भारत पर ट्रंप का प्रहार! सरकारी तेल कंपनियों ने रूसी तेल से किया किनारा

अमेरिकी राष्ट्रपति के सख्त रूख का असर अभी से दिखने लगा है. भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है.;

Update: 2025-08-01 06:55 GMT

अमेरिका ने भारत पर जो 25 फीसदी टैरिफ लगाने के साथ जो पेनल्टी लगाने का फैसला किया है वो 7 अगस्त से अमल में आएगा लेकिन उसका असर अभी से दिखने लगा है. भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने पिछले एक हफ्ते से रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है.

रूस से क्रूड ऑयल खरीदना बंद

अमेरिका ने भारत पर केवल 25 फीसदी टैरिफ ही नहीं लगाया है बल्कि रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के चलते टैरिफ के ऊपर पेनल्टी भी लगाने का ऐलान किया है. हालांकि पेनल्टी कितना लगाया जाएगा इस पर से पर्दा उठना अभी बाकी है. क्योंकि भारत सरकार और ट्रंप प्रशासन के बीच अभी भी बातचीत का दौर जारी है जिसकी तस्दीक खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने की है. ट्रंप के इस फैसले के चलते भारत सरकार बैकफुट पर है. सुत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सरकारी तेल कंपनियों ने पिछले एक हफ्ते से रूस से क्रूड ऑयल खरीदना बंद कर दिया है. इसकी दो बड़ी वजहें हैं — रूस से मिलने वाली छूट अब बहुत कम हो गई है, और राष्ट्रपति ट्रंप ने देशों को रूस से तेल खरीदने को लेकर लगातार सख्त चेतावनी जारी कर रहे हैं.

तेल कंपनियां नहीं खरीद रही रूस से क्रूड ऑयल

भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है, और वह रूसी तेल का सबसे बड़ा ग्राहक भी है. यह तेल रूस के लिए बहुत जरूरी कमाई का जरिया है, खासकर तब जब वह यूक्रेन से चार साल से जंग लड़ रहा है और उसपर कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए हैं. भारतीय सरकारी कंपनियां इंडियन ऑयल (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL), और मैंगलोर रिफाइनरी (MRPL) — पिछले हफ्ते से रूसी तेल की खरीद नहीं कर रही हैं. ये कंपनियां अब दूसरे देशों जैसे अबू धाबी का मुरबान तेल या अफ्रीकी देश से तेल खरीद रही हैं. सरकारी कंपनियों की तरह ही, निजी कंपनियां रिलायंस और नायरा एनर्जी भी रूस से तेल खरीदती हैं. लेकिन इनके पास पहले से रूस के साथ लंबे समय के समझौते हैं. नायरा एनर्जी में रूस की बड़ी कंपनी रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी है.

ट्रंप की धमकी का असर

14 जुलाई को ट्रंप ने धमकी देते हुए कहा था कि जब तक रूस यूक्रेन से शांति नहीं करता और जो देश रूस से तेल खरीदेंगे, उन पर अमेरिका 100% टैक्स लगा सकता है. रूस अब भारत को पहले जितनी छूट नहीं दे रहा है. अब छूट बहुत कम रह गई है, इसलिए भारतीय कंपनियां धीरे-धीरे रूसी तेल से हट रही हैं. इसके अलावा यूरोप के नए प्रतिबंधों के डर से कंपनियां फंड जुटाने या अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर भी चिंतित हैं. भारत ने साफ कहा है कि वह "एकतरफा प्रतिबंध" नहीं मानता है.

कुल खपत का 38 फीसद कच्चा तेल रूस से आयात

फिलहाल रूस भारत अपने कुल का करीब 38 फीसदी कच्चा तेल आयात कर रहा है. पहले भारत अपने खपत का केवल 0.2 फीसदी क्रूड ऑयल कच्चा रूस से खरीदता था. इस साल की पहली छमाही में भारत ने रोज़ाना करीब 18 लाख बैरल रूसी तेल खरीदा है. इसमें से करीब 60% तेल निजी कंपनियों ने खरीदा और बाकी सरकारी कंपनियों ने, जिनके पास भारत की कुल तेल रिफाइनिंग क्षमता का 60% हिस्सा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस ने अक्टूबर के लिए अबू धाबी से मुरबान क्रूड खरीदा है, जो उसके लिए कुछ अलग तरह का फैसला है.

हाल ही में इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, रूस ने 2024 में 192 बिलियन डॉलर क्रूड ऑयल बेचकर कमाये. अमेरिका और नाटो देशों का मत है कि जो देश रूस से क्रूड ऑयल खरीद रहे वे अपरोक्ष रूप से रूस के यूक्रेन के साथ युद्ध के लिए फंडिंग कर रहे हैं. हालांकि रूस से लेकिन कच्चे तेल की सप्लाई को रोक दी गई है तो पूरी दुनिया में कच्चे तेल के दामों में जोरदार उछाल आने के भी कयास लगाये जा रहे हैं.

भारत हर परिस्थिति से निपटने में सक्षम

हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, भारत ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, दुनिया में कच्चे तेल की कमी नहीं है. हरदीप सिंह पुरी ने कहा, अगर किसी बड़े सप्लायर पर प्रतिबंध लगता है या बाजार से ये सप्लाई बाहर हो जाता है तो भारत इन परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने बताया कि भारत पश्चिमी गोलार्ध (Western Hemisphere) में ब्राजील, गुयाना और कनाडा से अपनी एनर्जी जरूरतों को आयात कर पूरा करेगा. 

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