डॉक्टरों से ड्रोन मेकर तक, लाल किला कार धमाके का पूरा नेटवर्क बेनकाब

दिल्ली धमाके ने दिखाया कि कैसे डॉक्टरों और धार्मिक गुरुओं का गिरोह राजधानी पर बड़ा हमला करने की तैयारी में था, 20 से अधिक किरदार सामने आए।

Update: 2025-11-19 10:53 GMT
Click the Play button to listen to article

Delhi Blast : दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार बम धमाके को दस दिन बीत चुके हैं, लेकिन इस धमाके को अंजाम देने वाले वाइट कालर मोड्यूल या डॉक्टर मोड्यूल की परतें अब भी खुलती जा रही हैं। रोज खुलती नई परतें ये इशारा करती हैं कि यह हमला कितनी गहरी और सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। जिसकी शुरुआत जम्मू कश्मीर से शुरू हुई और अब उत्तर से लेकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश इसके तार जुड़ते जा रहे हैं।

जांच एजेंसियों ने अब तक जैश ए मोहम्मद के इस मॉड्यूल से जुड़े लगभग 20 अहम किरदारों को चिन्हित किया है। हैरानी की बात यह है कि इस मॉड्यूल का बड़ा हिस्सा उन डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों पर आधारित रहा है, जिनका काम लोगों की जान बचाना होता है, लेकिन वे इस सफ़ेद कोट की आड़ में लोगों की जान लेने का काम कर रहे थे।

डॉ. उमर उन नबी, मौत की ओर ले जाने वाला चेहरा

10 नवंबर की शाम आई 20 कार सवार युवा डॉक्टर उमर नबी लाल किला पार्किंग से निकलने के बाद रोड पर आया, जहाँ भीड़ थी। कुछ ही मिनटों बाद डॉ उमर ने धमाके में अपनी ही जान के साथ 15 लोगों की जान भी ले ली। पुलवामा का रहने वाला उमर कभी अस्पताल में मरीजों का इलाज करता था, लेकिन कट्टरपंथी विचार धरा से प्रेरित होकर वो तुर्की गया, जहां जैश के आकाओं से उसकी मुलाकात हुई। धीरे धीरे वह संगठन के भारत मॉड्यूल का हिस्सा बना और फिर फिदायीन बन बैठा।
अल फलाह यूनिवर्सिटी में उसके व्यवहार में आए बदलाव को कुछ सहकर्मियों ने महसूस भी किया था, लेकिन कोई अंदाजा नहीं था कि वह किस अंधे रास्ते पर चल पड़ा है।

जांच से निकले 20 से ज्यादा किरदार, दिल्ली दहलाने की साजिश इतनी गहरी थी

1. डॉक्टरों का नेटवर्क

डॉ. आदिल, डॉ. मुजम्मिल, डॉ. मुजम्मिल का साथी डॉ. निसार, महिला विंग की कमांडर डॉ. शाहीन और उसका भाई डॉ. परवेज अंसारी। ये सभी मिलकर एक ऐसा नेटवर्क चला रहे थे, जो देश में महिला और पुरुष आत्मघाती हमलावरों को तैयार कर रहा था।

2. धर्मगुरुओं की सीधी संलिप्तता

मौलवी इरफान अहमद और मौलवी इश्तियाक, दोनों ने न केवल इस मॉड्यूल को बढ़ावा दिया बल्कि पोस्टर चिपकाने, पनाह देने और युवा लड़कों को प्रभावित करने जैसे कामों में सक्रिय भूमिका निभाई।

3. हथियार और बारूद का खतरनाक नेटवर्क

फरीदाबाद और फतेहाबाद से रिकॉर्ड मात्रा में विस्फोटक बरामद किया गया। 360 किलो और 2560 किलो विस्फोटक, असाल्ट राइफल, सर्किट और अन्य उपकरण बरामद किये गए। ये सब साबित करते हैं कि निकट भविष्य में कई बड़े हमलों की तैयारी थी।

मुख्य गिरफ्तारियां, तिथियों के साथ खुलती एक लंबी साजिश

17 अक्टूबर कश्मीर में जैश समर्थक पोस्टर

19 अक्टूबर मौलवी इरफान की गिरफ्तारी

6 नवंबर डॉ. आदिल अहमद गिरफ्तार

10 नवंबर फरीदाबाद से डॉ. मुजम्मिल शकील पकड़ा गया

10 नवंबर शाम लाल किले के पास धमाका

11 नवंबर महिला विंग की कमांडर डॉ. शाहीन गिरफ्तार

14 नवंबर उसके भाई डॉ. परवेज की गिरफ्तारी

17 नवंबर जासिर बिलाल वानी और कार देने वाला आमिर राशिद अली गिरफ्तार

ये तिथियां दिखाती हैं कि कैसे यह नेटवर्क महीनों से जमीनी स्तर पर सक्रिय था और एक के बाद एक गिरफ्तारी से इसकी गहराई सामने आई।

मौलवी इरफान और मौलवी इश्तियाक

मौलवी इरफान अहमद ने नौगांव और आसपास जैश के पोस्टर चिपकवाए ताकि कश्मीर के युवाओं में कट्टरपंथ को बढ़ाया जा सके। मौलवी इश्तियाक ने फरार उमर नबी को महीनों पनाह दी। इसी दौरान इश्तियाक की आय और खर्च पर भी सवाल उठे क्योंकि उसकी आय के मुकाबले उसकी जमीन खरीद और खर्च असामान्य थे।

ड्रोन रॉकेट बनाने वाला जासिर वानी, हमले का अगला चेहरा

अनंतनाग का रहने वाला दानिश उर्फ जासिर वानी ड्राई फ्रूट की दुकान की आड़ में हमास स्टाइल के ड्रोन रॉकेट बना रहा था। यदि वह पकड़ा नहीं जाता, तो आगे किस तरह की तबाही होती इसे सोच कर ही दिल काँप जाता है।

कार देने वाला आमिर राशिद अली, हमले की कड़ी को और गहरा कर गया

आई20 कार आमिर के नाम रजिस्टर्ड थी और उसी का इस्तेमाल धमाके में हुआ। उसका दिल्ली से गायब होना और फिर 17 नवंबर को गिरफ्तारी, यह दर्शाती है कि वह इस हमले का महत्वपूर्ण हिस्सा था।

रहस्यमय चेहरों में अब सिर्फ निसार बचा है

अल फलाह यूनिवर्सिटी में रेजीडेंट डॉक्टर निसार अभी भी फरार है। उसकी पत्नी और बहन से पूछताछ और 10 छात्रों के मोबाइल जब्त किए जाना इस बात का संकेत है कि जांच अभी बहुत गहराई तक जाएगी।

दिल्ली के लिए यह सिर्फ एक हमला नहीं, विश्वास तोड़ने की साजिश थी

डॉक्टर, मौलवी, तकनीक जानने वाले युवा, सभी एक ही धागे से जुड़े थे और उनका लक्ष्य था देश की राजधानी को दहलाने के साथ साथ समाज में डर फैलाना। जांच एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार यह मॉड्यूल भारत में आत्मघाती हमलों की एक नई लहर तैयार कर रहा था। धमाके के बाद सड़कें खुल गई हैं लेकिन लोगों के मन पर लगा डर का घाव अब भी ताजा है। हर नई गिरफ्तारी इस बात को और स्पष्ट कर रही है कि यह हमला किसी एक गुस्साए युवा का काम नहीं था, बल्कि एक गहरी साजिश की पराकाष्ठा था।


Tags:    

Similar News