पुणे में पोर्शे से 2 लोगों की जान लेने वाले पर नाबालिग के रूप में चलेगा केस, पुलिस की याचिका खारिज

JJB ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह अपराध 'जघन्य अपराध' की श्रेणी में नहीं आता;

Update: 2025-07-15 12:35 GMT
वह पोर्शे कार जिसे चला रहे 17 वर्षीय लड़के ने 19 मई 2024 को पुणे 2 मोटरसाइकिल सवारों को टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई। (फाइल फोटो)

पुणे के किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें 17 वर्षीय आरोपी को बालिग के रूप में मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। मई 2024 में शराब के नशे में पोर्शे टायकन चलाते हुए दो आईटी प्रोफेशनल्स की मौत का आरोपी है यह किशोर।

JJB ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह अपराध 'जघन्य अपराध' की श्रेणी में नहीं आता जैसा कि किशोर न्याय (देखरेख और संरक्षण) अधिनियम में वर्णित है।

यह निर्णय उस हादसे के एक साल बाद आया है जिसने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया था, जब इसी किशोर को केवल 300 शब्दों का ट्रैफिक अनुशासन पर निबंध लिखने की शर्त पर जमानत दी गई थी।

आरोपी किशोर के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा, "हमने दलील दी थी कि जिन अपराधों के लिए अधिकतम सजा 7 साल से अधिक है लेकिन न्यूनतम सजा तय नहीं है या 7 साल से कम है, उन्हें 'जघन्य अपराध' नहीं माना जा सकता।"

सुप्रीम कोर्ट ने XXX बनाम एनसीटी दिल्ली केस में यही व्याख्या दी थी, जिसे JJB ने स्वीकार कर लिया।

जांच अधिकारी एसीपी गणेश इंगले ने कहा, "हमें उम्मीद है कि JJB के फैसले की विस्तृत प्रति जल्द ही मिल जाएगी।"

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