टैरिफ वॉर की आग में झुलसता खेतिहर भारत, नीति या नरमी सरकार क्या चुनेगी?

अमेरिका के 25% टैरिफ से भारत के बासमती, झींगा, मसाले और कृषि निर्यात पर संकट उठ खड़ा होगा। इससे किसानों की आय घटने की आशंका बढ़ गई है।;

Update: 2025-08-03 08:04 GMT
डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने भारत पर 25 फीसद टैरिफ लगाने का फैसला किया है।

Donald Trump Tariffs News:  कृषि, किसान, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र भारत के लिए सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र है। राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण भी। इसके हितों की अनदेखी केंद्र की सत्तारुढ़ सरकार के लिए भारी पड़ सकती है। देश की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हुए नहीं रह सकती है। सत्तारुढ़ और विपक्षी दलों के लिए इससे समझौता करना भारी पड़ सकता है। यही मुद्दा अमेरिका के साथ भारत के ट्रेड डील करने की राह में रोड़ा बन हुआ है। यही वजह है कि अमेरिका इसके लिए अधीर हुए जा रहा है तो भारत किसी भी हाल में इसे आगे बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को आंखे ही नहीं तरेर रहे हैं। बल्कि धमकी देने से बाज भी नहीं आ रहे। दक्षिणी एशियाई देशें में भारत पर सर्वाधिक 25 प्रतिशत की एकमुश्त टैरिफ लगाने की घोषणा तक कर दी है। फिर भी भारत टस से मस नहीं हो रहा है। भारत की ताकत उसकी 1.4 अरब की आबादी है, जिसके भरोसे वह कंज्यूमर इकोनॉमी वाला देश बना हुआ है।

डोनाल्ड ट्रंप और टैरिफ वॉर

अमेरिका में दूसरी बार सत्ता संभालने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आते ही पूरी दुनिया में टैरिफ वार छेड़ दिया है। दुनिया के विभिन्न देशों से कारोबारी रिश्ता रखने वाले अमेरिका ने हर किसी पर अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) थोप दिया है। जिन देशों से उसके राजनयनिक रिश्ते ठीक नहीं थे, उन पर ट्रेड टैरिफ को बम फोड़ दिया। पूरी दुनिया में आर्थिक अस्थिरता का माहौल है। अमेरिका से सर्वाधिक व्यापार करने वाले देश चीन पर बेतरह नाराज ट्रंप ने डेढ़ सौ फिर सवा सौ फिर 50 प्रतिशत तक टैरिफ की घोषणा कर दी। इसके जवाब में चीन ने भी उसी तर्ज पर टैरिफ की घोषणा करनी शुरु कर दी। चीन ने अमेरिका से खाद्य उत्पादों और कृषि उत्पादों का आयात लगभग बंद सा कर दिया है। ऐसे में अमेरिका के लिए नई चुनौती खड़ी होनी शुरु हो गई। अमेरिका ने इसके विकल्प के रूप में भारत को साधने का निर्णय लिया और तरह-तरह की युक्ति अपनायी।

भारत के लिए अलग तरह की मुश्किल

अमेरिका ने भारत के साथ अपनी ट्रेड डील में कृषि व खाद्य उत्पादों के निर्यात बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए भारत को कई तरह की सहूलियतें देने का प्रस्ताव भी रखा। लेकिन भारत की मुश्किलें बिल्कुल अलग तरह की हैं जिसकी वजह से भारत इस दिशा में सीधे ना करना ही मुनासिब समझा। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों के साथ जीएम आधारित फूड और कृषि उत्पादों को भारत में बेचने की अनुमति चाही, जिसमें सोयाबीन, मक्का समेत उत्पादों के निर्यात का रास्ता खोलने को कहा। दरअसल, चीन के मना करने के बाद भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा बाजार दिखने लगा है। इसी वजह से भारत तरह-तरह के दबाव डालना शुरु कर दिया है।

अमेरिका ने भारत में अपने पेट्रोकैमिकल्स, डेयरी उत्पादों, ड्राई फ्रूट्स,आटोमोवाइल्स, गाड़ियां और औद्योगिक सामानों भारत में कम टैरिफ पर बेचना चाहता है। भारत पर इसके लिए टैरिफ घटाने का दवाब बना रहा है। भारत फिलहाल अमेरिका में केला, झींगा, मछली, जूते चप्पल, प्लास्टिक और हस्तशिल्प के सामानों को अमेरिका में कम टैरिफ पर बेचने की छूट मांग रहा है।

वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन129.2 बिलियन डॉलर का हुआ था। इसमें अमेरिका ने भारत में 41.8 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट और भारत ने अमेरिका में 87.4 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। यानी इस हिसाब से भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 45.7 बिलियन डॉलर का दर्ज किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को यह घाटा नागवार गुजर रहा है। वह इसमें संतुलन बनाना चाहता है, जिसके लिए भारत तैयार भी है। लेकिन इसके पीछे की कहानी थोड़ी कड़वी है। अमेरिका नहीं चाहता कि भारत अपनी जरूरतों का पेट्रोलियम उत्पाद रूस और इरान से खरीदे। ये दोनों देश अमेरिका से धुर विरोधी हैं। लेकिन भारत का तर्क बिल्कुल अलग है। प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। इसके लिए उसे जहां से भी सस्ती दरों पर पेट्रोलियम उत्पाद मिलेगा वहां से खरीदेगा। भारत और चीन दोनों देश रुस से भारी मात्रा में पेट्रोलियम की खरीद कर रहे हैं।

प्रभावित होगा कृषि निर्यात

भारत से अमेरिका को लगभग 6.25 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात होता है जिसमें आधे से अधिक हिस्सेदारी समुद्री उत्पादों, मसालेऔर बासमती चावल की है। अमेरिका के ताजा टैरिफ दर से 25 प्रतिशत लगने से भारतीय निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसका विपरीत असर देश के कृषि क्षेत्र पर भी पड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ से भारतीय कृषि और समुद्री उत्पादों के निर्यात पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। बुधवार को इस टैरिफ की घोषणा के बाद भारत से बासमती चावल, मसाले, कॉफी, झींगा और तंबाकू जैसे उत्पादों का अमेरिका को निर्यात महंगा हो जाएगा। इसका लाभ उन देशों को मिल सकता है, जिन पर कम टैरिफ लगाया गया है।

अमेरिका ने यह कदम भारत के रूस के साथ संबंधों और कृषि व डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी उत्पादों के लिए न खोलने की प्रतिक्रिया स्वरूप उठाया है। हालांकि फार्मास्यूटिकल्स, खनिज और सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को इस टैरिफ से बाहर रखा गया है। लेकिन प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, समुद्री उत्पाद और कृषि निर्यात इस व्यापारिक टकराव की चपेट में आ गए हैं, जिसका असर देश के किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। भारतीय निर्यातक अमेरिका में फिलहाल 10 प्रतिशत टैरिफ, 4.5 प्रतिशत के अतिरिक्त एंटी-डंपिंग शुल्क और 5.8 प्रतिशत का काउंटरवेलिंग शुल्क चुका रहे हैं।

बासमती चावल निर्यात पर बुरा असर

अमेरिका को भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 33.7 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल निर्यात करता है। भारत को इस क्षेत्र में पाकिस्तान सेकड़ी टक्कर होती है। लेकिन टैरिफ बढ़ने से भारतीय बासमती को अमेरिका बाजार में टिकतना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि पाकिस्तान पर यह दर 19 प्रतिशत ही है। फिलहाल अमेरिका में भारतीय बासमती पर कोई शुल्क नहीं लगता है जो अब सीधे 25 प्रतिशत हो जाएगा। अमेरिका प्रत्येक वर्ष लगभग 13 लाख टन चावल आयात करता है। इसमें 60प्रतिशत की हिस्सेदारी बासमती (भारत व पाकिस्तान) और जैस्मीन चावल (थाईलैंड) की होती है।

समुद्री उत्पादों को बड़ा झटका

अमेरिका में 25 प्रतिशत टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान भारत के समुद्री उत्पादों को हो सकता है। भारत से अमेरिका को कृषि निर्यात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इन्हीं उत्पादों की है, जिनमें मुख्य रूप से झींगा (विशेषकर 'वनामी') शामिल है। वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को भारत से 2.68 अरब डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पादों का निर्यात हुआ। अब इन पर शुल्क बढ़ने से भारतीय निर्यातकों पर कीमतें घटाने का दबाव बढ़ेगा। अमेरिका के इस कड़े रुख के बाद इसका लाभ इक्वाडोर जैसे देशों को लाभ मिल सकता है।

मसालों, कॉफी और तंबाकू पर भी असर

बासमती और झींगे के अलावा मसाले, कॉफी और तंबाकू जैसे अन्य उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित होगा। इन पर टैरिफ बढ़ने से भारत की बाजार हिस्सेदारी कम हो सकती है। इसका सीधा लाभ दक्षिण अमेरिकी देशों को मिल सकता है। भारत से अमेरिका को हर साल लगभग 64.7 करोड़ डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात होता है, जो समुद्री उत्पादों के बाद अमेरिका को भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषि निर्यात है। निर्यातकों को आशंका है कि बढ़ी हुई लागत के कारण अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन होगा और इसका सीधा असर घरेलू किसानों की आय पर भी पड़ेगा। उद्योग जगत ने सरकार से मांग की है कि वह इस मसले पर रणनीतिक जवाब दे, जिससे किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा की जा सके।

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