसले को 22 सितंबर 2025 से लागू किया गया है. सरकार ने अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक कर उन्हें ये सुनिश्चित करने को कहा कि जीएसटी रेट में कमी का लाभ हर हाल में उपभोक्ताओं को मिले. हालांकि सरकार को हजारों को संख्या में ऐसी शिकायतें मिली है जिसमें लोगों ने कहा कि जीएसटी रेट में कटौती का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है.
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर को मिली कुल शिकायतों में से 1992 जीएसटी से जुड़ी शिकायतों को सीबीआईसी (Central Board of Indirect Taxes and Customs) को कार्रवाई करने के लिए भेजा गया है. जबकि 761 शिकायतें कंपनियों को रियल-टाइम रिजॉल्युशन के लिए भेजा गया है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर कुल 3981 जीएसटी 2.0 को लेकर कॉल आए हैं जिसमें से 31 फीसदी पूछताछ को लेकर थी 69 फीसदी शिकायतों से जुड़ी है. मंत्रालय ने बताया कि उपभोक्ता मामलों का विभाग इन शिकायतों के फौरन समाधान और स्पष्टीकरण पर बारीकी से नजर रख रहा है. शिकायतों को त्वरित कार्रवाई के लिए संबंधित ब्रांड मालिकों और ई-कॉमर्स कंपनियों से कहा गया है.
सीसीपीए (Central Consumer Protection Authority) ने क्लास एक्शन शुरू करने के लिए इन शिकायतों की समीक्षा भी शुरू कर दी है. CCPA इन शिकायतों के समाधान पर लगातार नजर रख रहा है और जहां भी उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन का मामला सामने आएगा वहां कार्रवाई की जाएगी. सेंट्रल कंज्यूमर प्रोजेक्शन अथॉरिटी ने कहा है कि वह सतर्क और उत्तरदायी है. सीसीपीए के मुताबिक, कंपनियों ने जानबूझकर उपभोक्ताओं को अधिक जीएसटी वसूलकर या कर कटौती का लाभ न देकर Mislead किया है, वहां उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 और अन्य लागू कानूनों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में उद्योगों उद्योग संगठनों के साथकंसलटेशन बैठकें की गई हैं जिससे पूर्व-पैक की गई वस्तुओं की खुदरा बिक्री मूल्य (MRP) पर घटाए गए जीएसटी का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँच सके. इनमें FICCI, ASSOCHAM, CII, RAI और CAIT जैसे कई उद्योग संगठनों के साथ 11 सितंबर 2025 को सत्र शामिल थे. इन बैठकों में उद्योगों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि घटाई गई जीएसटी दरों का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँचे.
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर जो शिकायतें मिली हैं उसमें एक बड़े हिस्से में यह गलतफहमी भी सामने आई कि किन वस्तुओं पर जीएसटी कम हुई है और किन पर नहीं. शिकायतों का एक बड़ा हिस्सा दूध की कीमतों से संबंधित था. कई उपभोक्ताओं का मानना था कि जीएसटी सुधार के बाद, दूध कंपनियों को ताजे दूध की कीमतें कम करनी होंगी. उपभोक्ताओं ने शिकायत किया कि दूध कंपनियां अभी पुरानी कीमतें वसूल रही हैं, जिससे उन्हें कम जीएसटी दर का लाभ नहीं मिल रहा है. CCPA ने इस मुद्दे की जांच के बाद पाया कि ताजे दूध पर पहले से ही जीएसटी छूट मिल रहा है.
एक और महत्वपूर्ण शिकायतें ई-कॉमर्स वेबसाइटों से खरीदे गए इलेक्ट्रॉनिक सामान से संबंधित थीं. उपभोक्ताओं ने शिकायत की कि ऑनलाइन खरीदे गए लैपटॉप, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और अन्य उपभोक्ता उपकरणों पर अभी भी पुरानी जीएसटी दर वसूली जा रही है और उन्हें टैक्स कटौती का लाभ नहीं मिल रहा है. इस मामले में भी CCPA ने जांच में पाया कि कि जीएसटी सुधारों के तहत टीवी, मॉनिटर, डिशवॉशिंग मशीन और एसी पर जीएसटी दर 28% से 18% कर दी गई. लेकिन लैपटॉप, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन पहले 18% जीएसटी को बरकार रखा गया है. घरेलू एलपीजी सिलेंडरों को लेकर भी सरकार को शिकायतें मिली है. CCPA ने स्पष्ट किया कि घरेलू एलपीजी पर 5 फीसदी जीएसटी जारी है, और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू जीएसटी दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है. पेट्रोल की कीमतें नहीं घटने को लेकर भी शिकायतें मिली है जबकि पेट्रोल जीएसटी से बाहर है.