ऑपरेशन साइबर हॉक: करोल बाग में मोबाइल बनाने वाली अवैध फैक्ट्री का भंडाफोड़
पुराने और चोरी के फोन में नए पार्ट्स लगाकर IMEI बदला जाता था; पुलिस ने फैक्ट्री मालिक सहित 5 गिरफ्तार किए।
ILLegal Mobile Assembling Unit : दिल्ली पुलिस की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट टीम ने ‘ऑपरेशन साइबर हॉक’ के तहत करोल बाग में चल रही एक बड़ी अवैध मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का पर्दाफाश किया है। करोल बाग के बीडनपुरा इलाके की गली नंबर 22 में छापा मारकर पुलिस ने फैक्ट्री के मालिक समेत पाँच लोगों को गिरफ्तार किया। यह फैक्ट्री दो वर्षों से चोरी, कबाड़ और पुराने मोबाइल फोनों को नए फोन के रूप में तैयार कर अवैध रूप से बाजार में बेचने का काम कर रही थी।
पुराने और चोरी के फोन में लगाया जाता था नया शरीर
सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी निधीन वालसन के अनुसार, आरोपी पुराने, खराब या चोरी के मोबाइल फोनों के मदरबोर्ड जुटाते थे और फिर चीन से मंगाए गए नए बॉडी पार्ट्स और स्क्रीन लगाकर उन्हें पूरी तरह नया फोन जैसा बना देते थे। फोन को असली दिखाने के लिए उसका IMEI नंबर भी बदल दिया जाता था।
पुलिस ने उनके कब्जे से WRITEIMEI (ब्रिटिमई) 2.0 नामक विशेष सॉफ्टवेयर बरामद किया है, जिसका उपयोग मोबाइल का IMEI बदलने में किया जाता था। जांच अधिकारियों का कहना है कि IMEI बदलने वाला यह नेटवर्क काफी बड़ा हो सकता है और इसमें कई और लोग शामिल होने की आशंका है।
छापेमारी में 1826 मोबाइल बरामद
कार्रवाई के दौरान पुलिस को भारी मात्रा में सामग्री मिली, जिसमें शामिल हैं
1826 मोबाइल फोन (कीपैड + स्मार्टफोन)
एक लैपटॉप
IMEI नंबर बदलने वाला सॉफ्टवेयर
हजारों मोबाइल के बॉडी पार्ट्स
हजारों प्रिंटेड IMEI लेबल
IMEI स्कैनर
मोबाइल असेंबलिंग टूल्स
बरामद सामान से साफ है कि यह फैक्ट्री बड़े स्तर पर फोन असेंबल कर अलग-अलग राज्यों के बाजारों तक सप्लाई करती थी।
IMEI बदलकर नकली ब्रांडिंग भी की जाती थी
डीसीपी वालसन ने बताया कि आरोपी सिर्फ फोन को नया रूप ही नहीं देते थे, बल्कि अलग-अलग स्मार्टफोन कंपनियों की नकली ब्रांडिंग भी करते थे, जिससे खरीदारों को फोन पूरी तरह असली प्रतीत होता था। ऐसे फोन आगे चोरी, ठगी, साइबर फ्रॉड और अन्य अपराधों में इस्तेमाल होने की आशंका रहती है।
इसी कारण इसे साइबर अपराध रोकथाम के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है।
आईटी एक्ट व टेलीकॉम एक्ट के तहत केस दर्ज
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ
धारा 318(4)/112 बीएनएस,
आईटी एक्ट,
और टेलीकॉम एक्ट
के तहत मामला दर्ज किया है।
साथ ही पूरी सप्लाई चेन, खरीदारों, कनेक्शन, और फंडिंग सोर्सेज की जांच जारी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ये फोन न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर बल्कि देश के कई राज्यों में भेजे जाते थे।
बदले हुए IMEI अपराधियों को पहचान से बचाते हैं
डीसीपी ने बताया कि IMEI बदलने का धंधा मोबाइल चोरी और साइबर अपराध को बढ़ावा देने वाली मुख्य वजह है, क्योंकि IMEI बदलने के बाद फोन ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
पुलिस अब तकनीकी विश्लेषण कर यह पता लगा रही है कि बरामद मोबाइल किस-किस अपराध में इस्तेमाल हुए।
‘ऑपरेशन साइबर हॉक’ के तहत हुई यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। आगे और गिरफ्तारियाँ होने की संभावना है।