दिल्ली के वो दो गैंगस्टर गोगी और टिल्लू जिनकी दोस्ती जानी दुश्मनी में बदल गयी

- एक को कोर्ट रूम में गोली मारी गयी तो दूसरे को जेल के अंदर बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया - दोनों गैंगस्टर के मरने के बाद भी जारी है गैंगवार

Update: 2024-04-29 10:43 GMT



राजधानी दिल्ली के अलग-अलग गैंग और उनके बीच चलने वाली गैंगवार में कई लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे ही दो गैंग है बाहरी-उतरी जिले के, जिनके सरगना अब इस दुनिया में नहीं है. जीते जी वे दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन रहे और उनके मरने के बाद, उनके गैंग संभाल रहे जो बदमाश है, वे भी एक दूसरे की जान के दुश्मन बने हुए हैं. हम बात कर रहे हैं गोगी और टिल्लू गैंग की, जिनके बीच चली आ रही दुश्मनी ने दोनों ही तरफ के दो दर्जन से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया. इतना ही नहीं एक दो घटनाएं ऐसी भी हैं, जिसमें इन गैंग के बीच हुई गोलीबारी में आम लोगों को भी गोलियां लगी.

टिल्लू और गोगी गैंग

टिल्लू गैंग - टिल्लू का असली नाम सुनील बालियान था. वो ताजपुर गांव का रहने वाला था. वो पहलवानी कर चुका था, लेकिन इस दौरान उसकी संगत गलत लोगों के साथ हो गई और वो बदमाशी के रास्ते चल निकला. टिल्लू बाहरी दिल्ली के तमाम इलाकों में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिए अपने गैंग को बढ़ाता रहा और जबरन वसूली करने लगा. मई 2023 में तिहाड़ जेल के अंदर हाई सिक्योरिटी सेल में गोगी गैंग के सदस्यों ने टिल्लू की लोहे की नुकीली छड़ व धारदार हथियार से 90 से ज्यादा वार कर हत्या कर दी गयी.

गोगी गैंग- गोगी का असली नाम जितेंद्र मान था, जो अलीपुर गांव का रहने वाला था. गोगी के खिलाफ वर्ष 2008 में मारपीट का पहला मामला दर्ज हुआ था. इसके बाद वो श्रद्धानंद कॉलेज में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के चलते अपराध जगत में आ गया और फिर बाहरी दिल्ली के इलाकों में एक्सटॉर्शन यानी जबरन वसूली का धंधा करने लगा. उसने अपने गैंग को बढ़ाया और अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिए वो विरोधी गैंग यानी टिल्लू के साथ गैंगवार में उतर आया. सितंबर 2021 में रोहिणी कोर्ट के कोर्ट रूम में स्पेशल सेल के जवानों की मौजूदगी में गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. इस हत्या के पीछे टिल्लू गैंग का हाथ माना गया.

दुश्मनी से पहले थी पक्की दोस्ती

अलीपुर गांव का जितेंद्र उर्फ गोगी और ताजपुर गांव का सुनील बालियान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया एक जमाने में पक्के दोस्त हुआ करते थे. दोनों एक साथ घूमते फिरते, खाते पीते थे. लेकिन इन दोनों के बीच झगड़े की शुरुआत दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज से हुई. दोनों ही कॉलेज की राजनीति में सक्रिय थे और खुद को किंग मेकर की भूमिका में स्थापित करना चाहते थे. टिल्लू ताजपुरिया का चचेरा भाई वर्ष 2009 में कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर खड़ा हुआ तो वहीं गोगी के गांव का ही एक लड़का अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरा. दोनों अपने-अपने उम्मीदवार को अध्यक्ष बनाने की होड़ में लग गए और यहीं से उन दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई.

वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच हुई गैंगवार

दुश्मनी शुरू होने के बाद टिल्लू और गोगी गैंग के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ गई. दोनों बाहरी दिल्ली के अधिक से अधिक क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित करने में लग गए. दोनों ही गैंग इलाके के बिल्डर व्यापारियों, व्यवसायियों और तो और सट्टेबाजों से प्रोटेक्शन मनी लेने लगे. इसी दौरान इन दोनों गैंग के बीच कई बार गैंगवार हुई. दोनों ही गैंग ने एक दूसरे के कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया. इन दोनों के बीच हुई गैंगवार में दो दर्जन से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

टिल्लू ने नीरज बवानिया/ दविंदर भाम्बिया गैंग तो गोगी ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग से किया गठजोड़

टिल्लू और गोगी ने अपनी लड़ाई में खुद को मजबूत करने के लिए अलग-अलग गैंग के साथ गठजोड़ कर लिया. टिल्लू ने जेल में रहने के दौरान नीरज बवानिया/ दविंदर भाम्बिया गैंग से गठजोड़ कर लिया. दूसरी ओर गोगी ने लॉरेंस बिश्नोई/काला जठेड़ी गैंग से हाथ मिला लिया. इन दोनों गैंग के बीच की दुश्मनी में अन्य गैंग भी शामिल हो गए.

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