आरडी- एसआईपी दोनों निवेश के बेहतर प्लान, किसमे है सबसे अधिक फायदा

निवेश करने के लिए रेकरिंग डिपॉजिट औक म्यूचुअल फंड दोनों विकल्प हैं, लेकिन यहां हम आपको बताएंगे कि दोनों बुनियादी समानता और फर्क क्या है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-04-29 06:42 GMT

हर एक शख्स की ख्वाहिश होती है कि उसका वर्तमान और भविष्य दोनों खुशहाल हो. बात सीधी सी है कि अगर आप वर्तमान में बेहतर तरीके से निवेश की संभावना की तलाश कर उसे अमल में लाते हैं तो आने वाले समय में दिक्कत नहीं होती है. बाजार में निवेश करने के लिए बहुतेरे विकल्प हैं. हालांकि यहां पर हम निवेश करने के दो तरीकों रेकरिंग डिपॉजिट और एसआईपी के बारे में बताएंगे. इन दोनों के बीच अंतर के साथ साथ कौन सा निवेश ऑप्शन आपके लिए बेहतर हो सकता है उसके बारे में भी जानकारी देंगे.

क्या होता है एसआईपी

सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी, म्यूचुअल फंड इंवेस्टमेंट प्लान है जिसमें निवेशक तय रकम को नियमित अवधि में निवेश करता है. यह नियमित अवधि हफ्ता, 15 दिन या महीने की हो सकती है. एसआईपी को शुरू करने के लिए एप्लीकेशन फॉर्म के साथ बैंक के ईसीएस मैंडेट की जरूरत पड़ती है.अलग अलग फंड हाउस विकल्प देते हैं जिसमें तय तारीख को निश्चित रकम आपके खाते से डेबिट हो जाती है. एसआईपी शुरू करने के लिए न्यूनतम 500 या एक हजार रुपए की जरूरत होती है. आप ने एसआईपी प्लान जितने समय के लिए लिया उसके लिए निश्चित रकम निश्चित अवधि में जमा करनी होती है. हालांकि किसी असामान्य परिस्थिति में आप एसआईपी को बंद भी सर सकते हैं.

क्या होता है आरडी या रेकरिंग डिपॉजिट

एसआईपी और आरडी में अगर तुलना करें तो आरडी बैंक द्वारा पेश निवेश योजना होती है. इसके तहत आप एक निश्चित रकम को निश्चित अंतराल पर जमा करते हैं. आरडी की अवधि 6 महीने से लेकर 10 साल तक हो सकती है. आरडी खाता खोलने के लिए आप सेविंग खाते से आरडी अकाउंट में रकम ट्रांसफर करने का अनुरोध कर सकते हैं. इस रिक्वेस्ट के बाद आप के सेविंग अकाउंट से निश्चित रकम निश्चित अवधि को आरडी खाते में ट्रांसफर होती हैय यहां एक बात और ध्यान देने वाली है. अगर आप की आरडी और एफडी की अवधि एक जैसी है तो मिलने वाला ब्याज सेम होता है. आरडी के ऊपर आप को जितना ब्याज मिलता है उसे निश्चित अवधि के बाद मूल धन में जोड़कर बैंक वापस कर देता है. हालांकि ब्याज दर के आधार पर बैंक आपके आरडी अकाउंट में जमा पैसे पर टीडीएस की कटौती कर सकता है.

आरडी और एसआईपी में समानता

आरडी या एसआईपी में आप को बड़े धन के निवेश की बाध्यता नहीं होती. आप अपनी बचत के आधार पर निवेश कर सकते हैं.यदि आप आरडी और एसआईपी की तुलना करें तो दोनों लंबी अवधि के निवेश होते हैं.एसआईपी और आरडी की वजह से आप में सेविंग की प्रवृत्ति का विकास होता है.यह उन लोगों के लिए बेहतर होता है कि जो बड़ी रकम निवेश नहीं कर पाते हैं,खास बात ये दोनों निवेश प्लान लचीले हैं. यानी कि आप किसी परेशानी में हों तो एसआईपी और आरडी दोनों को किसी भी समय बंद कर अपनी रकम वापस ले सकते हैं. हालांकि कुछ बैंक समय पूर्व निकासी पर पेनल्टी लगाते हैं.


एसआईपी और आरडी में क्या है अंतर

दोनों में सबसे बड़ा अंतर तो ये है कि एसआईपी म्यूचुअल फंड स्कीम और आरडी बैंक के साथ टर्म डिपॉजिट है.मैच्यूरिटी के बाद आपको मूल धन और ब्याज दोनों मिलता है लेकिन एसआईपी में जोखिम बरकरार रहता है. इसमें कैपिटल प्रोटेक्शन की गारंटी नहीं है.आरडी में आपको पहले से तय नियमों के तहत रकम मिल जाती है. लेकिन एसआईपी, बाजार के अधीन है और रिटर्न में आप को फायदा और नुकसान दोनों हो सकता है.


आरडी में अगर औसत इंटरेस्ट देखें तो पिछले 10 वर्षों में यह 7.6 फीसद के करीब थी. अगर एसआईपी में देखें तो पिछले 10 वर्षों में आरओआई आरडी से अधिक रही है.अगर मैच्यूरिटी वैल्यू की बात करें को आरडी में 10 साल के लिए 10 हजार मंथली निवेश के बाद मैच्यूरिटी पर रकम करीब 17 लाख होती है जबकि एसआईपी में इतनी ही रकम 10 साल में करीब 25 लाख होती है. म्युचुअल फंड से पैसे निकालते वक्त एक्जिट लोड चार्ज होता है. यह वो शुल्क है जो रिडेम्पशन के समय लगाया जाता है. खासतौर से इक्विटी फंड में आप म्यूचुअल फंड को भुनाएं तो यह चार्ज लगता है. हालांकि जब आप म्यूचुअल फंड से निकासी चाहते हैं तो आप फाइनेंसियल और टैक्स एडवाइजर से सलाह जरूर लें.

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