कोल स्कैम में बिजनेसमैन मनोज जायसवाल को राहत, लेकिन उठे कई सवाल
कोल स्कैम केस में बिजनेसमैन मनोज जायसवाल को सीबीआई की विशेष अदालत ने भी दोषमुक्त कर दिया है। इससे पहले वो तीन दफा पहले भी दोषमुक्त हो चुके हैं।
किसी को दोषी ठहराना या दोषमुक्त करना अदालत का काम है। अदालत सबूतों के आधार पर काम करती है। यूपीए दो के कार्यकाल में कोयला स्कैम सुर्खियों में था। उस केस में व्यापारी मनोज जायसवाल का भी नाम आया। सीबीआई ने जांच की मुकदमा दर्ज कराया और सीबीआई की विशेष अदालत में जिरह हुई। अब वो इस मामले में दोषमुक्त हो चुके हैं। हालांकि सवाल यहां ये है कि क्या सीबीआई की तरफ से जांच ठीक ढंग से नहीं की गई थी।
इससे पहले कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त दिल्ली की विशेष अदालत ने 300 करोड़ रुपये से अधिक के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में व्यवसायी मनोज कुमार जायसवाल और अन्य सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था। विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने मंगलवार को आदेश पारित करते हुए मामले के सभी आरोपियों को आरोप मुक्त करने का फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले में किसी भी आरोपी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं है इसलिए तीनों आरोपियों को आरोप मुक्त किया जाता है।
विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि "कोयला ब्लॉकों के आवंटन को सुरक्षित करने में धोखाधड़ी के लिए किसी भी आरोप के अभाव में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं होगा।" यह तथ्य कि आईपीसी की धारा 120बी के साथ 420 के तहत साजिश से अपराध की कोई आय उत्पन्न नहीं हुई, इस मामले में शिकायतकर्ता के खिलाफ भी गया। शिकायतकर्ता आईपीसी की धारा 406 के तहत आपराधिक गतिविधि पर भरोसा नहीं कर सकता क्योंकि अपराध में सीमा पार की जटिलताएँ नहीं थीं। अदालत ने कहा, "चूंकि जयसवाल नेको इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पक्ष में कोयला ब्लॉक के आवंटन की मांग में कोई धोखाधड़ी नहीं हुई थी, इसलिए प्रकाश इंडस्ट्रीज-I और प्रकाश इंडस्ट्रीज-II के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से स्वतंत्र कि आवंटन पत्र संपत्ति/अपराध की आय नहीं है, कोयला ब्लॉक के आवंटन को सुरक्षित करने में धोखाधड़ी के लिए किसी भी आरोप की अनुपस्थिति में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं होगा।"