अब बिना सैलरी वालों को भी मिल सकेगा होम लोन! डिजिटल पेमेंट हिस्ट्री बनेगी मीडियम

वित्त मंत्रालय अब किसी व्यक्ति के डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर होम लोन प्रदान करने के लिए एक समान प्रोडक्ट विकसित कर रहा है.

Update: 2024-07-28 07:30 GMT

Union Budget 2024: केंद्रीय बजट में एमएसएमई के लिए घोषित नए क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल के बाद वित्त मंत्रालय अब किसी व्यक्ति के डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर होम लोन प्रदान करने के लिए एक समान प्रोडक्ट विकसित कर रहा है. यह कदम उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा, जो होम लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं और जिनकी क्रेडिट योग्यता निर्धारित करना आसान नहीं है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) बाहरी मूल्यांकन पर निर्भर रहने के बजाय क्रेडिट के लिए एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) का आकलन करने के लिए अपनी आंतरिक क्षमता का निर्माण करेंगे. नए मॉडल के तहत बैंक किसी एमएसएमई का क्रेडिट मूल्यांकन उसके डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर करेंगे, न कि उसकी बैलेंस शीट के आधार पर. इसी तरह वित्त मंत्रालय हाउसिंग सेक्टर के लिए भी एक उत्पाद विकसित कर रहा है.

बता दें कि बैंक पहले ही इस मॉडल पर काम कर चुके हैं. अभी तक, बैंकों से होम लोन केवल उन लोगों को मिलता है, जो वेतनभोगी हैं या टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं. जिन लोगों के पास यह (आवश्यक दस्तावेज) नहीं हैं, बैंक उनके डिजिटल फुटप्रिंट को देखकर उन्हें (नए मॉडल के तहत) लोन दे सकते हैं. नए मॉडल को एक तिमाही के भीतर विकसित किए जाने की संभावना है. इसके तहत बैंक क्रेडिट मूल्यांकन करते समय व्यक्तियों के उपभोग या खर्च के पैटर्न पर विचार करेंगे.

वर्तमान में बैंक एमएसएमई को लोन देने से पहले उनकी बैलेंस शीट और अकाउंट स्टेटमेंट देखते हैं और सरकार अब इसे बदलने की योजना बना रही है. हर एमएसएमई बैलेंस शीट नहीं बना सकता है. बैंक एमएसएमई को कॉरपोरेट्स की तरह ही मानते हैं. निरीक्षण के लिए दिशा-निर्देश कॉरपोरेट्स के समान ही हैं. मध्यम आकार के एमएसएमई के लिए बैंकों की लोन जरूरतों का अनुपालन करना आसान है. लेकिन छोटे व्यवसायों के लिए, कोई उचित बैलेंस शीट नहीं है और इसलिए उन्हें लोन हासिल करना मुश्किल लगता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त मंत्रालय डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर एमएसएमई के लिए एक मॉडल विकसित किया जाएगा. हो सकता है कि उस व्यवसाय ने दस लोगों को रोजगार दिया हो और उन्हें वेतन दे रहा हो, उनका ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) योगदान दे रहा हो. इसलिए, वह डेटा बना रहा है और बैंक उसकी ऋण योग्यता का आकलन (उस डेटा के साथ) कर सकेंगे. व्यवसाय का मालिक तब अपना बैंक खाता या बिजली का बिल दिखा सकता है, जिससे बैंक के लिए 5 लाख रुपये या 10 लाख रुपये का ऋण देना सुविधाजनक हो जाएगा. इससे अधिक संख्या में एमएसएमई को लोन देने में मदद मिलेगी.

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