Jane Street मामले को लेकर माधबी पुरी बुच ने किया सेबी का बचाव, बोलीं- मेरी निगरानी में शुरू हुई थी जांच

बुच ने बताया कि अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच सेबी ने न केवल जांच की, बल्कि NSE को Jane Street को चेतावनी पत्र भेजने को भी कहा था.;

Update: 2025-07-08 11:58 GMT

Jane Street मामले पर पूर्व सेबी चीफ माधबी पुरी बुच का बयान सामने आया है. माधबी पुरी बुच ने सेबी के खिलाफ लगे उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि Jane Street मामले की जांच समय पर नहीं शुरू की गई थी. बुच ने Jane Street मामले में देरी से कार्रवाई करने के आरोपों को गलत बताया है.

माधबी पुरी बुच ने 8 जुलाई को जारी किए गए एक बयान में कहा, सेबी ने इस मामले की जांच जुलाई 2024 से भी पहले, यानी अप्रैल 2024 में ही शुरू कर दी थी. फिर भी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स यह गलत दावा कर रही हैं कि सेबी ने देर से कदम उठाया है. उन्होंने कहा, “हमने एक साल पहले ही जांच शुरू कर दी थी और 3 जुलाई को जो अंतरिम आदेश जारी हुआ है, उसमें सारे तथ्यों और घटनाओं की पूरी जानकारी दी गई है. ”

यह आदेश 105 पन्नों का है जिसमें बताया गया है कि कैसे Jane Street नाम की एक विदेशी फर्म ने भारतीय शेयर बाजार में गड़बड़ी की. इसने एक्सपायरी वाले दिन इंडेक्स डेरिवेटिव्स में हेराफेरी की कोशिश की थी.

बुच ने बताया कि अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच सेबी ने न केवल जांच की, बल्कि NSE को Jane Street को चेतावनी पत्र भेजने को भी कहा था. यह सब कुछ सार्वजनिक रूप से आदेश जारी होने से पहले किया गया था.

उन्होंने कहा, “मीडिया का एक हिस्सा इन बातों को नजरअंदाज कर रहा है और लोगों को गुमराह कर रहा है, जबकि हकीकत यह है कि सेबी ने समय पर और गंभीरता से कदम उठाए.” बुच ने कहा, यह मामला सेबी की निष्क्रियता का नहीं, बल्कि गहराई से की गई जांच और कड़ी कार्रवाई का नतीजा है.

3 जुलाई के आदेश में सेबी ने Jane Street और उसकी भारतीय कंपनी JSI Investment Pvt Ltd को शेयर बाजार से बाहर कर दिया और उन्हें 4,840 करोड़ रुपये का कथित गलत मुनाफा लौटाने को कहा गया है.

सेबी का कहना है कि Jane Street ने भारत में एक कंपनी बनाकर ऐसे काम किए जो विदेशी निवेशकों को करने की इजाजत नहीं होती, जिससे ऑप्शन ट्रेडिंग के दामों पर असर पड़ा है. 

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