ट्रंप नीति से गड़बड़ाई दुनिया की गणित, ये हैं टैरिफ के त्रिमूर्ति
इस समय चर्चा के केंद्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ है। इन सबके बीच उन तीन खास शख्सियतों के बारे में भी जानना जरूरी है जो इसके शिल्पकार हैं।;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 70 से अधिक देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ से 90 दिनों की राहत देने का फैसला वैश्विक व्यापार जगत में बड़ा घटनाक्रम बन गया है। हालांकि चीन को इस छूट से बाहर रखा गया और उस पर 125% का भारी-भरकम टैरिफ लगाया गया है। इससे अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस फैसले के पीछे सबसे बड़ा नाम पीटर नैवारो का उभरकर आता है, इनको चीन का सबसे बड़ा आलोचक और ट्रंप की टैरिफ रणनीति का आर्किटेक्ट माना जाता है।
पीटर नैवारो: टैरिफ नीति के मूल शिल्पकार
पीटर नैवारो एक प्रखर अर्थशास्त्री और ट्रंप प्रशासन में 2017 से 2021 तक नेशनल ट्रेड काउंसिल के डायरेक्टर रह चुके हैं। वह 'America First' नीति के कट्टर समर्थक हैं। नैवारो ने चीन के खिलाफ अपने विचारों को विस्तार से दो किताबों में व्यक्त किया है — China Wars (2006) और Death by China (2011)। इन दोनों पुस्तकों में उनका स्पष्ट रूप से चीन-विरोधी रुख देखा जा सकता है।
नैवारो का मानना है कि टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियों के जरिए अमेरिकी व्यापार घाटे को नियंत्रित किया जा सकता है। उनका यह तर्क है कि उच्च टैरिफ विदेशी आयात को महंगा बनाएगा, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति का विचार सबसे पहले नैवारो ने ही प्रस्तुत किया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि अन्य देश जैसे अमेरिका पर शुल्क लगाते हैं, अमेरिका को भी उनके उत्पादों पर वही शुल्क लगाने चाहिए — इससे व्यापार संतुलित होगा और दूसरे देशों को अपने नियम बदलने पर विवश किया जा सकेगा।
स्कॉट बेसेंट: इकोनॉमी बूस्टर की सोच
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट भी इस नीति के प्रमुख समर्थकों में हैं। राजनीति में आने से पहले वे एक प्रसिद्ध हेज फंड मैनेजर रह चुके हैं और KEY Square Group के संस्थापक हैं। वे ट्रंप की टैरिफ रणनीति को न केवल व्यापार संतुलन का तरीका मानते हैं, बल्कि इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक बूस्टर भी बताते हैं।
बेसेंट ने सार्वजनिक रूप से कहा कि टैरिफ के चलते अमेरिका मंदी का सामना नहीं करेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उन्होंने वैश्विक स्तर पर रेसिप्रोकल टैरिफ की पैरवी की और इसे पूरी तरह जायज ठहराया।
हावर्ड लुटनिक: रणनीति के पीछे का चेहरा
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक लंबे समय से ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी हैं। पूर्व में कैंटर फिट्जराल्ड में कार्य कर चुके लुटनिक को ट्रंप के "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" अभियान का एक प्रमुख चेहरा माना जाता है।
लुटनिक ने टैरिफ को कूटनीतिक टूल के रूप में परिभाषित किया — उनका मानना है कि टैरिफ के ज़रिए अन्य देशों को अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने के लिए मजबूर किया जा सकता है। उन्होंने चीन और वियतनाम जैसे देशों पर भारी टैरिफ की वकालत की, यह कहते हुए कि व्यापारिक असंतुलन को ठीक करने के लिए यह ज़रूरी है।
वे न केवल टैरिफ नीति के रणनीतिक योजनाकारों में शामिल थे, बल्कि उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से वैध ठहराने में भी अहम भूमिका निभाई।
तीन स्तंभ, एक नीति
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ रणनीति के पीछे तीन मजबूत स्तंभ दिखाई देते हैं। पीटर नैवारो, स्कॉट बेसेंट और हावर्ड लुटनिक। तीनों की भूमिकाएं अलग-अलग थीं, लेकिन लक्ष्य एक ही था। अमेरिका को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, व्यापार घाटा कम करना और वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अमेरिका की शर्तें लागू करना।जहां नैवारो ने विचार दिया, बेसेंट ने अर्थशास्त्रीय आधार प्रस्तुत किया और लुटनिक ने रणनीति को अमलीजामा पहनाया। इन तीनों ने मिलकर ट्रंप की टैरिफ नीति को वास्तविकता में बदल दिया।