पुणे के पॉर्श मामले में साजिश के कितने राज, पुलिस कर रही रोज़ फाश
पुणे पॉर्श मामले में पुलिस जाँच में ये खुलासा हुआ है कि आरोपी नाबालिग के पिता vijay अग्रवाल और अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग के हेड डॉक्टर तावड़े के बीच हुई थी 14 बार बात. ये बातचीत नाबालिग के ब्लड सैंपल लेने से लगभग 2 घंटे पहले हुई थी.
Pune Porsche accident case update: महाराष्ट्र के पुणे के बहुचर्चित पॉर्श एक्सीडेंट मामले में पुलिस जाँच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस ने जाँच में दावा किया है कि नाबालिग के पिता ने उसे बचाने के प्रयास में अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ अजय तावरे से एक दो बार नहीं बल्कि 14 बार फोन पर बात की थी. इसके लिए आरोपी पिता ने इन्टरनेट कालिंग और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लिया था. पुलिस इसे एक अहम सबूत भी मान रही है, जो अदालत में ये साबित करने में मदद कर पायेगा कि डॉक्टरों ने मिलीभगत के चलते आरोपी नाबालिग का ब्लड सैंपल बदला था.
पुलिस सूत्रों के अनुसार जब आरोपी नाबालिग चालक के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया तो उसका मोबाइल फोन भी जब्त किया गया. उसकी जाँच में ये पाया गया कि एक व्यक्ति विशेष से विशाल अग्रवाल की कई बार बात हुई है. सबसे ख़ास बात ये थी कि वो बातचीत इन्टरनेट कालिंग और सोशल मीडिया कालिंग से की गयी थी. इसके बाद पुलिस ने विशाल अग्रवाल से पूछताछ की और उस व्यक्ति विशेष के बारे में पता लगाया तो खुलासा हुआ कि वो कोई और नहीं बल्कि अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिकल विभाग के पर्मुख डॉ अजय तावड़े है. इसके बाद जब जाँच और पूछताछ गंभीरता से की गयी तो ये पाया गया कि जब नाबालिग आरोपी को पुलिस गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल जाँच के लिए अस्पताल ले जाने वाली थी तो उससे पहले विजय अग्रवाल को इसकी जानकारी मिल गयी थी.
विजय अग्रवाल ने फ़ोन करके डॉक्टर से की थी ब्लड सैंपल चेंज करने की डील
पुलिस ने ये भी खुलासा किया है कि विजय अग्रवाल ने डॉ तावड़े से एक दो बार नहीं बल्कि 14 बार बात की थी. इसके लिए उसने अपने कुछ प्रभावशाली परिचितों की भी मदद ली. जब डील तय हो गयी तो डॉ तावड़े ने अपने विभाग में कार्यरत डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों को भी इस काम में शामिल करने की बात कही. पुलिस ने अदालत के सामने ये खुलासा भी किया कि ये कॉल व्हाट्सएप, फेसटाइम और मानक सेलुलर कनेक्शन के माध्यम से किए गए थे. पुलिस ने ये भी बताया कि विजय अग्रवाल और डॉ तावड़े के बीच जो बातचीत हुई वो नाबालिग के ब्लड सैंपल लेने से पहले लगभग 2 घंटे पहले हुई थी.
ब्लड सैंपल चेंज करने के बदले कितनी रिश्वत दी गयी
पुलिस ने इस सम्बन्ध में पुणे की अदालत को ये बताया कि अभी तक की जाँच में ये बात भी सामने आई है कि आरोपी डॉक्टरों ने सिर्फ किसी प्रभाव के चलते नहीं बल्कि रिश्वत के लिए भी आरोपी नाबालिग ड्राईवर के ब्लोद्द सैंपल चेंज किये थे. इस लोगों ने असली ब्लड सैंपल हटा दिए और उसके बदले किसी और व्यक्ति के ब्लड सैंपल नाबालिग ड्राईवर के नाम पर रिकॉर्ड में दिखा दिया. पुलिस ने अदालत को ये भी बताया कि आरोपी डॉ तावड़े, डॉ. श्रीहरि हल्नोर(कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर) और अतुल घाटकांबले(अस्पताल का कर्मचारी) के घरों की तलाशी भी ली, जिसमें डॉ. हल्नोर के घर से ढाई लाख रूपये और घाटकांबले के घर से 50 हजार रुपए बरामद किए हैं. पुलिस ने अदालत के सामने ये बात भी कही कि इन दोनों के घर से बरामद की गयी रकम रिश्वत की रकम का हिस्सा है.
अदालत ने डॉ तावड़े व उनके दो साथियों को 30 मई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा
पुलिस ने कोर्ट में उक्त तथ्यों को रखते हुए डॉ तावड़े व उनके दोनों साथियों की पुलिस रिमांड की मांग की गयी. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है. पुलिस का कहना है कि इन तीनों आरोपियों से खून के नमूने बदलने की साजिश के पीछे कौन कौन शामिल है और कौन कौन इसके लिए ज़िम्मेदार है, ये सभी जाँच का विषय है. इसके अलावा नाबालिग के पिता विजय अग्रवाल का आमना सामना भी डॉ तावड़े से कराया जा सकता है. इसके लिए विजय अग्रवाल को पुलिस हिरासत में लिया जा सकता है.
डॉक्टर तावड़े के घर की भी ली तलाशी
पुलिस सूत्रों के अनुसार डॉ हल्नोर और कर्मचारी घाटकांबले को डॉ तावड़े ने ही इस पूरी साजिश में शामिल किया था. इसलिए डॉ तावड़े के घर की भी तलाशी ली गयी है. पुलिस का कहना है कि तावड़े के यहाँ से फिलहाल ऐसा कुछ विशेष नहीं मिला है. तावड़े से पूछताछ करनी जरुरी है कि आखिर पूरी डील किस बात पर तय हुई थी. रिश्वत की रकम कितनी तय हुई? कितनी मिली और किस तरह से मिली? ये सभी अहम जानकारियां हैं, जो जांच की दृष्टि से काफी जरुरी है. पुलिस इसका पता लगा रही है. इसके अलावा ये भी बेहद जरुरी है कि आखिर किस व्यक्ति के ब्लड सैंपल से आरोपी नाबालिग के ब्लड सैंपल बदले गए थे. उस व्यक्ति के बारे में भी पुलिस को डॉ तावड़े व उनके साथियों से पता करना है.