मुंबई में 19 साल पहले किस तरह से सिलसिलेवार धमाकों ने ले ली थी 189 जिंदगियां
बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों के रिहा करने के बाद एक तरफ पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हुए हैं तो दूसरी ओर राजनीती भी शुरू हो गयी है.;
Mumbai Local Train Bomb Blast 2006 : साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले से इस मामले की जाँच को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में जांच पर ही उँगलियाँ उठायी हैं। इस फैसले के बाद राजनीती भी शुरू हो गयी है।
AIMIM के मुखिया सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने X पर लिखा है कि ''निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया जाता है और फिर सालों बाद जब वे जेल से रिहा होते हैं, तो उनके जीवन को फिर से बनाने की कोई संभावना नहीं होती। पिछले 17 सालों से ये आरोपी जेल में हैं। वे एक दिन के लिए भी बाहर नहीं निकले। उनके जीवन का ज़्यादातर सुनहरा दौर बीत चुका है। ऐसे मामलों में, जहाँ जनाक्रोश होता है, पुलिस का रवैया हमेशा यही होता है कि पहले दोषी मान लिया जाए और फिर वहाँ से भाग निकला जाए। ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, और मीडिया जिस तरह से मामले को कवर करता है, उससे ही किसी व्यक्ति का दोषी होना तय होता है। ऐसे कई आतंकी मामलों में, जाँच एजेंसियों ने हमें बुरी तरह निराश किया है।"
ओवैसी ने लिखा कि ''मोहम्मद माजिद बरी, माजिद से अंतिम बातचीत किए बिना ही पत्नी की मौत हो गई।
फैसल, मुज़म्मिल बंधु बरी, बेटों को मौत और उम्रकैद की सज़ा सुनाए जाने के बाद पिता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, माँ का 2023 में निधन हो गया।
12 मुस्लिम पुरुष 18 साल से जेल में हैं, एक ऐसे अपराध के लिए जो उन्होंने किया ही नहीं था। उनका सुनहरा जीवन बर्बाद हो गया है। 180 परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, कई घायल हुए हैं, उनके लिए कोई समाधान नहीं है।
क्या सरकार इस मामले की जाँच करने वाले महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी?''
जानते हैं कि क्या हुआ था 19 साल पहले जब दहल गयी थी मुंबई
11 जुलाई 2006 को महज 11 मिनट में सात धमाकों ने मुंबई को दहला दिया था। आतंकियों ने लोकल ट्रेनों को निशाना बनाया था, जिनमें 189 लोग मारे गए और 800 से ज्यादा घायल हुए थे। इस हमले को 1993 के बम धमाकों के बाद मुंबई पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है।
निचली अदालत ने दी थी फांसी और उम्रकैद की सजा
2015 में विशेष अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी करार देते हुए पांच को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मगर अब हाईकोर्ट ने सबूतों में कमी और जांच पर उठे सवालों के चलते सभी को बरी कर दिया है।
जांच पर उठे सवाल, जबरन कबूलनामे का आरोप
महाराष्ट्र ATS ने तत्कालीन सरकार के आदेश पर 13 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जबकि कुछ आरोपी पाकिस्तान भाग निकले थे। बचाव पक्ष ने अदालत में आरोप लगाया कि आरोपियों से जबरन कबूलनामे लिए गए और उन्हीं को सुबूत बनाया गया।
वकीलों ने दावा किया कि शुरुआती जांच में इंडियन मुजाहिदीन (IM) का नाम सामने आया था, लेकिन बाद में जांच की दिशा बदल दी गई।
ऐसे हुआ था हमला — 11 मिनट में सात धमाके
11 जुलाई 2006 की शाम को ऑफिस से लौट रहे यात्रियों से भरी लोकल ट्रेनों में पहला धमाका शाम 6:24 बजे हुआ। इसके बाद सिर्फ 11 मिनट के भीतर माटुंगा रोड, बांद्रा, खार रोड, माहिम जंक्शन, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरिवली में एक के बाद एक सात धमाके हुए।
धमाकों में प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल किया गया था और सभी हमले फर्स्ट क्लास डिब्बों में किए गए थे। धमाकों की भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिन डिब्बों में धमाके हुए, वे पूरी तरह उड़ गए थे।
सबसे ज्यादा मौतें माहिम में
माहिम स्टेशन पर हुए धमाके में सबसे ज्यादा 43 लोगों की मौत हुई थी। अलग-अलग ट्रेनों और स्टेशनों पर भी दर्जनों यात्री मारे गए।
धमाकों का समय इस तरह था:
6:24 बजे – पहला धमाका
6:24 बजे – दूसरा धमाका
6:25 बजे – तीसरा धमाका
6:26 बजे – चौथा धमाका
6:29 बजे – पांचवां धमाका
6:30 बजे – छठा धमाका
6:35 बजे – सातवां धमाका
लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।