India-US trade: अमेरिका दबाव में, भारत मान जाए दो शर्तें तो टैरिफ हो सकता है खत्म
bilateral trade agreement: अमेरिका की कोशिश है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों जैसे ज्वार, सोयाबीन आदि के लिए अपने बाजार को खोले।
India-US trade talks: वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर बातचीत लगातार आगे बढ़ रही है। अमेरिकी टीम इस समय नई दिल्ली में है और द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए दो दिवसीय बैठक कर रही है। गोयल ने कहा कि हम लगातार बातचीत कर रहे हैं और द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में प्रगति हो रही है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल हमारे साथ चर्चा कर रहा है।
अमेरिकी टीम का दौरा क्यों है अहम
अमेरिकी टीम का यह दौरा तीन महीने में दूसरा है। टीम का नेतृत्व अमेरिकी व्यापार उप-प्रतिनिधि रिक स्विट्ज़र कर रहे हैं और उनका सामना भारतीय समकक्ष राजेश अग्रवाल से होगा। इस दौरे की अहमियत इसलिए बढ़ गई है। क्योंकि हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा हुआ, जिसमें कई महत्वपूर्ण समझौते हुए। अमेरिकी पक्ष इस वार्ता में भारतीय कृषि बाजार पर विशेष ध्यान दे रहा है।
अमेरिका बना रहा दबाव
अमेरिका की कोशिश है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों जैसे ज्वार, सोयाबीन आदि के लिए अपने बाजार को खोले। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कांग्रेस को बताया कि भारत ने अब तक का सबसे अच्छा प्रस्ताव दिया है और भारत अब अमेरिकी उत्पादों के लिए एक व्यवहारिक वैकल्पिक बाजार बन सकता है। ग्रीर ने यह भी कहा कि चीन ने अमेरिका से सोयाबीन नहीं खरीदा है, जिससे अमेरिका के किसानों को अतिरिक्त स्टॉक और बिक्री में समस्या हो रही है। ऐसे समय में भारत एक आशाजनक लेकिन ऐतिहासिक रूप से कठिन बाजार है।
अन्य क्षेत्रों में भी बातचीत जारी
कृषि के अलावा, अमेरिका विमान उद्योग और अन्य क्षेत्रों में भी भारत के साथ टैरिफ और बाजार पहुंच संबंधी मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है। 1979 के विमान समझौते के तहत नागरिक विमानों के कलपुर्जों पर शून्य टैरिफ की भविष्य की प्रतिबद्धताओं पर भी बातचीत चल रही है। ग्रीर ने कहा कि अगर देश सहयोग करने और बातचीत के लिए तैयार हों तो हम उन्हें उचित बाजार पहुंच देने के विकल्प पर भी चर्चा कर सकते हैं।
दो समानांतर वार्ता
भारत और अमेरिका दो तरह की बातचीत कर रहे हैं। पहला ढांचागत व्यापार समझौता, जो टैरिफ से निपटने में मदद करेगा। वहीं, दूसरा व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौता है। फरवरी में दोनों देशों के नेताओं ने अधिकारियों को समझौते पर बातचीत करने का निर्देश दिया था। समझौते के पहले चरण को 2025 के पतझड़ तक पूरा करने की योजना थी। अब तक छह दौर की बातचीत हो चुकी है।
समझौते का उद्देश्य
इस द्विपक्षीय समझौते का लक्ष्य व्यापार को वर्तमान 191 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक करना है। अमेरिका 2024-25 में लगातार चौथे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा।
- द्विपक्षीय व्यापार: 131.84 अरब अमेरिकी डॉलर
- भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा: 18%
- आयात में हिस्सा: 6.22%
- कुल व्यापारिक वस्तुओं में हिस्सा: 10.73%
अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के कारण अक्टूबर में भारत के व्यापारिक निर्यात में 8.58% की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 6.3 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
रूस से तेल आपूर्ति
भारत-रूस आर्थिक संबंधों में ऊर्जा सहयोग महत्वपूर्ण है। पुतिन ने शिखर सम्मेलन में आश्वासन दिया कि रूस भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए तेल, गैस और कोयले की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखेगा। यह अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन रहा है।