आरबीआई फिर दे सकता है सस्ते कर्ज की सौगात, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दिए संकेत
आरबीआई गवर्नर ने कहा अगर महंगाई दर नियत्रंण में रही तो आने वाले दिनों में फिर से सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कमी का फैसला ले सकता है.;
आने वाले दिनों में कर्ज और भी सस्ता हो सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि अगर महंगाई अनुमान से कम रहती है, तो आरबीआई भविष्य में ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है. उन्होंने कहा कि आरबीआई हर फैसला आँकड़ों के आधार पर ही लेगा, ताकि महंगाई और विकास के बीच सही संतुलन बना रहे.
6 जून को आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50% की कटौती की और अपने रुख को ‘अनुकूल’ (accommodative) से बदलकर ‘तटस्थ’ (neutral) कर दिया. इस वजह से ये आशंका जताई जाने लगी कि अब आगे दरों में कटौती नहीं होगी. बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में आरबीआई गवर्नर ने साफ किया कि नीति में यह बदलाव लचीलापन देने के लिए है, न कि दरों को बढ़ाने के संकेत के लिए. उन्होंने यह भी कहा कि RBI नकदी (liquidity) की निगरानी करता रहेगा और जरूरत पड़ी तो जरूरी कदम उठाएगा.
RBI ने हाल ही में बैंकों के लिए CRR को 1% घटाकर 3% कर दिया था, जिससे सबसे ज्यादा बाजार को चौंकाया. इस पर आरबीआई गवर्नर ने कहा, CRR का इस्तेमाल अक्सर नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जब बैंकों को ज्यादा पैसा रिजर्व में रखना पड़ता है तो कर्ज देने के लिए उनके पास कम पैसा बचता है और कर्ज महंगा हो जाता है. इसलिए CRR में कटौती को इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए.
RBI इस पर भी ध्यान दे रहा है कि बाजार की ब्याज दरें रेपो रेट या SDF (Standing Deposit Facility) रेट के ज्यादा करीब रहें, जिससे ब्याज दरों में बदलाव का असर आम लोगों और कारोबार तक जल्दी पहुंचे. SDF वो दर है जिस पर बैंक अपना अतिरिक्त पैसा RBI के पास रातभर के लिए जमा करते हैं. ये दर रेपो रेट से थोड़ी कम होती है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अभी RBI के पास विकास को बढ़ावा देने की गुंजाइश है. RBI महंगाई और विकास के आँकड़ों पर लगातार नजर रखेगा और उसी के आधार पर आगे के फैसले करेगा.
उन्होंने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में जो अतिरिक्त नकदी है, उससे कर्ज देना आसान हो रहा है और अर्थव्यवस्था को मदद मिल रही है. आरबीआई ये भी देख रहा है कि इस नकदी से कहीं शेयर या संपत्तियों की कीमतें अनियंत्रित तरीके से न बढ़ जाए.