जब डिजिटल अरेस्ट से जनप्रतिनिधि नहीं बच पाए तो आम जनता कैसे बच पाएगी?
बिहार की एक घटना भले ही इतनी चर्चा में नहीं आ पाई, लेकिन उसने चिंता बढ़ा दी। आरजेडी के MLC मोहम्मद शोएब को साइबर अपराधियों ने 12 घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट'' रखा।;
बिहार में RJD के विधान पार्षद मोहम्मद शोएब को साइबर अपराधियों ने करीब 12 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया। उन्हें दिनभर वीडियो कॉल के ज़रिए डराया गया, मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी गई और यहां तक कहा गया कि अगर वह घर से बाहर निकले तो उनकी हत्या भी हो सकती है।
घटना 8 अप्रैल की है, जब दो अनजान नंबरों से एमएलसी को कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर सेल का अधिकारी बताया और कहा कि वह एक मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में संपर्क कर रहा है। उसने दावा किया कि एमएलसी ने मुंबई के केनरा बैंक अकाउंट से अवैध ट्रांजेक्शन किया है।
वीडियो कॉल पर रखा 'बंधक'
सुबह 10:30 बजे शुरू हुई वीडियो कॉलिंग रात 12 बजे तक चली, जिसमें एमएलसी को फोन के पास रहने और किसी से संपर्क न करने की सख्त हिदायत दी गई। उन्हें लगातार कहा गया कि उनके खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है और वे कानूनी पचड़े में फंस चुके हैं।
हत्या की धमकी देकर डराया गया
ठगों ने यह तक कह दिया कि यदि वह किसी से संपर्क करने या घर से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं तो उनकी हत्या कर दी जाएगी। यह सुनकर राजद नेता मानसिक रूप से बुरी तरह परेशान हो गए।
लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने एक जानकार अधिकारी को कॉल कर पूरा मामला बताया।
पुलिस में शिकायत दर्ज, जांच जारी
राजद नेता की शिकायत पर पुलिस ने आधिकारिक केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल साइबर ठगों की पहचान और उनकी लोकेशन का पता लगाने के लिए जांच शुरू हो चुकी है।
पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है क्योंकि इसमें एक जनप्रतिनिधि को सीधे निशाना बनाया गया है। यह घटना न सिर्फ साइबर अपराध की खतरनाक हकीकत को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ठग अब किस हद तक जाकर लोगों को डराने और भ्रमित करने की रणनीति अपना रहे हैं।
इसलिए यह जानना जरूरी है कि अगर आपके सामने भी कोई डिजिटल अरेस्ट जैसी स्थिति आ जाती है तो ऐसे में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
डिजिटल अरेस्ट जैसी स्थिति में क्या करें?
सबसे पहली बात ये है कि शांत रहें और घबराएं नहीं। साइबर अपराधी आपकी भावनाओं से खेलते हैं। डर दिखाकर ही वे आपको अपने कंट्रोल में रखते हैं। जो जानकारी वे दे रहे हैं, उसकी पुष्टि तुरंत जरूरी है, आंख मूंदकर भरोसा न करें।
ये ध्यान में रखना जरूरी है कि कॉल या वीडियो कॉल को तुरंत बंद करें। मतलब बिना देर किए कॉल काट दें। कोई भी असली जांच एजेंसी इस तरह का व्यवहार नहीं करती। किसी भी स्थिति में उन्हें बैंक या पर्सनल डिटेल्स न दें।
तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करें
अगर आपको धमकी दी जा रही है या ब्लैकमेल किया जा रहा है, तो मामला गंभीर है। साइबर अपराध शाखा (Cyber Crime Unit) में लिखित शिकायत दें। साइबर क्राइम पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
भारत सरकार का साइबर क्राइम पोर्टल www.cybercrime.gov. है जिसमें यदि आप चाहें तो गुमनाम रहकर भी आप ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
एहतियातन ये भी जरूरी है कि आप अपने मोबाइल और सोशल मीडिया अकाउंट्स को सुरक्षित करें। पासवर्ड तुरंत बदलें।
ये करना भी जरूरी है
अगर आप किसी ऐसी सिचुएशन में फंस गए हैं तो 2-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) ऑन करें। किसी अनजान ऐप या लिंक को एक्सेस न करें।
वीडियो कॉल, धमकी भरे मैसेज, कॉल लॉग्स, सबका सबूत रखें। हो सके तो स्क्रीनशॉट और रिकॉर्डिंग रखें। इससे जांच में मदद मिलेगी।
किसी विश्वसनीय व्यक्ति को तुरंत बताएं
अकेले न रहें। परिवार, दोस्त या वकील से मदद लें। साइबर अपराधी अक्सर आपको किसी को न बताने को कहते हैं — यही सबसे बड़ा जाल होता है। और हां, ये जानना भी जरूरी है कि ऐसी सिचुएशन में क्या न करें। सबसे पहली बात तो ये है कि
पैसे ट्रांसफर न करें, न उनके भेजे किसी लिंक क्लिक करें और डर के मारे खुद को कमरे में बंद करने की भी कोई जरूरत नहीं है।
आपको ब्लैकमेलर की बातों में न कतई नहीं आना है।