कहीं ऑनलाइन पोर्टल से चोरी की कार तो नहीं खरीद ली ! दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का खुलासा

क्राइम ब्रांच ने दो ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो चोरी की कार को कार car dekho और cars 24 पर बेच देते थे. पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया है और 20 कार बरामद की हैं. इस काम में ऑनलाइन पोर्टल के पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं.

Update: 2024-10-07 13:59 GMT

Auto lifters : अगर आप ऑनलाइन प्लेटफार्म से सेकंड हैण्ड कार खरीदना चाह रहे हैं तो सतर्क हो जाएँ. हो सकता है कि सेकंड हैण्ड कार बेचने वाले नामी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बिकने वाली कार चोरी की हो और आप उस चार को खरीदने के बाद पछताएँ या फिर कानून के जाल में फंस जाएँ. दरअसल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे ही गैंग का पर्दाफाश किया है जो हाई एंड लक्ज़री कारों को चोरी करके car dekho और car 24 जैसे डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से बेच रहे थे. अभी तक की जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने ये दावा किया है कि ये चोर इतने शातिर थे कि वो कंपनी को भी ये भनक नहीं लगने देते थे कि जो कार बेची गयी है वो चोरी की है. दिल्ली पुलिस ने अभी इस गैंग के 13 लोगों को गिरफ्तार किया है और 20 कारें बरामद की है. पुलिस का कहना है कि दरअसल दो अलग अलग गैंग का भंडाफोड़ किया गया है, जो लगभग एक ही तरह से चोरी की गाडियों को बेचने का काम कर रहे थे. 





 क्या है मामला

क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर देवेश चन्द्र श्रीवास्तव के अनुसार जो गैंग पकड़ा गया है, वो बेहद ही अनोखी मोडस ओपेरेंडी से चोरी की गाड़ियों को नामी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेच रहा था. ये गैंग पहले ओपन फोरम सोर्स इनफार्मेशन के माध्यम से चोरी की गयी गाडियों के असली ओनर का नाम आदि पता कर लेता था. जब गाड़ी का मालिक और चेसिस नंबर मिल जाता था तो फिर एक सिमकार्ड लेकर उस मालिक का नाम और एड्रेस लेकर कार देखो पोर्टल पर गाड़ी को बेचने की डिमांड करते हैं कार पोर्टल के लोगों को चकमा देने के लिए सभी फर्जी कागज तैयार भी रखते थे. इसके अलावा गाड़ी के असली मालिक के नाम में अपनी फोटो लगाकर धोखाधड़ी शुरू कर देते थे. फिर उसी नाम पते का पहचान पत्र बना लेता था. ये ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कार बिक्री या खरीदने की डिटेल्स लेकर उसी रंग और मॉडल आदि की कार को चोरी किया करता था.

कंपनियां भी आ गयी झांसे में
क्राइम ब्रांच के अडिशनल सीपी क्राइम संजय भाटिया का कहना है कि ये गैंग इतना शातिर था और इसकी मोडस ओपेरेंडी भी इतनी अलग थी कि ऑनलाइन कार बेचने वाली ये कंपनियां भी इनके झांसे में आ गयीं और ये पता नहीं लगा पायी कि जो कार उन्हें बेचीं जा रही है, वो चोरी की है या नहीं. इन पोर्टल के जो अधिकारी या कर्मचारी गाड़ी खरीदने के लिए इनके पास कार को जांचने पहुंचते थे तो उन्हें सभी कागज और पहचान की पुष्टि मिल जाती थी, जिसके बाद वो इन लोगों से गाड़ी खरीद लेते थे इस गैंग में (कार देखो) और कुछ अन्य पोर्टल के लोग भी शामिल थे, जिनकी मदद से ये गैंग ऑपरेट कर रहा था.



 फर्जी बैंक अकाउंट भी खुलवाए

पुलिस के अनुसार ऑनलाइन पोर्टल कार खरीदने की एवेज में ओनर के नाम पर ही बैंक में पेमेंट करता है. इसके लिए ये गैंग फर्जी नाम से बैंक अकाउंट खुलवाता था, जिसमें कुछ बैंक के कर्मचारी भी इस गैंग के साथ मिले हुए थे. पुलिस का कहना है कि इस गैंग के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है.

ये हैं गैंग और उसके सदस्य 
1- अनवर कुरैशी और उसके छह साथी
(1) किशन (सेकंड हैंड कार डीलर)
(2) मोहम्मद रियाज (एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी कर्मचारी)
(3) शहजाद (शादाब का भाई) जो इंदौर, एमपी से चोरी की कारें लाता था
(4) विकास मिश्रा (चोरी की कारों को बेचने के लिए आरोपी अनवर और कार कंपनियों के बीच मध्यस्थ/सुविधाकर्ता की भूमिका निभा रहा था), कारदेखो का एक पूर्व कर्मचारी
(5) शाहिल उर्फ ​​शेख, (अल्ताफ का कर्मचारी, जिसने नकली दस्तावेज, चोरी की गई गाड़ियों के पंजीकरण प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, वोटर कार्ड और बैंक की एनओसी आदि तैयार करने में मदद की।)
(6) अल्ताफ (उसने नकली दस्तावेज, चोरी की गई गाड़ियों के पंजीकरण प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड और बैंक की एनओसी आदि तैयार किए)

2 पुरु सिंह और उसके पांच सहयोगी

(1) जयंत कुमार जेना (उसने CARS24 के अधिकारियों को वाहन दिखाए)

(2) मोहसिन (पवन @ अन्धा से चोरी की कारें खरीदीं और पुरु और नौशाद को बेचीं)

(3) नौशाद (पुरु सिंह के माध्यम से चोरी की कारें बेचीं)

(4) कुंदन गिरी  CARS24 का पूर्व कर्मचारी

(5) ब्रजेश कुमार  CARS24 का पूर्व कर्मचारी

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