सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की याचिका को किया खारिज, 8 फीसदी गिरा वोडाफोन आइडिया का शेयर

जेस्टिस जे. बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ये याचिकाएं गलत सोच पर आधारित हैं. कोर्ट ने कहा,"हम इन याचिकाओं को देखकर हैरान हैं.;

Update: 2025-05-19 09:02 GMT
वोडाफोन आइडिया और एयरटेल की याचिका खारिज

Supreme Court Update: टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज को फिर से सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने इन टेलीकॉम कंपनियों के AGR बकाया माफ करने की मांग को खारिज कर दी है. वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज ने कोर्ट से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया माफ करने की मांग की थी.

जेस्टिस जे. बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ये याचिकाएं गलत सोच पर आधारित हैं कोर्ट ने कहा,"हम इन याचिकाओं को देखकर हैरान हैं. ऐसी उम्मीद किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनी से नहीं की जाती है. हम इसे खारिज करते हैं." हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सरकार अगर टेलीकॉम कंपनियों की मदद करना चाहती है तो इसमें वह हस्तक्षेप नहीं करेगा.सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद वोडाफोन आइडिया का स्टॉक औंधे मुंह जा गिरा. कंपनी का शेयर 8% गिरकर 6.76 रुपये पर आ गया.

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की याचिका को किया खारिज, 8 फीसदी गिरा वोडाफोन आइडिया का शेयर 

एयरटेल और भारती हेक्साकॉम ने 34,745 करोड़ रुपये के ब्याज और जुर्माना माफ करने की मांग की थी. वोडाफोन आइडिया ने 45,457 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी. कंपनी की ओर कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी का चलना जरूरी है ताकि टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बनी रहे. उन्होंने बताया कि सरकार ने हाल ही में ब्याज की राशि को शेयर में बदलकर कंपनी में 49% हिस्सेदारी ले ली है. कंपनियों ने कहा कि वे कोर्ट से पुराने फैसले को बदलने की मांग नहीं कर रही हैं बल्कि केवल ब्याज और जुर्माना माफ करने की अपील कर रही हैं. वोडाफोन आइडिया ने कहा कि उसके पास 20,000 से ज़्यादा कर्मचारी हैं और भारत के मोबाइल नेटवर्क में उसकी 18% हिस्सेदारी है।

हालांकि सरकार को वोडाफोन से अब भी स्पेक्ट्रम और AGR बकाए के रूप में करीब 1,19,000 करोड़ रुपये मिलने हैं।

एयरटेल ने भी AGR बकाए में समानता के आधार पर राहत की मांग की थी. साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने AGR की गणना में गड़बड़ी को लेकर दाखिल इन कंपनियों की याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी थी. सितंबर 2020 में कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल की समय-सीमा दी थी. उस समय कुल बकाया ₹93,520 करोड़ रुपये था.

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