रेपो रेट फिर घटा, सस्ती हुई ईएमआई की राह आसान
आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट घटाकर 5.50% कर दिया है। इससे होम लोन की EMI में लगभग 2,000 रुपए की राहत मिल सकती है।;
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की ताजा बैठक के नतीजे सामने आ चुके हैं और एक बार फिर आम लोगों को राहत मिली है। आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है। इस बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बड़ी कटौती करते हुए इसे 6 फीसदी से घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया है।
लगातार तीसरी बार घटा रेपो रेट
इस साल फरवरी और अप्रैल में हुई दो पिछली एमपीसी बैठकों में आरबीआई ने क्रमश: 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। फरवरी में रेपो रेट 6.50% से घटाकर 6.25% किया गया था, जबकि अप्रैल में यह 6% पर आ गया था। अब जून की बैठक में एक बार फिर कटौती कर इसे 5.50% पर लाया गया है। इस तरह रेपो रेट कट की 'हैट्रिक' पूरी हो गई है।
क्या होता है रेपो रेट और क्यों है यह अहम?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इसका सीधा असर बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन पर पड़ता है। रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो गई, और वे भी ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देने लगते हैं। इससे लोन लेने वालों की ईएमआई घट जाती है। वहीं जब रेपो रेट बढ़ता है, तो ईएमआई में बढ़ोतरी होती है।
EMI में कितनी राहत मिलेगी?
अगर किसी ने किसी बैंक से ₹50 लाख का होम लोन 30 साल की अवधि के लिए लिया है और उस पर 9% ब्याज दर लागू थी, तो उसकी मंथली ईएमआई लगभग ₹40,231 होती है। लेकिन अब 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद यह ब्याज दर घटकर 8.5% हो सकती है, जिससे ईएमआई घटकर ₹38,446 के आसपास आ जाएगी। यानी हर महीने करीब ₹2,000 की बचत।
सरकार और ग्राहकों के लिए सकारात्मक संकेत
इस फैसले से न केवल लोन लेने वालों को सीधा फायदा मिलेगा, बल्कि यह कदम महंगाई पर नियंत्रण, बाजार में मांग को प्रोत्साहित करने और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए भी अहम माना जा रहा है।आरबीआई के इस फैसले से संकेत मिलता है कि मौद्रिक नीति अब विकास को प्राथमिकता दे रही है और देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बैंकिंग क्षेत्र को प्रोत्साहन दे रही है।